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SC ने PIB के तहत ‘फैक्ट चैक’ इकाई बनाने पर लगा दी रोक

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र गवर्नमेंट को झटका देते हुए फर्जी खबरों का पता लगाने के लिए पीआईबी (PIB) के अनुसार ‘फैक्ट चैक’ (तथ्यों की जांच करने वाली) इकाई बनाने पर रोक लगा दी. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के अनुसार 20 मार्च को ‘फैक्ट चैक’ इकाई (एफसीयू) के लिए अधिसूचना जारी की थी. इससे पहले बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अधिसूचना जारी करने को लेकर गवर्नमेंट को हरी झंडी दी थी.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 11 मार्च के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने केंद्र गवर्नमेंट के बारे में सोशल मीडिया पर फर्जी और गलत सामग्री की पहचान करने के लिए संशोधित आईटी नियमों के अनुसार एफसीयू की स्थापना पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था. पीठ ने कहा, ‘हमारा मानना है कि उच्च न्यायालय के समक्ष प्रश्न संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) पर मुख्य प्रश्नों से संबंधित हैं.

पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे. पीठ ने कहा, ‘हमारी राय है कि अंतरिम राहत का निवेदन खारिज होने के बाद 20 मार्च, 2024 को जारी अधिसूचना पर रोक लगाने की आवश्यकता है. अनुच्छेद 3 (1) (बी) (5) की वैधता को चुनौती में गंभीर कानूनी प्रश्न शामिल हैं और उच्च न्यायालय द्वारा ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ और अभिव्यक्ति पर नियमों के असर का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण था.गवर्नमेंट की अधिसूचना के मुताबिक एफसीयू केंद्र गवर्नमेंट से संबंधित सभी फर्जी खबरों या गलत सूचनाओं से निपटने या सचेत करने के लिए नोडल एजेंसी होगी.

पीटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, यह अधिसूचना बंबई उच्च न्यायालय द्वारा केंद्र को इकाई की अधिसूचना जारी करने से रोकने से इनकार करने के कुछ दिन बाद आई है. याचिका ‘स्टैंड-अप कॉमेडियन’ कुणाल कामरा और ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ द्वारा दाखिल की गई थी. पिछले वर्ष अप्रैल में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने नियम, 2023 लागू किए थे, जिनके माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में और संशोधन किया गया.

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