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PM मोदी ने राम मंदिर पर क्या कहा कि CPIM को लगी मिर्ची

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने चुनाव प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का इल्जाम लगाते हुए चुनाव आयोग से पीएम मोदी की कम्पलेन की है. उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को पत्र लिखा है. येचुरी ने हालिया प्रचार रैलियों के दौरान मोदी द्वारा राम मंदिर अभिषेक पर दिए गए कुछ बयानों पर चिंता जताई है. येचुरी ने शनिवार को लिखे एक पत्र में उन्होंने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा राम मंदिर को लेकर दिए गए बयान का जिक्र किया है.

येचुरी की कम्पलेन के मुताबिक, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवादा, अजमेर और पीलीभीत में अपने भाषणों के दौरान विपक्षी पार्टियों को ‘राम मंदिर का विरोधी’, ‘भगवान राम के खिलाफ’ करार दिया. साथ ही ऐसे दलों पर ‘भगवान राम का अपमान’ करने का इल्जाम लगाया.

पीएम मोदी ने अपने भाषणों में कहा, ”इन लोगों को जनता से क्या दुश्मनी है? उन्हें ईश्वर राम से क्या दुश्मनी है? उन्हें अयोध्या से क्या दुश्मनी है? उन्हें हमारी संस्कृति से क्या दुश्मनी है? वे कहते हैं, यदि राम मंदिर बना तो हम उसे पवित्र नहीं होने देंगे, हम कठिनाई पैदा करेंगे.

शिकायत में 6 अप्रैल को अजमेर में एक भाषण के दौरान प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणियों की ओर इशारा किया गया है, जहां उन्होंने बोला था कि जो लोग मंदिर के अभिषेक के विरुद्ध हैं, वे आनें वाले रामनवमी कार्यक्रम का विरोध करेंगे. सीपीआईएम ने तर्क दिया कि इस तरह के बयान सियासी विरोधियों के विरुद्ध धार्मिक भावनाओं को भड़काने का एक कोशिश है, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है.

शिकायत में बोला गया है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषणों ने आदर्श आचार संहिता, विशेष रूप से सामान्य आचरण, खंड 1 और 3 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. इसके अतिरिक्त, येचुरी का दावा है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लगाए गए आरोपों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 ए के प्रावधान, धारा 505, साथ ही लोक अगुवाई अधिनियम, धारा 123लागू हो सकते हैं.

सीपीआई (एम) ने चुनाव आयोग से इस मुद्दे में तुरंत और निष्पक्ष रूप से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. उन्होंने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को रोकने और चुनाव के निष्पक्ष आचरण को सुनिश्चित करने के लिए कठोर कार्रवाई की मांग की है. पार्टी ने बोला कि कानून को बिना पक्षपात के लागू करने की आवश्यकता है, चाहे इसमें शामिल व्यक्तियों का कद कुछ भी हो.

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