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Glacier Melting: ग्लेशियर के पानी में डूब जाएगी दुनिया…

Glacier Melting: समुद्र के बढ़ते जलस्तर के खतरे पर आपने कई रिपोर्ट पढ़ी और देखी होंगी लेकिन क्या आपको पता है कि यदि समुद्र का जलस्तर बढ़ता चला गया तो पूरी धरती समुद्र के पानी में डूब जाएगी जब ऐसा होगा तो ना आप बचेंगे और ना हम अब प्रश्न ये है कि समुद्र का जलस्तर क्यों बढ़ रहा है और यदि ऐसा ही चलता रहा तो क्या होगा? आइये आपको इन सारे प्रश्नों को उत्तर बताते हैं

ग्लेशियर्स किसी भी प्राकृतिक आपदा से अधिक खतरनाक

आपने कई वीडियो देखें होंगे जिसमें बड़े-बड़े ग्लेशियर्स टूटकर गिर जाते हैं विश्वास मानिये ये पिघलते हुए ग्लेशियर्स किसी भी प्राकृतिक आपदा से अधिक घातक हैं क्योंकि भूकंप किसी खास क्षेत्र में आता है बाढ़-बारिश किसी खास क्षेत्र को प्रभावित करती है आप अधिक गर्मी पड़ने पर सहन कर सकते हैं अधिक सर्दी भी सहन की जा सकती है लेकिन ग्लेशियर्स का पिघलना इन सबमें अधिक बड़ी प्राकृतिक आपदा है जिसको लेकर Indian Space Research Organisation यानी ISRO ने एक रिपोर्ट जारी की है

ISRO की चौंकाने वाली रिपोर्ट

तस्वीरों के साथ ISRO ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष रेट वर्ष कैसे हिमालय की झीलों का आकार और जलस्तर बढ़ रहा है रिपोर्ट के अनुसार साल 1989 (नवासी) में जिस झील का आकार करीब 36 हेक्टेयर था, उसी झील का आकार वर्ष रेट वर्ष बढ़ते हुए, साल 2008 में 60 हेक्टेयर हो गया साल 2014 में हिमालय की यही झील 77.59 हेक्टेयर क्षेत्र में फैल गई थी लेकिन साल 2020 में झील का आकार 95 हेक्टेयर हो गया  फिर साल 2022 में साल 1989 (नवासी) के मुकाबले करीब तीन गुना बढ़कर 101 हेक्टेयर हो गया ISRO ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हिमालय की 601 झीलें दो गुना से अधिक बढ़ गई हैं 10 झीलें ऐसी हैं जिनका आकार डेढ से 2 गुना तक बढ़ा है जबकि 65 झीलों का आकार डेढ गुना तक बढ़ गया है

किसी भी समय झीलें फट सकती हैं

हिमालय में झीलों के बढ़ने की बड़ी वजह ग्लेशियर का तेजी से पिघलना है यदि इसी रफ्तार से हिमालय के ग्लेशियर पिघलते रहे तो झीलों का आकार इतना बढ़ जायेगा, कि किसी भी समय झीलें फट सकती हैं और किसी भी समय बड़ा संकट आ सकता है तेजी से ग्लेशियर पिघलने की सबसे बड़ी वजह धरती का बढ़ता तापमान है, नासा के अनुसार साल 1880 से अब तक धरती का औसत तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है जो अगले दो दशक में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है

सिक्किम की ल्होनक झील फटने से बड़ी तबाही हुई थी

धरती का तापमान बढ़ने का सीधा मतलब ये है कि आने वाले समय में ग्लेशियर और तेजी से पिघलेंगे ग्लेशियर पिघलने से कई तरह के खतरे हैं इससे हिमालय में झीलों के जलस्तर में बढोतरी होगी, जिससे झीलों के फटने का खतरा पैदा हो जायेगा ऐसा अक्टूबर 2023 में हो चुका था, तब सिक्किम की ल्होनक झील फटने से बड़ी तबाही हुई थी जिसमें 180 लोगों की जान चली गई और करीब 5 हज़ार करोड़ का हानि हुआ था अब हिमालय में 600 से अधिक झीलों का आकार दोगुना हो चुका है, ऐसा ग्लेशियर पिघने की वजह से हुआ है जो खतरे की घंटी है

गंभीर संकट खड़ा हो जायेगा

काठमांडू स्थित International Centre for Integrated Mountain Development की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि आने वाले कुछ सालों में पिघलते ग्लेशियर्स की वजह से एशिया के 12 से अधिक राष्ट्रों के करीब 2 अरब लोगों के लिए पीने के पानी का गंभीर संकट खड़ा हो जायेगा क्योंकि, ये ग्लेशियर एशिया की करीब 12 बड़ी नदियों के लिए जल का मुख्य साधन हैं इनमें गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र जैसे नदियां शामिल हैं ग्लेशियर पिघलने का खतरा केवल इतना नहीं है, बल्कि समुद्र का बढ़ता जलस्तर भी खतरे की घंटी है विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी WMO की रिपोर्ट के अनुसार साल 2013 से 2022 के बीच समुद्र का जलस्तर 4.62 मिलीमीटर की रेट से बढ़ा है जोकि साल 1993 से 2002 की रेट से दोगुना है समुद्र का जलस्तर बढ़ना कितना बड़ा खतरा है, उसे समझिये

United Nations की रिपोर्ट

United Nations की एक रिपोर्ट के अनुसार समुद्र का जलस्तर यदि इसी तरह से बढ़ता रहा तो साल 2100 तक 5 राष्ट्र समंदर में समा जाएंगे या रहने लायक नहीं बचेंगे विश्व बैंक और दूसरे संगठनों को संभावना है, कि मालदीव्स साल 2100 तक समंदर में समा सकता है इसकी वजह समुद्र का बढ़ता जलस्तर होगी आम लोगों को आज ये खतरा भले ही महसूस नहीं हो रहा है, वो ग्लेशियर के पिघलने और समुद्र के बढ़ते जलस्तर को लेकर बेफिक्र है लेकिन जिस तरह धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लेशियर पिघल रहे हैं वो चिंता की बात है और इसके निवारण के लिए काम करने की आवश्यकता है

समुद्र का बढ़ता जलस्तर

समुद्र का बढ़ता जलस्तर धरती के विनाश की बड़ी वजह बन सकता है, ऐसा धरती पर बढ़ते तापमान की वजह से होगा और धरती के तापमान में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह Carbon Dioxide का उत्सर्जन है साल 1940 में Carbon Dioxide का उत्सर्जन 5 बिलियन मैट्रिक टन था जोकि साल 2021 में 7 गुना बढ़कर 36 बिलियन मैट्रिक टन पहुंच चुका है पिछले कुछ दशकों में दुनिया में गाड़ियों का इस्तेमाल बढ़ा, हवाई जहाजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, इसके अतिरिक्त बिजली बनाने में कोयले के इस्तेमाल से पर्यावरण में greenhouse gases की मात्रा बढ़ी है जिससे धरती का तापमान बढ़ रहा है ऐसा होना चिंता की बात है, लेकिन धरती के बढ़ते तापमान को कैसे कम किया जा सकता है उसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे

जरूरी कदम उठाने होंगे

कॉर्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कम करना होगा फॉसिल फ्यूल जैसे (पेट्रोल, डीजल और कोयले) पर निर्भरता कम करनी होगी ग्रीन एनर्जी जैसे सोलर, विंड और न्यूक्लियर एनर्जी को बढ़ावा देना होगा इस दिशा में हिंदुस्तान समेत पूरे विश्व के राष्ट्र काम कर रहे हैं पिछले साल दिसंबर में Global Warming को लेकर कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ यानी COP28 का सम्मेलन हुआ था जिसका उद्देश्य ही बढ़ते तापमान को रोकना और इसका निवारण खोजना था

भारत उठा रहा महत्वपूर्ण कदम

इस सम्मेलन में सभी राष्ट्रों ने Global Warming से मिलकर निपटने के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किये थे, इनमें बढ़ते अंतरराष्ट्रीय तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस के दायरे में रखना तय हुआ था साल 2030 तक ग्रीन एनर्जी में तीन गुना वृद्धि करने का निर्णय लिया गया था साल 2030 तक मीथेन गैस उत्सर्जन कम करने का भी निर्णय हुआ था इसके अतिरिक्त सभी राष्ट्रों ने फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम करने की बात कही थी हिंदुस्तान दुनिया में बढ़ते तापमान को कंट्रोल करने की दिशा में काम कर रहा है हिंदुस्तान ने साल 2070 तक कॉर्बन नेट जीरो करने यानी जितना Carbon Dioxide का उत्सर्जन हो उतनी मात्रा में Carbon Dioxide हटाने का लक्ष्य रखा है जबकि चीन ने नेट जीरो के लिए साल 2060 का लक्ष्य तय किया है

भारत का रोडमैप

Global Warming की दिशा में हिंदुस्तान ने जो रोडमैप तैयार किया है, उसके अनुसार हिंदुस्तान ने साल 2030 तक Carbon Dioxide का उत्सर्जन 1 बिलियन टन तक कम करने का लक्ष्य रखा है हिंदुस्तान साल 2030 तक 500 गीगावाट ग्रीन एनर्जी के लक्ष्य को हासिल करना चाहता है, इसमें 280 गीगावाट सोलर एनर्जी और 140 गीगावाट विंड एनर्जी शामिल है इस समय हिंदुस्तान सालाना 70 गीगावाट सोलर एनर्जी का उत्पादन कर रहा है और दुनिया में पांचवें नंबर 1 पर है

Global warming गंभीर समस्या

केंद्र गवर्नमेंट ने पीएम सूर्योदय योजना के अनुसार एक करोड़ घरों में रुफटॉप सोलर लगाने का लक्ष्य रखा है Global warming जितनी गंभीर परेशानी बन चुकी है, उसे देखते हुए अब दुनिया को मिलकर इस परेशानी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने ही होंगे अन्यथा जिस खतरे का जिक्र हमने इस ख़बर की शुरूआत में किया था, वो खतरा दूर नहीं है

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