राष्ट्रीय

72 प्रतिशत भारतीय विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन घोटालों/धोखाधड़ी का हुए शिकार

मुंबई यूगोव ने नवंबर में एक ई-सर्वेक्षण किया जिसमें दावा किया गया है कि हाल के दिनों में 72 फीसदी भारतीय विभिन्न प्रकार के औनलाइन घोटालों/धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं

सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 20 फीसदी ने औनलाइन फर्जीवाड़ा में पैसे खोने की बात स्वीकार की, जबकि 47 फीसदी ने बोला कि परिवार के किसी सदस्य या दोस्त के साथ फर्जीवाड़ा की गई

लगभग 28 फीसदी उत्तरदाताओं ने तर्क दिया कि वे ऐसे औनलाइन ठगों से बच गए हैं, जबकि 10 फीसदी ने ‘पता नहीं’ मोड में उत्तर दिया

घोटाले फर्जी जॉब रैकेट, औनलाइन शॉपिंग, निवेश घोटाले, बैंक/कार्ड फ़िशिंग, लॉटरी या नकली पुरस्कार प्रस्ताव, सरकारी या सोशल मीडिया धोखा, फर्जीवाड़ा वाले ऋण, डेटिंग/रोमांस लालच और नकली दान आदि प्रकार के थे

सर्वेक्षण में औनलाइन शॉपिंग घोटाले सूची में टॉप (27 प्रतिशत) पर हैं इसके बाद लिस्ट में फर्जी जॉब की पेशकश (26 प्रतिशत), बैंक/कार्ड फ़िशिंग (21 प्रतिशत), निवेश घोटाले (18 प्रतिशत), सुन्दर लॉटरी फर्जीवाड़ा (18 प्रतिशत), सोशल मीडिया फर्जीवाड़ा और कर्ज प्रस्ताव (प्रत्येक 17 प्रतिशत), नकली दान और सरकारी फ़िशिंग (प्रत्येक 12 प्रतिशत) और डेटिंग ऐप फर्जीवाड़ा (11 प्रतिशत) है

टॉप तीन प्रकार की फर्जीवाड़ा में से, मिलेनियल्स औनलाइन शॉपिंग घोटालों से सबसे अधिक प्रभावित (33 प्रतिशत) हुए हैं, जबकि जेनजेड फर्जी नौकरी/रोज़गार प्रस्तावों से (31 प्रतिशत) प्रभावित हुआ है

हालांकि, बड़ी संख्या में भोले-भाले हिंदुस्तानियों को एक या एक से अधिक घोटालों में विश्वासघात दिया गया है, सिर्फ़ 30 फीसदी ने संबंधित ऑफिसरों को इसकी रिपोर्ट करने की जहमत उठाई और 48 फीसदी ने दावा किया कि 18 साल से अधिक उम्र के 1,022 लोगों को कवर करने वाले त्वरित सर्वेक्षण में उन्हें अपना पैसा वापस मिल गया

हालांकि, शेष लोगों ने ऐसे घोटालों में खोने की कम्पलेन नहीं की, जबकि 46 फीसदी ने बोला कि उन्हें अपना खोया हुआ पैसा वापस नहीं मिला

दोष तय करने के पहलू पर, 26 फीसदी चाहते हैं कि गवर्नमेंट घोटाले के हानि को वहन करे जबकि 23 फीसदी ने बोला कि उपभोक्ता उत्तरदायी हैं, 22 प्रतिशत का मानना है कि बैंकों को उनके घाटे की भरपाई करनी चाहिए और 4 प्रतिशत चाहते हैं कि टेलीकॉम कंपनियों को जवाबदेह बनाया जाए

 

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