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जालंधर के गुरभज सिंह बाने किसानों के लिए मिसाल, 15 साल से नहीं काटी पराली

जालंधर : पराली प्रबंधन से जहां जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है, वहीं फसलों की पैदावार भी बढ़ती है इसके उल्टा खेतों में पराली अवशेष जलाने से जहां भूमि की स्वास्थ्य खराब होती है, वहीं कई प्रकार के मित्र कीट भी आग की भेंट चढ़ जाते हैं यह सारा अनुभव पिछले कुछ सालों में खेतों में पराली प्रबंधन को लेकर आए सार्थक नतीजों से आया है यह बोलना है जिले के अलावलपुर कस्बे के निकट गांव सिकंदरपुर के प्रगतिशील किसान गुरभज सिंह का

‘पंजाबी जागरण’ से खास वार्ता में गुरभज सिंह ने कहा कि उनके पास करीब 55 एकड़ खेती है और वह 15 वर्ष से अपने खेतों में पराली की संभाल कर रहे हैं और उन्होंने कभी भी पराली को आग नहीं लगाई है इसका रिज़ल्ट अब प्रत्यक्ष रूप में उनके सामने आ गया है गुरभज सिंह बताते हैं कि वह 55 एकड़ में से 55 प्रतिशत में गन्ना और 30 प्रतिशत में आलू बोते हैं इसके अतिरिक्त वे गेहूं, धान और मक्का की भी खेती करते हैं जिन खेतों में पीली पाली है, वहां पराली दबाने से गेहूं, आलू और अन्य फसलों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है साथ ही फसलों में लगने वाले पानी की खपत भी कम होती है उन्होंने बोला कि अभी वे धान की फसल के बाद खेतों में बचे पुआल को जोतने के साथ ही गेहूं और आलू की फसल लगाने के लिए खेत तैयार कर रहे हैं इस काम के लिए वे रिवर्स सॉल्यूशन के अतिरिक्त सुपरसीडर और जीरो ड्रिल ड्रिल मशीन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं

गुरभज सिंह ने बोला कि जो किसान अपने खेतों में पराली के अवशेष जलाते हैं, उन किसानों से अपील है कि वे थोड़ा और कोशिश करके खेतों में पराली का मुनासिब प्रबंधन करके पर्यावरण को प्रदूषण से बचा सकते हैं भूमि की उर्वरता में उत्पादन बढ़ाकर किसान समृद्ध जीवन जी सकते हैं

अन्य किसानों के लिए उदाहरण प्रगतिशील किसान हैं

जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के मुख्य अधिकारी डाॅ जसवन्त राय का बोलना है कि गुरभज सिंह ने जहां पराली का मुनासिब प्रबंधन कर पर्यावरण को बचाने में सहयोग दिया है, वहीं खेती को फायदा का धंधा बनाकर आर्थिक समृद्धि की ओर कदम बढ़ाया है उन्होंने बोला कि जिले के अन्य किसानों को भी गुरभज सिंह और अन्य प्रगतिशील किसानों से मार्गदर्शन लेना चाहिए इससे जहां भूमि की उर्वरता बढ़ेगी, वहीं किसानों की आय भी बढ़ेगी

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