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लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों की बेटियां अपनों की सियासत की विरासत को बढ़ा रही हैं आगे

लोकसभा चुनाव में यूपी के विभिन्न इलाकों की बेटियां अपनों की राजनीति की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. किसी ने अपने माता पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी अपने कंधों पर उठाई है तो कोई स्वयं चुनावी मैदान में उतर कर परिवार का मान सम्मान बढ़ाने में लगी हैं. इस मुद्दे में सपा (सपा) अन्य पार्टियों से आगे है.

सपा ने बेटियों को लोकसभा का टिकट देकर उन पर अपना विश्वास जताया है. प्रस्तुत है कुछ प्रमुख बेटियों का सियासी यात्रा :

पूर्व केंद्रीय इस्पात मंत्री और समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बहुत करीबी रहे बेनी वर्मा की पौत्री श्रेया वर्मा को सपा ने गोंडा से टिकट दिया है. गोंडा के पड़ोसी जिला बाराबंकी की रहने वाली श्रेया ने स्कूली पढ़ाई वेल्हम गर्ल्स विद्यालय देहरादून से की है. दिल्ली के रामजस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ऑनर्स करने वाली श्रेया वर्मा ने राजनीति की शिक्षा अपने बाबा और पिता से ली है. उन्होंने ही इन्हें बारीकियों को सिखाया है. श्रेया के पिता राकेश वर्मा भी विधायक और राज्य गवर्नमेंट में मंत्री रहे हैं. वह कुछ वर्ष पहले समाजवादी पार्टी में आईं. उन्हें स्त्री सभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया. 2022 के चुनाव में अपने पिता राकेश वर्मा के प्रचार की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर थी. इसी अनुभव के बल पर वह गोंडा से अपना भाग्य आजमा रही हैं. उनके विरुद्ध बीजेपी के कीर्तिवर्धन सिंह चुनाव मैदान में हैं.

सुरक्षित सीट मछलीशहर से सपा ने अधिवक्ता प्रिया सरोज को टिकट दिया है. ये तीन बार के सांसद और वर्तमान 2022 में मछलीशहर की केराकत सीट से विधायक तूफानी सरोज की पुत्री हैं. कानून की पढ़ाई करने वाली प्रिया ने अब लोकसभा का रास्ता अख्तियार करने के लिए राजनीति का रास्ता चुना है.

दिल्ली के एयरफोर्स विद्यालय से 12वीं तक और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में ग्रेजुएशन करने वाली प्रिया सरोज ने 2022 में लॉ की पढ़ाई पूरी कर अभी उच्चतम न्यायालय में बतौर अधिवक्ता प्रैक्टिस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि वे प्रारम्भ से ही पिता के साथ राजनीति में एक्टिव रहीं हैं. यह दावा भी कर रहीं हैं कि वे संविधान बचाने के लिए चुनाव लड़ रहीं हैं. इनका बोलना है कि राजनीति में स्त्रियों को आगे आना चाहिए. अपने अधिकारों को समझने की आवश्यकता है. जब तक वह आगे नहीं आएंगी, तब तक उन्हें उनके अधिकार के बारे में पता नहीं चलेगा.

भाजपा पर हमलावर प्रिया कहती हैं कि प्रवर्तन निदेशालय और CBI का डर दिखाकर बीजेपी विपक्ष को परेशान कर रही है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट से पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन को समाजवादी पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है. इकरा हसन पिछले कई वर्षों से कैराना क्षेत्र की राजनीति में एक्टिव हैं. वह पूर्व सांसद तबस्सुम हसन की बेटी हैं और कैराना से समाजवादी पार्टी विधायक नाहिद हसन उनके बड़े भाई हैं. लंदन की यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा हासिल करने वाली इकरा हसन ने साल 2022 में अपने भाई के कारावास जाने के बाद उनके प्रचार की कमान संभाली थी और जितवाया भी.

इकरा हसन पूर्व में जिला पंचायत सदस्य पद पर अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं. इस बार वह कैराना से चुनाव मैदान में हैं. इनके विरुद्ध बीजेपी के प्रदीप चौधरी हैं. इनके क्षेत्र में पहले ही चरण में चुनाव हो चुका है और इनकी किस्मत ईवीएम में बंद हो गई है.

पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव मैनपुरी से चुनाव मैदान में हैं. मैनपुरी से यह उनकी दूसरी पारी है. इस बार उनकी बेटी अदिति यादव भी मां के लिए जनता के बीच जाकर वोट मांग रहीं हैं. अदिति के प्रचार-प्रसार से डिंपल यादव को मतदाताओं का काफी सपोर्ट मिल रहा है. अदिति बड़े बुजुर्गों से वोट की अपील कर रही हैं. अदिति यादव लंदन से पढ़ाई कर रही है. कभी मां के साथ तो कभी उनके बिना प्रचार कर रही है. इस दौरान उनके कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.

डिंपल का बोलना है कि मां-बेटी का रिश्ता एक दूसरे के योगदान का होता है. इसी कारण मेरी बेटी यहां हमारा योगदान करने आई है.

गाजीपुर से पांच बार विधायक और दो बार सांसद बने समाजवादी पार्टी प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने अपनी बेटी नुसरत अंसारी की भी राजनीति में एंट्री करा दी है, जो अपने पिता की जीत के लिए प्रचार करती देखी जा रही है. बीते दिनों शिव मंदिर में जाकर उन्होंने पूजा-अर्चना की. स्त्रियों के साथ बैठकर कीर्तन भी किया.

अफजाल अंसारी का बोलना है कि हमारी बेटियों में बहुत हौसला है. बेटियां किसी से कम नहीं हैं, बस उन्हें अवसर मिलने की आवश्यकता है. कहा जा रहा है कि यदि समाजवादी पार्टी उम्मीदवार को कोई कानूनी अड़चन आती है तो उनकी बेटी को यहां से उम्मीदवार बनाया जा सकता है.

 

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