राष्ट्रीय

यूनिवर्सिटी की एक गलती ने छात्र के बर्बाद कर दिए 12 साल

Jawaharlal Nehru University : जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के एक विद्यार्थी बलबीर चंद को वर्ष 2011 में निष्कासित कर दिया गया था इल्जाम लगा लगा था रैगिंग करने का इस विद्यार्थी को 12 वर्ष लंबी जंग लड़ने के बाद फिर से पढ़ने का अधिकार मिला गया है दिल्ली उच्च न्यायालय ने विद्यार्थी के निष्कासन को अवैध करार दिया है साथ ही आदेश दिया है कि यूनिवर्सिटी विद्यार्थी को उसका कोर्स यानी एमसीए पूरा करने के लिए मुनासिब कदम उठाए

मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस सी हरीशंकर की बेंच ने विद्यार्थी की याचिका को न्यायसंगत माना बेंच ने बोला कि जेएनयू ने प्राकृतिक इन्साफ और निष्पक्ष प्रणाली के सिद्धांतों का मजाक उड़ाया है यूनिवर्सिटी ने पहले से तय मंशा से विद्यार्थी के विरुद्ध कार्रवाई की जिसकी वजह से विद्यार्थी एमसीए कोर्स पूरा नहीं कर सका बेंच ने जेएनयू से बोला कि विद्यार्थी को अपना कोर्स पूरा करने की अनुमति दी जाए

आपत्ति वीडियो के आधार पर की गई थी कार्रवाई

जेएनयू प्रशासन ने विद्यार्थी के लैपटॉप में आपत्तिजनक वीडियो होने का इल्जाम लगाया था यह घटना वर्ष 2011 की है प्रशासन ने रैगिंग का इल्जाम लगाते हुए बोला था कि विद्यार्थी ने अपने लैपटॉप में कुछ आपत्तिजनक फोटोग्राफ रखे हैं इसके आधार पर विद्यार्थी को 24 घंटे के भीतर हॉस्टल खाली करने, कोर्स से निष्कासित करने और किसी अन्य विद्यार्थी द्वारा शरण न देने की हिदायत दी गई थी

अब दो वर्ष का हो गया है एमसीए

पिछले 12 वर्ष में एमसीए कोर्स में भी परिवर्तन हो गया है वर्ष 2011 में एमसीए तीन वर्ष का हुआ करता था निष्कासन के समय विद्यार्थी एमसीएस सेकेंड ईयर में पढ़ाई कर रहा था लेकिन अब यह कोर्स दो वर्ष का हो गया है न्यायालय ने जेएनयू प्रशासन से अपने स्तर पर विद्यार्थी को सर्वोत्तम ढंग से कोर्स पूरा करने की प्रबंध करने का आदेश दिया है

Related Articles

Back to top button