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पहले गांवों में महिलाएं गाय-भैंस चराने का काम करती थीं, आज वे उड़ा रही ड्रोन: पीएम मोदी

PM Modi Bill Gates Interview : दुनिया के जाने-मारे अरबपति बिल गेट्स इस महीने की आरंभ में हिंदुस्तान आए थे. इस दौरान बिल गेट्स ने पीएम मोदी से भी वार्ता की. दोनों की इस वार्ता का वीडियो शुक्रवार को जारी किया गया है. इस वार्ता में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और बिल गेट्स ने एआई, हेल्थकेयर, डिजिटल रेवोल्यूशन, एजुकेशन, क्लाइमेट चेंज, एग्रीकल्चर, नारी शक्ति और गवर्नेंस सहित कई मुद्दों पर चर्चा की. इस वार्ता में पीएम ने ड्रोन दीदी स्कीम (Drone Didi scheme ) की भी चर्चा की. पीएम ने कहा, ‘पहले गांवों में महिलाएं गाय-भैंस चराने जैसे काम ही करती थीं, आज वे ड्रोन उड़ा रही हैं.

3 करोड़ स्त्रियों को बनाना है लखपति दीदी

पीएम ने कहा, ‘जब मैं दुनिया में डिजिटल डिवाइड की बात सुनता था, तो मैं सोचता था कि मैं मेरे राष्ट्र में ऐसा एकदम नहीं होने दूंगा कि डिजिटल डिवाइड हो. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर अपने आप में बहुत बड़ी आवश्यकता है. आज में अपने गांवों में डिजिटल फैसिलिटी पहुंचाना चाहता हूं. मुझे लगता है कि महिलाएं बहुत बड़ा टार्गेट ग्रुप है. वे नयी चीजों को बहुत शीघ्र स्वीकार करती हैं, तो उनके अनुकूल मैं कौनसी चीजों को उन तक पहुंचा सकता हूं. मैंने एक कार्यक्रम लिया है- नमो ड्रोन दीदी. इसके पीछे मेरे दो लक्ष्य हैं. मैं हिंदुस्तान के गांवों में 3 करोड़ स्त्रियों को लखपति दीदी बनाना चाहता हूं, वो भी गरीब परिवार की स्त्रियों को. दूसरा- क्या गांवों में महिलाएं केवल यही काम करेंगी- गाय चराएगीं, भैंस चराएगीं. नहीं. मैं उनके हाथ में टेक्नोलॉजी देना चाहता हूं. सब लोगों को लगना चाहिए कि ये अपने गांव को बदल देंगी. एग्रीकल्चर को मैं आधुनिक बनाना चाहता हूं. मैं जब ड्रोन दीदी से बात करता हूं, तो वे कहती हैं कि पहले हमें साइकिल चलाना नहीं आता था, अब हम पायलट बन गई हैं, ड्रोन चलाते हैं, तो सोचने का तरीका बदल गया है.

क्या है ड्रोन दीदी स्कीम?

मोदी गवर्नमेंट ने वर्ष 2023 में ड्रोन दीदी स्कीम प्रारम्भ की थी. इसका उद्देश्य स्त्रियों को एग्रिकल्चर सेक्टर में सशक्त बनाना है. इस स्कीम में स्त्रियों को एग्रीकल्चर ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है. स्त्रियों को ड्रोन के रखरखाव और डेटा विश्लेषण की ट्रेनिंग भी दी जाती है. ट्रेनिंग में स्त्रियों को सिखाया जाता है कि वे अपनी फसलों को कीटनाशकों से कैसे बचा सकती हैं. साथ ही बीज बुआई और उर्वरकों के छिड़काव का तरीका भी सिखाया जाता है. इस तरह स्त्रियों को भिन्न-भिन्न कृषि कार्यों के लिए ट्रेंड किया जाता है.

दिये जाते हैं 15 हजार रुपये

स्कीम में स्त्रियों को 15 दिन ट्रेनिंग दी जाती है. साथ ही उन्हें 15 हजार रुपये भी दिये जाते हैं. स्वयं सहयता ग्रुप से जुड़ी हुईं 18 वर्ष या इससे अधिक उम्र की महिलाएं इस स्कीम का हिस्सा बन सकती हैं. निम्न आर्थिक वर्ग की महिलाएं ही इस स्कीम में आवेदन कर सकती हैं.

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