जोधपुर के हाईकोर्ट से मासूम के हत्यारे की फांसी की सजा पर रोक से पीड़ित परिवार हैरान
जोधपुर के उच्च न्यायालय में शुक्रवार को न्यायधीश ने आठ वर्षीय मासूम के हत्यारे की फांसी की सजा को खारिज कर दिया। राजस्थान उच्च न्यायालय न्यायधीश पुष्पेन्द्र सिंह भाटी और राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने फांसी की सजा के विरुद्ध पेश अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया। इस अपील में आरोपी की तरफ से मृत्युदंड की सजा को कम करने की अपील की गई थी,
हाईकोर्ट न्यायधीश पुष्पेन्द्र सिंह भाटी और राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने अपील को स्वीकार करते हुए उसे 30 वर्ष जेल में बदल दिया। जजों ने ने अपने निर्णय में बोला कि, क्राइम की प्रकृति अत्यंत दुर्लभ है। जघन्य मर्डर का यह मुद्दा दुर्लभतम की श्रेणी में आता है।
बता दें कि उच्च न्यायालय खंडपीठ में नोकाराम उर्फ भारमाराम की ओर से दाखिल की अपील और गवर्नमेंट की ओर से मृत्युदंड की पुष्टि के लिए पेश रेफरेंस पर सुनवाई की गई थी। अपीलकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विनीत जैन और राजीव विश्नोई ने न्यायालय को योगदान किया। साथ ही गवर्नमेंट की ओर से आरआर छपरवाल ने पैरवी की।
कोर्ट के सामने वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपील में कहा गया कि, सिरोही की पॉक्सो न्यायालय ने 27 सितम्बर 2021 को आरोपी नोकाराम को पोक्सो एक्ट में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। पेशी के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने न्यायालय में पूर्व निर्धारित उच्चतम न्यायालय और अन्य उच्च न्यायालय के निर्णयों को भी सुनवाई के दौरान रखा | साथ में आरोपी का पक्ष रखते हुए बोला कि वह केवल 24 वर्ष का है। उसका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है।
कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद आरोपी की अपील को आंशिक रूप से जजों की खंडपीठ ने स्वीकार करते हुए मृत्युदंड की सजा को 30 साल जेल में बदलते हुए मुद्दे को निबटाया।
अपनी पर निर्णय देते समय न्यायालय ने यह भी बोला कि, पीड़ित परिवार को पीड़ित प्रतिकर स्कीम के अनुसार अधिकतम मुआवजा दिया जाए।साथ ही आरोपी की सजा को 30 साल जेल बिना किसी पैरोल और समयपूर्व रिहाई नहीं देने का आदेश दिया।
दरअसल, अपीलकर्ता पर सिरोही के अनादरा में एक आठ वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार की घटना कारित करने के बाद उसे गला घोटकर कर मार दिया था।