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छूट गई वन टाइम वेरिफिकेशन योजना, अब तीन साल बाद भी शुरू होने की उम्मीद नहीं…

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2021 में वन टाइम वेरिफिकेशन की घोषणा की थी इसे राजस्थान लोक सेवा आयोग, कर्मचारी सेवा बोर्ड में लॉन्च किया जाना था. लेकिन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गयी भर्ती परीक्षाओं में बार-बार डॉक्यूमेंट्स जांचने और पुलिस वेरिफिकेशन समाप्त करने की मंशा तीन वर्ष से अटकी हुई है. कांग्रेस पार्टी राज की एकमुश्त सत्यापन योजना अभी गायब है. अभी भी आगे कोई आशा नहीं आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड, आरएएस और अधीनस्थ सेवा भर्ती परीक्षा सहित कॉलेज व्याख्याता, विद्यालय व्याख्याता भर्ती परीक्षा, कृषि, जेल, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, जूनियर क्लर्क, लैब तकनीशियन, जूनियर अकाउंटेंट और अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करता है. इनके लिए अभ्यर्थी औनलाइन फॉर्म के माध्यम से शुल्क जमा करते हैं.

बार-बार होती है दस्तावेजों की जांच वर्तमान में भर्ती परीक्षाओं में सफल होने वाले अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच साक्षात्कार या काउंसलिंग में की जाती है. इसके लिए अभ्यर्थियों को मूल शैक्षणिक, सह-शैक्षिक डॉक्यूमेंट्स और उनकी फोटो कॉपी लानी होगी. यह हर भर्ती परीक्षा को पास करने की प्रक्रिया है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा…

प्रत्येक भर्ती परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों को बार-बार आवेदन करना पड़ता है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2021 में वन टाइम वेरिफिकेशन की घोषणा की थी राजस्थान लोक सेवा आयोग, कर्मचारी सेवा बोर्ड को तुरंत प्रारम्भ करना था. यह योजना यूपीएससी समेत देशभर के राज्य लोक आयोगों के लिए एक मॉडल बन सकती है. भविष्य में इसे कब लागू किया जाएगा, यह बोलना अभी कठिन है.

कोई प्रोग्राम नहीं बनाया जा सका

सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग एवं अन्य संस्थानों के स्तर पर कोई एकमुश्त सत्यापन कार्यक्रम नहीं बनाया गया है. तीन वर्ष में भी राज्य गवर्नमेंट और संस्थाओं के स्तर पर कोई कोशिश नहीं किये गये इसके कारण एक जरूरी योजना क्रियान्वित नहीं हो सकी इस योजना से भर्ती एजेंसियां ​​शुरू हो जाएंगी और अभ्यर्थियों को काफी फायदा मिल सकेगा. दस्तावेजों को बार-बार जांचना या फर्जी डिग्री-मार्कशीट पकड़ना भी सरल था.

विशेषज्ञों ने कई जटिलताएं गिनाईं

– सभी विश्वविद्यालयों के 50 वर्ष के डिग्री-सर्टिफिकेट ऑनलाइन
– आवेदकों-उम्मीदवारों के लिए डिजिलॉकर
– 50 वर्ष के परिणाम का डेटा औनलाइन है
– आरपीएससी के पास सारा डेटा औनलाइन है
– प्रशिक्षित कर्मचारी और तकनीकी सहायता प्रणाली

ये हैं वन टाइम वेरिफिकेशन के फायदे

– उम्मीदवारों के दस्तावेज़ खोने का कोई जोखिम नहीं है
– भर्ती परीक्षाओं, काउंसलिंग, नियुक्तियों के दौरान बार-बार सत्यापन से छूट
शक होने पर मूल दस्तावेज़ से मिलान करना आसान
– अभ्यर्थियों के लिए डिजिलॉकर सुविधा बनाई जा सकती है

तथ्यों की फ़ाइल

भर्ती संस्थानों में आवेदन- 1.50 करोड़
परीक्षा शुल्क से कमाई- 100 करोड़
बड़ी परीक्षाओं में खर्च- 40 से 50 लाख
छोटी परीक्षाओं में खर्च- 20 से 30 लाख
काउंसलिंग में खर्च- 15 से 20 लाख

एक बार सत्यापन के लिए एक कार्यक्रम बनाने और लागू करने की जरूरत है. इससे भर्ती संस्थानों और अभ्यर्थियों को सुविधा होगी. डिग्री-मार्कशीट और परिणाम डेटा को डिजिटल रिकॉर्ड में भी बदला जा सकता है. इसके लिए कई तकनीकी संस्थान सेवाएं दे रहे हैं.

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