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अमेरिका में भारत के राजदूत रह चुके तरणजीत सिंह संधू ने थामा BJP का दामन

Who is Taranjit Singh Sandhu: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी पार्टियां धीरे-धीरे अपने पत्ते खोल रही हैं बीजेपी (BJP) लगातार पंजाब में पार्टी के विस्तार अभियान में जुटी है और मंगलवार को पार्टी को एक और सफलता मिल गई अमेरिका में हिंदुस्तान के राजदूत रह चुके पूर्व आईएफएस अधिकारी तरणजीत सिंह संधू ने भाजपा का दामन थाम लिया है भाजपा को आशा है कि तरणजीत सिंह संधू के शामिल होने से पार्टी पंजाब में और अधिक मजबूत होगी तरणजीत सिंह संधू अमेरिका में हिंदुस्तान की आवाज रहे हैं, जिनका फैमिली बैकग्राउंड कांग्रेस पार्टी से रहा है

1988 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं संधू

तरणजीत सिंह संधू 1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी हैं और इसी वर्ष 1 फरवरी को रिटायर हुए हैं 23 जनवरी 1963 को जन्मे संधू ने तीन मौकों पर अमेरिका में सेवा दी है वह 1990 के दशक में पोखरण परीक्षण के दौरान एक जूनियर राजनयिक थे और बाद में मिशन के उप प्रमुख और राजदूत के रूप में काम किया संधू को वॉशिंगटन डीसी के साथ नयी दिल्ली के संबंधों को मधुर करने में जरूरी किरदार निभाने का श्रेय दिया जाता है, जो 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद खराब हो गए थे भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव (राजनीतिक) के रूप में वह एक प्रमुख आदमी थे, जब अमेरिकी कांग्रेस पार्टी ने कारगिल युद्ध में पाक की किरदार की आलोचना करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था संधू को अमेरिकी सियासी और प्रशासनिक ढांचे में पार्टी लाइनों से परे अपने नेटवर्क के लिए जाना जाता है, चाहे डेमोक्रेट हो या रिपब्लिकन

तरणजीत सिंह संधू ने पिछले वर्ष जून में पीएम मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा और सितंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की हिंदुस्तान यात्रा के आयोजन में जरूरी किरदार निभाई थी बोला जाता है कि 2014 और 2016 में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्राओं के दौरान संधू ने सोशल मीडिया के असर को खुलासा करने के लिए इसका इस्तेमाल करने में जरूरी किरदार निभाई थी

संधू के दादा रहे हैं कांग्रेसी

तरणजीत सिंह संधू के दादा तेजा सिंह समुंद्री कांग्रेसी नेता और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के संस्थापक सदस्य थे, जिन्हें गुरुद्वारा सुधार आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में उनकी किरदार के लिए अंग्रेजों द्वारा कारावास भेजा गया था संधू अपने दादा तेजा सिंह समुंद्री के बाद राजनीति में शामिल होने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैंसंधू की पत्नी रीनत संधू भी राजनयिक हैं और वर्तमान में नीदरलैंड में हिंदुस्तान की राजदूत हैं रीनत इससे पहले इटली में भारतीय दूत थीं

तरनतारन जिले के राय बुर्ज गांव के रहने वाले संधू अपने माता-पिता के नक्शेकदम पर चल रहे हैं, जो अमेरिका से अमृतसर लौट आए थे संधू के पिता बिशन सिंह समुंद्री गुरु नानक यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति थे और उन्होंने अमृतसर में खालसा कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में भी काम किया था उनकी मां जगजीत कौर संधू ने अमेरिका में डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की और अमृतसर के सरकारी स्त्री कॉलेज में प्रिंसिपल के रूप में सेवा करने के लिए लौट आईं

संधू को अमृतसर से उतार सकती है बीजेपी

तरणजीत सिंह संधू के बीजेपी में शामिल होने के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि पार्टी उन्हें अमृतसर से लोकसभा चुनाव में उतार सकती है अमृतसर सीट पर भाजपा से लगातार 3 चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है 2014 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अरुण जेटली को हराया था इसके बाद 2017 के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी के गुरजीत सिंह औजला ने जीत दर्ज की इसके बाद 2019 के आम चुनाव में गुरजीत सिंह औजला ने भाजपा के हरदीप सिंह पुरी को हरा दिया इससे पहले 2004 लोकसभा चुनाव, 2007 उपचुनाव और 2009 लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू ने जीत दर्ज की थी

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