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IIT कानपुर में एक महीने में 3 छात्रों ने की आत्महत्या, ये है छात्रों के आत्महत्या के प्रमुख कारण

भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक आईआईटी कानपुर में बीते एक महीने में तीन विद्यार्थियों की कथित खुदकुशी की समाचार ने पूरे राष्ट्र को झकझोर दिया है ताजा मुद्दा गुरुवार का है, जहां पीएचडी की छात्रा ने हॉस्टल में फांसी लगाकर आत्यहत्या कर ली जानकारी के अनुसार, मृतक छात्रा बीते 29 दिसंबर 2023 को संस्थान में दाखिला लिया था

यह घटना न केवल शिक्षा जगत के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है हमें यह समझने की आवश्यकता है कि ऐसे प्रतिभाशाली और होनहार युवा इतना बड़ा कदम क्यों उठा लेते हैं और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कोशिश किए जा सकते हैं

छात्रों के खुदकुशी के प्रमुख कारण

अत्याधिक दबाव
आईआईटी जैसे संस्थानों में प्रवेश पाना ही एक बड़ी उपलब्धि होती है इसके बाद लगातार अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव, प्रतियोगी माहौल और परीक्षा का तनाव विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है

अकेलापन
हो सकता है कि नए परिवेश में घुलने-मिलने में कठिनाई, दोस्ती न बन पाना और परिवार और मित्रों से दूरी के कारण विद्यार्थी अकेलापन महसूस करें यह इमोशनल अलगाव उन्हें हताश कर सकता है

अकादमिक असफलता का डर
कुछ विद्यार्थियों को लगता है कि वे संस्थान की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाएंगे या परीक्षा में असफल हो जाएंगे यह डर और चिंता उनके आत्मविश्वास को कम कर सकती है और हताशा का कारण बन सकती है

इस परेशानी से निपटने के उपाय
– संस्थानों को मेंटल हेल्थ के प्रति जागरूकता बढ़ाने के कार्यक्रम चलाने चाहिए विद्यार्थियों को समझाएं कि मेंटल हेल्थ शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही जरूरी है और इसकी परेशानी उतनी ही आम है
– संस्थानों में सरलता से मौजूद और सुलभ परामर्श सेवाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए एक्सपर्ट काउंसलरों की नियुक्ति से विद्यार्थी अपनी समस्याओं को शेयर करने में अधिक आसान महसूस करेंगे
– शिक्षकों, सहपाठियों और पैरेंट्स को माहौल ऐसा बनाना चाहिए, जहां विद्यार्थी बिना किसी डर के अपनी कठिनाई बता सकें और उन्हें सिंपैथी और सपोर्ट मिले
शोध के प्रति पॉजिटिव दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है अकादमिक कामयाबी को ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य न मानते हुए अन्य रुचियों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए
– मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को छिपाने की बजाय उन्हें उसी तरह स्वीकार करने और उनका निवारण ढूंढने की सामाजिक मानसिकता बनाना महत्वपूर्ण है

 

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