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19 अप्रैल को शुक्रवार और एकादशी का योग: विष्णु जी और लक्ष्मी के साथ करें शुक्र ग्रह की पूजा

शुक्रवार, 19 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसे कामदा एकादशी कहते हैं. ये व्रत भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करता है, ऐसी मान्यता है. इसी वजह से इसे कामदा एकादशी बोला जाता है. शुक्र और एकादशी के योग में व्रत-उपवास, ईश्वर विष्णु और लक्ष्मी जी के साथ ही शुक्र ग्रह की भी विशेष पूजा करनी चाहिए.

जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं मनीष शर्मा के मुताबिक, शुक्रवार और एकादशी के योग में विष्णु जी के साथ ही शुक्र की पूजा जरूर करें. विष्णु पूजा में मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते रहें. विष्णु जी की पूजा के बाद शुक्र ग्रह की पूजा करें और मंत्र ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः का जप करें.

एकादशी पर ईश्वर विष्णु और उनके अवतारों से जुड़े ग्रंथों का पाठ करें. श्रीकृष्ण, श्रीराम की कथाएं पढ़ें-सुनें. किसी संत के प्रवचन सुन सकते हैं. कृं कृष्णाय नम:, रां रामाय नम: और श्रीराम, श्रीकृष्ण के नामों का भी जप कर सकते हैं. मंत्र जप कम से कम 108 बार करें.

दिन की आरंभ सूर्य पूजा से करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा. सुबह शीघ्र उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें. ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें.

ध्यान रखें ईश्वर विष्णु और श्रीकृष्ण को तुलसी के बिना भोग नहीं लगाना चाहिए. तुलसी के बिना इनकी पूजा पूरी नहीं होती है. तुलसी के साथ विष्णु जी के स्वरूप शालीग्राम की पूजा कर सकते हैं.

एकादशी की सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं. शाम को सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें.

ये है एकादशी व्रत करने की आसान विधि

जो लोग एकादशी पर व्रत करते हैं, उन्हें दिनभर अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. दिनभर ईश्वर का ध्यान करें.

जिन लोगों के लिए भूखे रहना संभव नहीं है, उन्हों फलों का रस, दूध और मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए.

जरूरतमंद लोगों को फलाहार का दान करें. एकादशी की सुबह-शाम विष्णु जी की पूजा करें.

अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह विष्णु पूजा करें. जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं, इसके बाद व्रत करने वाले भक्त को भोजन करना चाहिए. इस तरह एकादशी व्रत पूरा होता है.

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