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भगत सिंह को शुरू में आजीवन कारावास की मिली सजा

अविभाजित हिंदुस्तान के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव- की 93वीं बरसी पर यहां शनिवार को उनके समर्थकों और अनुयायियों ने उन्हें इन्साफ सुनिश्चित करने के लिए उनका केस उसी तरह फिर से प्रारम्भ करने की मांग की, जैसा पूर्व पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के मुद्दे में किया गया.

ब्रिटिश शासकों ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को हुकूमत के विरुद्ध षड्यंत्र रचने के इल्जाम में केस चलाने के बाद 23 मार्च, 1931 को यहां शादमान चौक पर फांसी दे दी थी.

भगत सिंह को प्रारम्भ में जीवन भर जेल की सजा दी गई थी, लेकिन बाद में एक और मनगढ़ंत मुद्दे में मृत्यु की सजा सुनाई गई. उन्हें पूरे उपमहाद्वीप में न सिर्फ़ सिख और हिन्दू, बल्कि मुस्लिम भी सम्मान की नजर से देखते हैं.

भगत सिंह की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने बैनर लेकर और नारे लगाते हुए शहीद-ए-आजम के लिए इन्साफ की मांग की.
इस अवसर पर भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन, पाक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शादमान चौक पर मोमबत्तियां जलाई गईं.

कार्यक्रम के दौरान एक प्रस्ताव भी पारित किया गया, जिसमें कोर्ट से भगत सिंह के मुद्दे की सुनवाई फिर से उसी तरह करने और उन्हें इन्साफ देने का आग्रह किया गया, जैसा जुल्फिकार अली भुट्टो के लिए किया गया था.

भुट्टो को 40 वर्ष से भी अधिक समय पहले एक दिखावटी न्यायिक मुकदमे के माध्यम से फांसी दे दी गई थी.
पाकिस्तान की संसद ने 13 मार्च को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें पाक पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के संस्थापक भुट्टो को दी गई मृत्यु की सजा को पलटने की मांग की गई, जिन्हें 1979 में जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक के सेना शासन द्वारा फांसी दी गई थी.

शनिवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान पारित प्रस्ताव में पाक के पीएम शहबाज शरीफ से तीनों वीर सपूतों को राष्ट्रीय नायकों का दर्जा देने का निवेदन किया गया, इतना ही नहीं, भगत सिंह को पाक के शीर्ष बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की भी मांग की गयी.

प्रस्ताव में शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर करने की भी मांग की गई. यह मुद्दा पहले से ही विचाराधीन है.
इस अवसर पर फाउंडेशन के अध्यक्ष अधिवक्ता इम्तियाज रशीद कुरैशी ने बोला कि पाक और हिंदुस्तान के बीच शांति समय की मांग है, जिससे लाखों लोगों को लाभ होगा.

कुरैशी ने बोला कि गवर्नमेंट को युद्ध नायकों के बलिदान को मान्यता देनी चाहिए. उन्होंने बोला कि उनका फाउंडेशन भगत सिंह का मुद्दा तब तक लड़ना जारी रखेगा जब तक उन्हें (शहीद-ए-आजम) को यहां मुनासिब दर्जा नहीं मिल जाता, जहां उन्हें फांसी दी गई थी.

 



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