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‘इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस’ के अवसर पर जानिए खुश रहने के तरीके

आज पूरी दुनिया में ‘इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस’ मनाया जाता है. ये वह अवसर है जो हमें याद दिलाता है कि आखिर हम कितने खुशहाल हैं. आज स्वयं से ये प्रश्न पूछने का दिन है कि क्या हम खुश रहने की पहल करते हैं?

खुश रहना एक कला है जो कठिन समय में भी मुस्कुराने का हैसला देती है. ‘इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस’ के अवसर पर रिलेशनशिप एक्सपर्ट डाक्टर माधवी सेठ बता रही हैं खुश रहने के तरीके.

भारतीय खुश क्यों नहीं हैं?

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2013 में फिनलैंड सबसे खुशहाल राष्ट्र कहा गया है. फिनलैंड को लगातार छठवीं बार पहला जगह मिला. फिनलैंड, डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन और नॉर्वे दुनिया के सबसे खुशहाल राष्ट्र हैं. हैप्पीनेस की इस रिपोर्ट में हिंदुस्तान 125वें जगह पर है. खुशहाल राष्ट्रों की श्रेणी में हिंदुस्तान बहुत पीछे है. आखिर हम खुशहाल क्यों नहीं हैं?

रिपोर्ट के मुताबिक, खुशहाल राष्ट्रों की श्रेणी में हिंदुस्तान बहुत पीछे है. हमारे राष्ट्र में रहने वाले लोग तनाव में अधिक रहते हैं. आखिर इसकी वजह क्या है?

रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदुस्तान के लोग तनाव में अधिक रहते हैं, जिसके कारण यहां अवसादग्रस्त लोगों और दिल मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हिंदुस्तान में भ्र्ष्टाचार और क्राइम के मुद्दे अधिक हैं. इसकी वजह से अन्य कई राष्ट्रों के मुकाबले हिंदुस्तानियों में सुरक्षा की भावना कम पाई जाती है.

खुश रहना एक कला है

खुशी के लिए ये बोला जाता है कि आपका वो दिन सबसे खराब होता है जिस दिन आप हंसते नहीं. आप चाहे कितने ही तनाव में क्यों न हों, दिनभर में कम से कम एक बार खुलकर हंसने का अवसर तलाशें. खुश रहना एक कला है. कुछ लोग कठिन समय में भी खुश रहते हैं और कुछ सबकुछ होते हुए भी दुखी होने का बहाना ढूंढते रहते हैं.

हैसियत से बड़ी है खुशी

खुशी का अमीरी या गरीबी से कोई लेना देना नहीं होता. करोड़ों की सम्पत्ति होते हुए कई लोग खुश नहीं रह पाते और कई लोग छोटी छोटी बातों में खुशियां तलाशते हैं. खुश रहना एक ऐसी आदत है जो आपके साथ साथ आसपास के लोगों के चेहरे पर भी मुस्कान ला देती है. खुश रहना है तो छोटी छोटी बातों पर आहत होना छोड़ दें. आदमी का अहम् ही अक्सर उसके तनाव की वजह बनता है.

खुश रहना क्यों जरूरी?

खुशी एक ऐसी खुराक है जो हर आदमी की जीवन को खुशहाल बना देती है. हर आदमी का खुश रहने का तरीका अलग हो सकता है, लेकिन खुश रहना सबके लिए महत्वपूर्ण है. जीवन में अगले पल क्या होने वाला है, ये हम नहीं जानते. हम न तो अपना अतीत बदल सकते हैं और न ही भविष्य जानते हैं. हमारा कंट्रोल केवल अपने वर्तमान पर होता है. इसलिए जीवन के हर पल को भरपूर जीना और खुशी के बहाने तलाशना महत्वपूर्ण है.

खुद से प्यार करें

खुश रहने के लिए सबसे पहले स्वयं से प्यार करना बहुत महत्वपूर्ण है. जो लोग स्वयं से प्यार करते हैं, हमेशा खुश रहते हैं, वो दूसरों को भी हंसता-मुस्कुराता देखना चाहते हैं. स्वयं को खुश रखना सीखें. जिन चीजों से आपको खुशी मिलती है उन्हें अपने आसपास रखें.

खुशी के बहाने तलाशें

आपको जिन चीजों से खुशी मिलती है उन्हें जरूर करें. सुबह उठते ही स्वयं को आईने में निहारें और कहें कि आप दुनिया के सबसे खुशहाल आदमी हैं. इससे आपको पॉजिटिव एनर्जी मिलेगी. हमेशा गंभीर मुद्रा में न रहें, कभी-कभी बच्चों की तरह खिलखिलाएं, उछलकूद करें, अपना रूम बंद करके झूमकर नाचे-गाएं, दोस्तों से मिलें, अपने शौक के लिए समय निकालें, छोटी-छोटी बातों खुशियां तलाशें.

खुशी के मंत्र

अपनी छोटी छोटी सफलता को सेलिब्रेट करना सीखें. कोई आपकी प्रशंसा करे, इसका प्रतीक्षा करने के बजाय स्वयं को शाबाशी देना सीखें.

हमेशा पाने की लालसा न करें, बांटने के सुख को भी अनुभव करें. दूसरों के चेहरे की मुस्कान आपको संतुष्टि देगी.

दूसरों की सफलता से जलने की उनकी कामयाबी से प्रेरणा लें और उनके जैसा बनने के लिए मेहनत करना प्रारम्भ कर दें.

जब भी किसी बात पर गुस्सा आए या मन दुखी हो तो अपनी भावनाएं कागज पर उतार लें. इससे मन हल्का होगा और आप रिलीफ महसूस करेंगे.

हथेली पर पसीना आने की दो प्रमुख वजहें हैं. यदि आदमी के लिवर में प्रॉब्लम है तो सर्दियों में भी उसकी हथेलियों से पसीना आता है. लिवर का उपचार करने के बाद ही हथेलियों से पसीना आना बंद होता है.
हथेलियों पर पसीना आने की दूसरी बड़ी वजह सिबेसियस ग्लैंड्स का अधिक एक्टिव होना है. कुछ लोगों की त्वचा इतनी अधिक तैलीय होती है कि उनके चेहरे पर एक्स्ट्रा ऑयल नजर आता है. इसी वजह से ऐसे लोगों की हथेलियों पर पसीना आता है.
यदि बेमौसम या बेवजह हथेलियों पर पसीना आए तो इसे नजरअंदाज न करें. ये बीमारी के संकेत भी हो सकते हैं. रांची स्थित ‘मेडिसिन 4 यू’ में इंटरनल मेडिसिन डाक्टर रविकांत चतुर्वेदी बता रहे हैं हथेलियों पर पसीना आने की वजहें और उपाय.

आपने भी अपने आसपास कुछ बच्चों या बड़ों को नाखून चबाते देखा होगा. ये बच्चे कहीं पर भी नाखून चबाने लगते हैं. क्या आप जानते हैं कि वो ऐसा क्यों करते हैं?
आदत अच्छी हो या बुरी, वह जितने समय तक साथ रहती है, उसका असर भी उतना ही गहरा रहता है. बचपन में प्रारम्भ होने वाली एक ऐसी ही आदत है नाखून चबाना. जिन्हें यह आदत होती है वो भीड़ में भी नाखून चबाना प्रारम्भ कर देता है. इसका असर उनकी पर्सनैलिटी पर भी असर पड़ता ही.
आइए, जानें नाखून चबाने की आदत की वजहें और उनके उपाय.

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