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पूरा दिन बिना खाए रह लेते हैं आप तो करें इन योगासनों का अभ्यास

भूख न लगना और दिनभर बिना खाए रहना एक सामान्य परेशानी है जो किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है. हालांकि इसके कुछ अहम कारण और दुष्प्रभाव हो सकते हैं. कई बार स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डायबिटीज, थायराइड, कैंसर या अन्य रोगों के कारण भूख कम हो जाती है. मानसिक तनाव और चिंता भी भूख लगने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है. अनियमित और अपूर्ण आहार, व्यस्त जीवनशैली, दवाओं के सेवन, मासिक धर्म के समय आदि कई कारणों से भूख कम हो सकती है.

वहीं भूख न लगने से शरीर में पौष्टिकता की कमी हो सकती है. इस कारण वजन कम होता है, कमजोरी आ सकती है और लंबे समय तक भूखे रहने से आदमी को विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी विकारों का सामना करना पड़ सकता है. इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए योगासन का अभ्यास कर सकते हैं. योग भूख बढ़ाने में सहायक हो सकता है, जिससे स्वास्थ्य भी दुरुस्त रहता है.

धनुरासन

धनुरासन वजन कम करने के साथ ही पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और भूख न लगने की परेशानी को दूर करने के लिए काफी अच्छा माना जाता है.

कैसे करें अभ्यास- धनुरासन के अभ्यास के लिए मैट पर पेट के बल लेटकर दोनों पैरों के बीच दूरी बना लें. घुटनों को ऊपर की ओर मोड़ते हुए एड़ियों को हाथों से पकड़ें और छाती और पैरों को ऊपर उठाएं. बाजुओं और थाइज पर खिंचाव को महसूस करें. इस हालत में कुछ देर रहने के बाद धीरे-धीरे प्रारंभिक हालत में लौट आएं.

वज्रासन

भूख बढ़ाने के लिए वज्रासन का अभ्यास लाभ वाला हो सकता है. इस आसन को आप कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं.

कैसे करें अभ्यास- वज्रासन के अभ्यास के लिए घुटनों के बल बैठ जाएं. इस स्थिति में पैरों के बीच गैप न हो और दोनों पैरों के अंगूठे एक साथ मिले होने चाहिए. हिप्स को एड़ियों पर टिकाते हुए कमर को सीधा रखें और हथेलियों को घुटनों पर रखें. ध्यान रखें कि दोनों घुटने भी आपस में मिले हों. कुछ देर सामान्य रूप से श्वास लेते हुए ध्यान केंद्रित करें. थोड़ी देर में सामान्य स्थिति में लौट आएं.

भुजंगासन

भूख न लगने का एक कारण पेट की गड़बड़ी हो सकती है. भुजंगासन का अभ्यास भूख न लगने की परेशानी को हल कर सकता है और पाचन को बेहतर बनाने के लिए लाभ वाला है.

कैसे करें अभ्यास- भुजंगासन के अभ्यास के लिए पेट के बल लेटकर दोनों हाथ साइड में रखें और पैरों के बीच दूरी बनाएं. अब दोनों हाथों पर प्रेशर देते हुए शरीर के अगले हिस्से को उठाएं. इस हालत में आसमान की ओर देखते हुए सांसों को क्रम सामान्य बनाए रखें. कुछ देर इसी स्थिति में रहें और फिर धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं.

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