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कीट का प्रकोप बढ़ने से फसलों को हो सकता है भारी नुकसान, ध्यान दें इन बातों का…

ज्यादातर किसान लतदार सब्जियों और फलों में करेला, लौकी, नेनुआ, तरबूज, खीरा की खेती करते हैं लतदार फसलों में कीट का संक्रमण आम बात है और किसान परेशान हो जाते हैं ठीक आकलन नहीं कर पाने के चलते फसल बर्बाद हो जाती है और किसानों को भारी हानि का सामना करना पड़ता है आज हम इस समाचार के माध्यम से बताएंगे कि किस प्रकार से लतदार फसलों में लगने वाले कीटों के संक्रमण का प्रबंधन कर सकते हैं

पौध संरक्षण पर्यवेक्षक बसंत नारायण सिंह ने कहा कि पौधों में लगने वाले कीटों को पहचाना बहुत ही महत्वपूर्ण है जिससे आप फसलों की ठीक ढंग से उपचारित कर संक्रमण से बचा सकते हैं और उत्पादन को भी बढ़ा सकते हैं उन्होंने कहा कि ज्यादातर लतदार फसलों में कद्दू लाल मृंग, फलमक्खी, मृद रोमिल रोग, तुलसिता कीट का संक्रमण होता है

कीट का पहचान करना किसानों के लिए है बहुत जरूरी
पौध संरक्षण पर्यवेक्षक बसंत नारायण सिंह ने कहा कि कद्दू लाल मृग कीट का पीठ नारंगी और लाला रंग का होता है तथा नीचे का भाग काला होता है इसकी लंबाई 4 से 5 मिलीमीटर तक हो सकता है शिशु कीट पौधे के जड़ों को खाता है जबकि वयस्क कीट पौधों के पत्तियां और फूलों के साथ नए पौधे को अधिक हानि पहुंचता है इस कीट का प्रबंधन करने के लिए खेत की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें, पौधों के ऊपर सुबह में राख का छिड़काव करें साथ ही मलथियान 5 फीसदी घोल या फेनवेलरेट 0.4 फीसदी घोल का 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करने से कीटों का प्रकोप नष्ट हो जाता है

करेला में लगने वाला प्रमुख कीट है फल मक्खी
फल मक्खी करेला में लगने वाला प्रमुख कीट है और यह घरेलू मक्खी की तरह दिखने वाला भूरे रंग का होता है मादा कीट फल के अंदर अंडे देती है और अंडे से निकलकर यह कीट फल को अंदर हीं अंदर खा लेता है जिससे फसल नष्ट हो जाता है इस कीट से फसलों को बचाने के लिए किसान लाइव टाइम ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं या मिट्टी के बर्तन में थोड़ा छुआ या तार का रस में दो बूंद कीटनाशक मिलकर खेतों में रख सकते हैं गंध से आकर्षित होकर कीट मिट्टी के बर्तन में आता है और कीटनाशक से उसकी मृत्यु हो जाती है

मृदरोमिल और तुलसिता कीट से ऐसे करें फसलों का प्रबंधन
मृदरोमिल फफूंद से पैदा होने वाला कीट है फसल में इस कीट के लग जाने से पत्तियों में छोटे-छोटे सफेद धब्बे बन जाता है और बाद में सफेद चूर्ण का रूप ले लेता है परिपक्व हालत के पूर्व ही पत्तियां सुख जाती है और बाद में पूरा पौध ही सुख जाता है इस कीट से फसल को बचाने के लिए खेतों को खर पतवार से मुक्त रखें खड़ी फसल पर ट्राइडमार्फ 80 ई घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं या सल्फर 80 घुलनशील चुरण का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं वहीं तुलसिता कीट लग जाने से फसल का उपरी सतह पीला नजर आने लगता है

धब्बे के ठीक निचली सतह पर सफेद रंग के फफूंद का जाल दिखाई देता है इससे पत्तियां सूख जाती हैं और वृद्धि भी प्रभावित हो जाता है उन्होंने कहा कि इस कीट से फसल को बचाने के लिए सघन खेती करें खेतों को खरपतवार से मुक्त रखें साथ ही फसल के अवशेष को नष्ट कर देना चाहिए इसके अतिरिक्त मैंकोजेब 75 घुलनशील चूर्ण के 2 ग्राम प्रतिलीटर के हिसाब से पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं आवश्यकता पड़ने पर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव कर सकते हैं

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