लेटैस्ट न्यूज़

लेखक अमीश त्रिपाठी ने खुलकर किया मोदी सरकार का समर्थन, कहा…

जाने-माने लेखक अमीश त्रिपाठी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट का खुलकर समर्थन किया है. साथ ही, उन्होंने यह विस्तार से कहा भी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट देना क्यों महत्वपूर्ण है. अमीश त्रिपाठी ने इसे लेकर एक्स पर एक लंबी से पोस्ट लिखी है. वह लिखते हैं, ‘मैं पीएम मोदी और उनकी गवर्नमेंट को वोट क्यों दे रहा हूं. आज तक मैंने सियासी विषयों पर कोई टिप्पणी नहीं की है. मगर आज समय है आप सभी से कुछ कहने का. मैं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी केंद्रीय गवर्नमेंट का समर्थन करता हूं. अगले डेढ़ महीनों में होने वाले आम चुनाव में उनके लोकसभा प्रत्याशियों को वोट देना ठीक फैसला होगा. इस निष्कर्ष पर पहुंचने के विभिन्न कारण मैं आपसे साझा करना चाहता हूं.

अमीश त्रिपाठी ने लिखा, ‘मोदी जी की गवर्नमेंट को वापस लाने के बहुत सारे कारण हैं- कई अन्य लोगों ने इस विषय पर विस्तार से टिपण्णी की है. उनमें से कुछ प्रमुख कारण हैं… गरीबों के जीवन में जबरदस्त सुधार, हिंदुस्तान की ठोस वित्तीय स्थिति, तेजी से होता हुआ अभूतपूर्व इंफ्रास्ट्रक्चर विकास (मुंबई जहां मैं रहता हूं और वाराणसी जहां से हमारा परिवार है, दोनों का इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार मैं स्वयं देख रहा हूं), राष्ट्र की GDP वृद्धि दर, विज्ञान और अनुसंधान पर विशेष ध्यान. मेरे बहुत सारे पाठक बताते हैं – उनमें से कई युवा वर्ग और छोटे-मझोले उद्योग से हैं – उनके लिए विशेष ऋण और अन्य योजनाएं लागू हुई हैं. इतना ही नहीं, सभी नागरिकों को बिना भेदभाव सीधे उनके बैंक खातों में समाज कल्याण की योजनाओं का फायदा मिल रहा है.

‘मेरे लिए सबसे बड़ा कारण ये है कि…’
उन्होंने लिखा, ‘इन सबके अलावा, मेरे लिए सबसे बड़ा कारण ये है – हमने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, यानी 1945 के बाद जिस शांति और स्थिर अंतरराष्ट्रीय प्रबंध को देखा है, वह समापन के कगार पर है. दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध चल रहे हैं. पुरानी साझेदारियों (जैसे UN) में बिखराव आ रहा है. अब संसार के सारे राष्ट्र एकजुट होकर हमारी ज्वलंत समस्याओं का हल निकालने में पहले जैसे समर्थ नहीं हैं. उदाहरण के लिए कोविड महामारी, विश्व व्यापार विसंगतियां, कुछ राष्ट्रों के ऋण का टाइम बम (जिसमें अमेरिका और यूरोप के अमीर राष्ट्र भी शामिल हैं), जलवायु परिवर्तन-ग्लोबल वार्मिंग, और महाशक्तियों की घटती शक्ति, जो साफ है समंदर के बढ़ते लुटेरो में और युद्ध तकनीक में सस्ते हाईटेक शस्त्रों के बढ़ते इस्तेमाल में. आपने सोचा था कभी कि SUEZ Canal में हूती ड्रोन आक्रमणों के कारण विश्व के समुद्री जहाज अफ्रीका का लंबा चक्कर लगा कर आने के लिए विवश होंगे? ये सारी बातें दुनिया के लिए खतरे की घंटी हैं. प्रमुख राष्ट्र इनके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं.

लेखक ने कहा, ‘इतिहास गवाह है कि जब एक पुरानी अंतरराष्ट्रीय प्रबंध टूट कर बिखरती है, ऐसे मुश्किल समय में उथल-पुथल, अशांति और युद्ध बड़े सामान्य हैं. आज हम ऐसे ही बिखराव और अशांति के दौर से गुजर रहे हैं. पूरी दुनिया और बड़े राष्ट्र इस मुश्किल दौर से कैसे निकलते और उभरते हैं, इसी से आने वाले दशकों और शताब्दी में हमारे भाग्य का निर्धारण होगा. हिंदुस्तान के लिए तो यह और भी अहम है, क्योंकि हमें बिखराव के अंतर्राष्ट्रीय माहौल में ही अपने कई गरीब देशवासियों को बहुत आगे ले चलना है. ऐसे नाज़ुक समय में ही किसी भी देश के शीर्ष नेतृत्व की सबसे बड़ी किरदार होती है. पहले और दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका के शीर्ष नेता बहुत योग्य थे. इसीलिए 1945 के बाद की विश्व प्रबंध में अमेरिका की समृद्धि और ताकत में उसके राष्ट्रपतियों का बड़ा सहयोग रहा.

‘…ऐसे पीएम की आवश्यकता है हिंदुस्तान को’
अमीश त्रिपाठी ने आगे लिखा, ‘विश्व इतिहास के इस नाज़ुक दौर में हमें हिंदुस्तान के पीएम में क्या गुण चाहिए? जिसके पास पूर्ण एकाग्रता और जोश हो. जो लंबे अनुभव में कार्यकुशलता दिखलाता हो. जो सबसे अधिक मेहनत कर सके. इस मेहनत और लगन से देशवासियों को अपने साथ आगे कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सके. जो दुनिया के बड़े राष्ट्रों के सामने हिंदुस्तान के हितों की डट कर रक्षा कर सके. जहां प्रेमभाव से काम हो, वहां प्रीत. वरना सख्त रूख भी अपना सके, और भय पैदा कर सके, ऐसे पीएम की आवश्यकता है हिंदुस्तान को.

उन्होंने बोला कि आपमें से कई पीएम मोदी जी के शुभचिंतक हैं. कुछ ऐसे भी होंगे जो उनके समर्थक न हों. ऐसे दोस्तों से मेरी निवेदन है कि आज जब दुनिया एक मुश्किल समय में है, हमारे राष्ट्र में पूर्ण बहुमत वाली ताकतवर गवर्नमेंट चाहिए. ऐसी गवर्नमेंट जो विश्व की उल्टा परिस्थितियों से भली-भांति निपट कर हिंदुस्तान को आने वाले समय में और भी ऊपर ले जा सके. यदि हिंदुस्तान ताकतवर होगा तो हमें से हर हिंदुस्तानी की शक्ति बढ़ेगी. यदि हिंदुस्तान कमजोर हुआ – जैसा 1950-1980 के दशकों में हुआ था, प्रत्येक हिंदुस्तानी की शक्ति कम होना तय है.

अमीश त्रिपाठी ने लिखा, ‘ध्यान रहे, पिछले कुछ वर्षों में हमारी गवर्नमेंट तगड़ी थी. इसीलिए हम महाशक्तियों के दबाव में न आते हुए देश भलाई में फैसला ले सके. जैसे रूस से कच्चा ऑयल खरीदते रहना, जिससे हमारे राष्ट्र में कीमतें काबू में थीं, जबकि कई राष्ट्रों में बेतहाशा महंगाई बल पर है. हमारे राष्ट्र और हमारी सभ्यता के लिए ऐसे नाजुक समय पर चाणक्य नीति पर चलने वाले शीर्ष राष्ट्रीय नेता की बहुत आवश्यकता है. इसीलिए हमें आनें वाले गवर्नमेंट में पीएम मोदी जी को और भी अच्छे काम करने देना चाहिए. मैं अपने लोकसभा का वोट मोदी जी के उम्मीदवार को ही दूंगा. आशा है कि आप भी उनके उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे.

Related Articles

Back to top button