झारखंड : नशा मुक्ति केंद्र में इस साल अब तक 1200 मरीजों का किया गया इलाज
रांची : राजधानी रांची के मनोचिकित्सा संस्थानों के नशा मुक्ति केंद्र में उपचार कराने वाले 40 प्रतिशत रोगी सूखा नशा (अफीम, ब्राउन शुगर, गांजा आदि) वाले होते हैं। दो वर्ष पहले एक-दो रोगी ही आते थे। इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है। नशा मुक्ति केंद्र हमेशा रोगियों से भरा रहता है। लगभग प्रत्येक दिन मनोचिकित्सा संस्थानों मे रोगी पहुंच रहे हैं।
केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआइपी) में साल 2022 में पांच हजार रोगी नशा मुक्ति केंद्र में उपचार के लिए आये थे। साल 2023 में इनकी संख्या बढ़ कर सात हजार से अधिक हो गयी। वहीं, इस वर्ष अब तक करीब 1200 रोगियों का उपचार इस केंद्र में किया गया है। साल 2022 में करीब 700 रोगियों को उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। जबकि, साल 2023 में करीब एक हजार रोगियों को भर्ती किया गया था।
यही स्थिति झारखंड गवर्नमेंट के मनोचिकित्सा संस्थान रिनपास की है। यहां बीते तीन माह में करीब 230 रोगी ड्रग संबंधित मामलों में उपचार लिए आये थे। सीआइपी में सात हजार से अधिक रोगियों में से करीब 40 प्रतिशत (2500 से 3000) रोगी सूखे नशे की लत वाले होते हैं। इसको लेकर संस्थान के डॉक्टर भी चिंतित हैं।
सीआइपी के नशा मुक्ति केंद्र के इंचार्ज डॉ एसके मुंडा कहते हैं कि स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। युवाओं में इसकी लत बढ़ रही है। आम तौर पर देखा जाता है कि पुलिस जब दबाव बनाती है, तो रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। जैसे ही नशे की लत वाले रोगियों की सप्लाई चेन टूटती है, तो वे मनोविकार के शिकार हो जाते हैं। बिना नशे के वह नहीं रहने लगते हैं। उनके व्यवहार में परिवर्तन होता है। वैसे में कुछ स्वयं तो कुछ परिवार के साथ उपचार के लिए आते हैं। कई बार तो पूरा ग्रुप उपचार के लिए आता है।
केस -01
नशे के लत में कई बार युवाओं की जान पर बन आयी है। वहीं कइयों ने जान गंवानी पड़ी है। ऐसा ही मुद्दा अपर बाजार के एक पुरुष का है। ब्राउन शुगर के ओवर डोज के कारण उसकी जान चली गयी। पुरुष का अपर बाजार में तीन मंजिला मकान था। उसमें कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान है़ंं उसके किराये से घर चलता था। पुरुष के बारे में कहा जाता है कि पहले टेबलेट से नशे की आरंभ की। फिर कफ सिरप, इंजेक्शन और अंतत: वह ब्राउन शुगर का आदि हो गया। तीन माह पहले ब्राउन शुगर के ओवरडोज के कारण उसकी जान चली गयी।
रिनपास और सीआइपी में होता है इलाज
रिनपास और सीआइपी में नशे के रोगियों का उपचार होता है। सीआइपी में बुधवार और शनिवार को नशा की लत वाले का विशेष क्लिनिक होता है। वैसे किसी भी दिन आने वाले का उपचार होता है। यहां रोगियों को भर्ती करने की भी सुविधा है।
केस -02
इसी प्रकार न्यायालय चौक (रेडियम रोड) के एक पुरुष ने गांजा से शुरूआत की। लंबे समय तक गांजा का नशा करता रहा। कुछ दिन तक उसे जो भी नशा मिलता, उसे कर लेता था। वह महावीर चौक के पास हमेशा आया-जाया करता था। यहीं से उसे ब्राउन शुगर की लत लग गयी। कुछ दिन पहले ब्राउन शुगर का ओवर डोज ले लिया। इसके बाद सोया, तो सोया ही रह गया।
नशा करने वालों के लक्षण
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है
- आंखें भी अलग तरह की दिखने लगती हैं
- अकेला रहना पसंद करते हैं
- पैसे की मांग घर में अधिक करने लगते है
- घर के जेवरात भी चुराने लगते हैं
- अपने दोस्तों के बारे में बात करने से भागते हैं