बिहार

औरंगाबाद में स्वास्थ्य महकमा की सुस्ती के कारण झोलाछाप डॉक्टरों की हो रही मनमानी

सिटी रिपोर्टर | औरंगाबाद जिले में स्वास्थ्य महकमा की सुस्ती के कारण झोलाछाप डॉक्टरों की मनमानी जारी है. ग्रामीण क्षेत्र के गरीब और लाचार लोग ऐसे डॉक्टरों और अस्पतालों का शिकार बन रहे हैं. लगातार हो रही मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे ऐसे अस्पतालों पर कोई लगाम नहीं लग रहा है.

जिले में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा कुकुरमुत्ता की तरह निजी क्लीनिक खोला गया है. बिना रजिस्ट्रेशन के सैकड़ों निजी अस्पताल, अल्ट्रासाउंड सेंटर और पैथोलॉजी सेंटर धड़ल्ले से चल रहे हैं. इनके पास न तो प्रशिक्षित डॉक्टर हैं और न ही स्वास्थ्य कर्मी. ऐसा भी नहीं है कि इन अस्पतालों की जानकारी विभाग को नहीं है. क्योंकि उनकी मेहरबानी के बिना कुछ भी संभव नहीं है. यूं तो जिले में 120 से अधिक हॉस्पिटल और पैथोलॉजी सेंटर दर्ज़ है.वहीं 37 अल्ट्रासाउंड केंद्र भी रजिस्टर्ड है. लेकिन इसके अतिरिक्त गांव से लेकर शहर तक गली-गली में अस्पताल, पैथोलॉजी सेंटर तथा डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित हो रहे हैं. यही नहीं कई स्थानों पर तो आगे में मेडिकल हॉल तथा पीछे के दो कमरों में संचालित किया जा रहा है. इन अस्पतालों में महत्वपूर्ण नहीं है कि डिग्री धारक डॉक्टर ही रोगी का उपचार करेंगे.यहां मेडिकल स्टोर चलाने वाले या अप्रशिक्षित कंपाउंडर रोगी का उपचार के नाम पर मोटी धनराशि ऐंठ लेते हैं. इन अस्पतालों में रोगियों की जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. यदि किस्मत से बच भी गए तो फर्जी डॉक्टर उनकी जेब ढीली कर देते हैं. जिले में गैरकानूनी ढंग से संचालित हो रहे हॉस्पिटल में एमबीबीएस डॉक्टर का बोर्ड तो लगा रहता है लेकिन यहां एमबीबीएस डॉक्टर रोगियों का उपचार नहीं करते हैं. इन अस्पतालों में सिजेरियन, अपेंडिक्स, बवासीर, हर्निया, हाइड्रोसिल, स्टोन आदि का ऑपरेशन धड़ल्ले से चिकित्सक के बदले कंपाउंडर ही कर रहे हैं. इसके एवज में रोगियों से मोटी धनराशि भी वसूली जाती है. इन अस्पतालों में सुविधा के नाम पर चार-पांच बेड और कुछ कुर्सियां ही नजर आती है. यहां ना तो आपात स्थिति से निपटने के लिए और न ही सुविधाओं से लैस ओटी है. ऐसे अस्पतालों में एक भी ट्रेंड स्टॉफ नहीं होते हैं. इसके बावजूद भी धड़ाधडल से रोगियों का ऑपरेशन जारी है. 20 जनवरी को रफीगंज में ही ऑपरेशन के दौरान स्त्री की हुई थी मृत्यु 20 जनवरी को रफीगंज में एक निजी क्लीनिक में ऑपरेशन के दौरान स्त्री की मृत्यु हो गई. मृतका 25 वर्षीय पूजा देवी थानाक्षेत्र के दिहुली गांव निवासी मंडल पासवान की पत्नी थी. लगभग एक साल पूर्व उसका दाहिना पैर टूट गया था. रफीगंज के डाक बंगला स्थित एक हॉस्पिटल में उसका उपचार गया था. जहां चिकित्सक ने ऑपरेशन कर पैर में रॉड लगाया था. रॉड निकलवाने के लिए उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.जहां ऑपरेशन के क्रम में उसकी मृत्यु हो गई. परिजनों का इल्जाम था कि ऑपरेशन के लिए बेहोश करने के दौरान चिकित्सक ने उसे अधिक डोज दे दिया. जिसके कारण उसकी मृत्यु हुई है. घटना के बाद डॉक्टर हॉस्पिटल छोड़कर फरार हो गया था. मरणासन्न स्थिति में रोगियों करते हैं रेफर इन क्लीनिकों में गांव देहात के लोग उपचार करवाने पहुंचते हैं. जहां कई बार उपचार के क्रम में रोगियों की जान चली जाती है. रोगी की तबीयत बिगड़ने पर एक डॉक्टर या तो रोगी को मरणासन्न स्थिति में रेफर कर देते हैं या फिर उनकी हालत पर बेड पर छोड़कर ही फरार हो जाते हैं. नर्सिंग होम चलाने वालों का नेटवर्क इतना तगड़ा होता है कि बवाल होने से पहले ही वे लेनदेन कर मुद्दे को सलटा लेते हैं.

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