उत्तर प्रदेश

स्कूली बच्चे हो रहे साइकोलॉजिकली टॉर्चर,ISSR की स्टडी में हुआ खुलासा

गोरखपुर: गोरखपुर में स्कूली बच्चों पर एक स्टडी की गई जिसमें सामने निकल कर आया कि स्कूली बच्चे साइकोलॉजिकली टॉर्चर हो रहे हैं बच्चों को विद्यालय में भेजने के बाद मां बाप की भिन्न-भिन्न एक्सपेक्टेशन होती हैं पापा बच्चों को कुछ और बनाना चाहते हैं तो मां का सपना कुछ और होता है ऐसे में विद्यालय के टीचर की भी एक्सपेक्टशंस बड़ी रहती है कि बच्चा तेज रहे ऐसी एक्सपेक्टशंस के चलते बच्चों पे जो प्रेशर पड़ता है उससे बच्चे साइकोलॉजिकल टॉर्चर का शिकार होते हैं जिससे बच्चों की ग्रोथ रुक जाती है

गोरखपुर यूनिवर्सिटी डीडीयू की मनोवैज्ञानिक विभाग की एक्स एचओडी और साइकोलॉजिस्ट चिकित्सक सुषमा पांडे ने कहा कि बच्चों के प्रति पेरेंट्स और टीचर की एक्सपेक्टेशन कुछ अधिक ही पड़ती है वहीं एचओडी सुषमा पांडे बताती हैं कि, 7 से 18 साल तक के 1200 बच्चों पर की गई स्टडी में पाया गया कि, कोई ऐसा विद्यालय नहीं मिला जहां पर बच्चे एब्यूज के शिकार न हो रहे हो साथ ही बच्चे जब साइकोलॉजिकल परेशान होते हैं तो उनमें कई तरह के परिवर्तन आते हैं जिससे वह चिड़चिड़ा हो जाते हैं और शैक्षणिक स्तर पर उनके परफॉर्मेंस खराब होते हैं साथ ही एकेडमिक परफॉर्मेंस पर भी फर्क पड़ता है

ISSR की स्टडी में हुआ खुलासा

गोरखपुर यूनिवर्सिटी की मनोवैज्ञानिक विभाग की एक्स एचओडी चिकित्सक सुषमा पांडे को, भारतीय काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन से फेलोशिप के लिए ISSR की रिपोर्ट तैयार करनी है जिसकी प्रक्रिया आखिरी चरण में है वहीं ISSR के लिए सिलेक्ट टॉपिक में डायनॉमिक्स आफ चाइल्ड मल्टीट्मेंट इन विद्यालय एजुकेशनल इंप्लीकेशंस प्रीवेंशन एंड मैनेजमेंट स्ट्रेटजी है इसी टॉपिक पर एचओडी सुषमा पांडे ने जिले के सभी विद्यालयों को चुनकर 1200 सौ बच्चों पर स्टडी की है जिसमें यह पाया गया कि बच्चे साइकोलॉजिकल टॉर्चर किए जा रहे हैं

क्या है सॉल्यूशन

DDU गोरखपुर यूनिवर्सिटी दीनदयाल उपाध्याय की मनोविज्ञान विभाग की एक्स एचडी डॉ सुषमा पांडेय बताती है कि, बच्चों पर साइकोलॉजिकल असर न डालने के लिए विद्यालय में अवेयरनेस प्रोग्राम चलने चाहिए, पेरेंट्स को अपनी रिस्पांसिबिलिटी निभानी चाहिए, महंगे विद्यालय का फीस देने के साथ बच्चों पर स्वयं नज़र रखनी चाहिए, साथी गुड टच बेड टच के बारे में बताना चाहिए, हर विद्यालय में मनोवैज्ञानिक काउंसलर होना चाहिए, चाइल्ड प्रोटेक्शन के बारे में बताना होगा टीचर्स और प्रिंसिपल के विरुद्ध गलत करने पर कार्रवाई होनी चाहिए, साथ ही कई बार बच्चे विद्यालय में लंच नहीं करते भूखे रह जाते हैं इसका भी प्रॉपर टीचरों को ध्यान देना चाहिए

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