प्रियंका गांधी ने अमेठी के लोगों को याद दिलाया बरसों का रिश्ता, बोलीं…
उन्होंने आगे कहा, आज भी जहां-जहां मैं प्रचार कर रही हूं… भईया के लिए रायबरेली में कर रही हूं, किशोरी जी के लिए यहां कर रही हूं, राष्ट्र भर में जहां जा रही हूं… हम फिजूल की बातें नहीं कर रहे हैं, हम आपका ध्यान भटकाने वाली बातें नहीं कर रहे हैं, हम आपसे ईश्वर के नाम पर कसम नहीं खिलवा रहे हैं कि आप हमें वोट देंगे. आज ईश्वर भी चाहेंगे कि आप सतर्क बन जाएं. हम ये कह रहे हैं- कांग्रेस पार्टी पार्टी आपके लिए क्या करना चाहती है. हम झूठे वायदे नहीं करने आए हैं कि 13 रुपए किलो चीनी मिलेगी. 15 लाख रुपए आपके खातों में आ जाएंगे, किसान की आय दोगुनी हो जाएगी… कुछ नहीं हुआ. हम जहां-जहां कह रहे हैं कि हम कुछ करना चाहते हैं, वो हम करके दिखा रहे हैं. जिन प्रदेशों में हमारी गवर्नमेंट है, आज भी बहनों… आज के दिन जो ग़रीब परिवार की सबसे बड़ी स्त्री है, उसके खाते में पैसे गवर्नमेंट डाल रही है… ऋण माफ़ हुए हैं किसानों के.
प्रियंका ने कहा, यहां आवारा पशु सब स्थान खेती चर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में हमारी गवर्नमेंट थी, इस परेशानी को हल किया. कैसे हल किया… जो गौठान है, गौशाला हैं, उनको बहुत मज़बूत बनाया… गवर्नमेंट ने बोला कि हम गोबर ख़रीदेंगे, तो लोगों ने जानवरों की देखभाल करना प्रारम्भ किया, क्योंकि अब गोबर ख़रीदी जा रही थी तो उससे आमदनी हो रही थी. गोबर ख़रीद कर गोबर गैस बनाकर आपके घरों में भेजा. गौशालाओं को मज़बूत बनाकर जो मिठाई, खोया… ये सब बनता है, वो बनवाया स्त्रियों से… फिर वो बिकवायार. दूध भिजवाया गावों में, महिलाएं काम करने लगीं गौशालाओं में, 60 से 70 हजार रुपए की आमदनी भी हो गई स्त्रियों की… पूरी परेशानी हल हो गई. जानवर भी छुट्टा नहीं रहा, आवारा नहीं रहा… जो गोबर था, उसका भी इस्तेमाल हो गया, गोबर गैस बनी. दूध भी पहुंचा हर जगह, स्त्रियों को भी रोज़गार मिला… क्योंकि गवर्नमेंट की नीयत ठीक थी.
उन्होंने कहा, यहां मैं पांच वर्षों से स्वयं देख रही हूं… आवारा पशु खेत चर रहा है, आपका काम दोगुना हो गया है… सुबह काम करते हैं खेत में, रात को जाकर पहरेदारी करते हैं. हर खेत में जब हम जाते हैं, हम देखते हैं… मचान दिख रहे हैं, जिस पर आपको पूरी रात बैठना पड़ रहा है. कोई सुनवाई नहीं है… योगी जी, मोदी जी, आपकी सांसद… कोई सुनवाई नहीं कर रहे. कट गए हैं जनता से, आपके घरों में कोई आता नहीं है, आपसे पूछता भी नहीं है कि समस्या क्या है, कार्यक्रम करते हैं तो बड़े-बड़े कार्यक्रम… दूर-दूर से दिखते हैं. ऐसा नहीं था, यहां की परंपरा ये नहीं थी… खासतौर से अमेठी, रायबरेली की… अमेठी, रायबरेली की जनता हमेशा सतर्क रही है… हमेशा.