कांग्रेस को झटका देते हुए 9 और प्रत्याशियों की सूची जारी
Samajwadi Party vs Congress: कांग्रेस और सपा के बीच की रार अब थमती नज़र आ रही है लेकिन सियासी गलियारों में इसे लेकर प्रश्न उठने कम नहीं हुए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि इस रार से किसका हानि ज्यादा हुआ है। सपा ने कांग्रेस पार्टी से सामंजस्य बिना मध्य प्रदेश में 50 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर ली है। कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश से लगे मध्य प्रदेश के इलाकों की विधानसभा सीटों पर सपा असर डाल सकती है। ऐसा हुआ तो फिर समाजवादी पार्टी के मुकाबले कांग्रेस पार्टी को रिश्तों में पड़ी इस खटाई का ज्यादा हानि उठाना पड़ सकता है। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भी सपा, कांग्रेस पार्टी से बदला चुकाने लगी तो यह हानि और बढ़ सकता है।
फिलहाल समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश में 41 उम्मीदवार उतार चुकी है। रविवार रात कांग्रेस पार्टी को झटका देते हुए 9 और प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। इसके अतिरिक्त 3 सीट पर प्रत्याशी बदल दिए। इसे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच फ्रैंडली फाइट कहा जा रहा है और साथ ही यह भी बोला जा रहा है कि दोनों दल लोकसभा चुनाव में साथ-साथ होंगे। उधर, मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष कमलनाथ ने रविवार को बोला कि उन्होंने अपनी तरफ से पूरी प्रयास की, लेकिन समाजवादी पार्टी प्रमुख जिन सीटों की मांग कर रहे थे, उनके बारे में वे अपने लोगों को इंकार नहीं सके। राजनीति के जानकारों के अनुसार मध्य प्रदेश में सपा इतना बल क्यों दे रही है इसकी दो वजहैं हैं। एक तो वो भारतीय नेशनल डेवलेपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) में कांग्रेस पार्टी के सामने अभी से मजबूत स्टैंड लेना चाहती है ताकि आनें वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में ज्यादा दबाव बनाने की स्थिति न रहे। दूसरे, मध्य प्रदेश की 185 किलोमीटर लंबी सीमा यूपी से लगती है। वहां यादव मतदाताओं की तादाद भी 12 से 14 प्रतिशत तक है। ऐसे में उत्तर प्रदेश से सटे मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में समाजवादी पार्टी का असर रहा है। अखिलेश इस असर को जानते-समझते हैं और इसका पूरा-पूरा फायदा उठाना चाहते हैं।
मध्य प्रदेश के नेताओं ने की अखिलेश से मुलाकात
उधर, मध्य प्रदेश समाजवादी पार्टी के कई नेताओं ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात कर कई सीटों और संभावित प्रत्याशियों पर चर्चा की और वहां बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के अतिरिक्त बीएसपी और आम आदमी पार्टी की रणनीति के मामले में जानकारी दी। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा दखल देने के बाद अब कांग्रेस पार्टी पार्टी मध्य प्रदेश में सपा से टकराव को तूल नहीं देना चाहती है और इसे दोनों दलों के बीच विधानसभा चुनाव को फ्रैंडली फाइट बताया जा रहा है।
‘इंडिया’ के नेताओं के दखल से नरम हुए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष
लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी उम्मीदें संजोए इण्डिया गठबंधन के बड़े नेताओं को सपा-कांग्रेस के तल्खी थमने से राहत मिली है। अब दोनों ओर से सुलह सफाई का दौर जल्द प्रारम्भ होगा। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद आम चुनावों के लिए सीट शेयरिंग पर बात होगी। कहा जा रहा है कि जब समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच इल्जाम प्रत्यारोप गहरे होने लगे तो कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने दखल देकर स्थिति संभाली। जद यू ने भी संकेत दिया कि इस टकराव को तुंरत सुलझा लिया जाए क्योंकि यदि बात बढ़ी समाजवादी पार्टी कांग्रेस पार्टी नहीं पूरे गठबंधन की छवि धूमिल होगी। जनता के बीच गलत संदेश जाएगा जो गठबंधन की संभावनाओं को प्रभावित करेगा। वैसे गठबंधन में कई घटक दलों के कांग्रेस पार्टी से संबंध अच्छे हैं तो कुछ के संबंधों में तल्खी है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच भी टकराव है तो पश्चिम बंगाल में तृण मूल काँग्रेस और कांग्रेस पार्टी के बीच संबंध तल्ख हैं। गठबंधन की समन्वय समिति की अगली बैठक में अब राज्यवार सीटों पर भी बात होगी।
क्या मध्य प्रदेश में प्रचार करने जाएंगे अखिलेश
अब प्रश्न है कि हालिया टकराव के बाद क्या समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों का प्रचार करने जाएंगे। यदि वह वहां प्रचार करते हैं तो जाहिर है कि उनके निशाने पर विरोधी दल के रूप में बीजेपी ही होगी। यह देखने की बात होगी कि वह कांग्रेस पार्टी के प्रति क्या रुख अपनाते हैं। बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस पार्टी से सामंजस्य के बगैर कुछ सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने देर से ही ठीक लेकिन समाजवादी पार्टी को साफ कर दिया है कि ‘इंडिया’ गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए हुआ है और उसके अनुसार राज्यों में सीटों का बटवारा होगा। विधानसभा चुनाव के नतीजे अगले महीने आ जाएंगे और उसके बाद कांग्रेस पार्टी राज्यों में सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर चर्चा करेगी।
वर्ष 2018 में समाजवादी पार्टी की वजह से आठ सीट हारी थी पार्टी
सपा ने साल 2018 के चुनाव में एक सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके साथ पार्टी पांच सीट पर दूसरे और चार सीट पर तीसरे नंबर पर रही थी। तीन सीट पर समाजवादी पार्टी को बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के बीच हार जीत के अंतर से अधिक वोट मिले थे। चुनाव में जिन पांच सीट पर समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर रही, उन पांच में चार सीट पर बीजेपी जीती थी। केवल पृथ्वीपुर सीट पर कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी। वहीं, मैहर सीट कांग्रेस पार्टी केवल तीन हजार वोट से हारी थी, जबकि इस सीट पर समाजवादी पार्टी को 11 हजार वोट मिले थे। इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी और बीजेपी के बीच केवल पांच सीट का फर्क था।
पीडीए से आएगा इंकलाब अखिलेश
अखिलेश यादव ने एक बार फिर पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) के जरिए 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने का घोषणा किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 24 का चुनाव, पीडीए का इंकलाब। अखिलेश ने रविवार को एक्स पर यह संदेश लिखने के साथ समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता की तस्वीर शेयर की है जिसकी पीठ लाल और हरे रंग में रंगी हुई है। उस पर लिखा मिशन नेता मुलायम सिंह यादव अमर रहें, पीडीए सुनिश्चित करेगा कि इस बार चुनाव में अखिलेश यादव की जीत हो। वहीं एक अन्य बयान में अखिलेश ने बोला है कि बीजेपी गवर्नमेंट में दबंगों और अपराधियों को खुली छूट मिली हुई है।