उत्तर प्रदेश

वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज में जगद्गुरु श्री शंकराचार्य व्याख्यानमाला का हुआ आयोजन

वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज में जगद्गुरु श्री शंकराचार्य व्याख्यानमाला का आयोजन हुआ. इस दौरान जयप्रकाश यूनिवर्सिटी छपरा के पूर्व कुलपति हरिकेश सिंह और अखिल भारतीय विद्वत् परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो कामेश्वर उपाध्याय एवं संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के तुलनात्मक धर्म दर्शन विभाग के अध्यक्ष प्रो हरि प्रसाद अधिकारी ने शिरकत की.

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य धर्मेंद्र कुमार सिंह तथा संयोजन शिक्षक शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो रमेश धर द्विवेदी ने किया. इसके पूर्व कार्यक्रम की आरंभ राजर्षि के प्रतिमा पर मेहमानों द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से किया. शिक्षा संकाय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं कुलगीत प्रस्तुत किया. आध्यात्मिक विज्ञान की स्थापना का श्रेय आदि शंकर प्रो हरिकेश सिंह ने कहा कि शंकराचार्य विश्व आध्यात्म के सबसे बड़े पीठाधीश्वर हैं. आज शंकर राष्ट्र के सर्वकालिक महान व्यक्तियों में से एक हैं. जिन्होंने मात्र 8 साल की उम्र में समस्त वेदों का शोध कर लिया था. विश्व में आध्यात्मिक विज्ञान की स्थापना का श्रेय आदि शंकर को ही जाता है. ये श्रेष्ठ यायावर थे, जिन्होंने पूरे राष्ट्र में भ्रमण कर श्रेष्ठ शिष्यों और पीठों को तैयार किया. शंकराचार्य द्वारा स्थापित 4 पीठ हिंदुस्तान के एकीकरण के आधारभूत स्तंभ है. यदि चारों पीठों से शंकराचार्य के शब्दों का उद्घोष अनुगुंजित हो, तो सनातन विश्व धर्म के रूप में प्रतिष्ठित हो सकेगा. आदि शंकर ने सनातन को बचाने के लिए किया संघर्ष विशिष्ट वक्ता प्रो कामेश्वर उपाध्याय ने कहा कि राग, बैराग, द्वेष, विद्वेष किसी भी रूप में अद्वैत को स्वीकारना या नकारना आदि शंकर को स्थापित करता है. सनातन धर्म की पुनर्स्थापना तथा समृद्ध करने का कार्य किया. आदि शंकर ने जिस प्रकार से सनातन को बचाने के लिए संघर्ष किया, उसी प्रकार के संघर्ष की आज भी जरूरत है. कुप्रथाओं को शास्त्रार्थ के माध्यम से खत्म करने का कोशिश प्रो हरि प्रसाद अधिकारी ने कहा कि 8वीं शताब्दी में उत्पन्न एक बालक ने हिंदुस्तान की एकता और अखण्डता के बारे में चिंतन कर पूरे हिंदुस्तान का भ्रमण कर 4 पीठों की स्थापना किया. तत्कालीन समय में प्रचलित कुप्रथाओं को शास्त्रार्थ के माध्यम से खत्म करने का कोशिश किया है. इनके कोशिश से ही हिंदुस्तान में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना हो सकी. उन्होंने यह भी बोला कि कोई भी धर्म अपनी कमियों के कारण खत्म होता है, न कि उसे किसी के द्वारा खत्म किया जा सकता है. सनातन धर्म अपनी श्रेष्ठ और सुदृढ़ परंपराओं की वजह से ही आज तक स्थापित है. शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित अद्वैत ही श्रेष्ठ और सार्वभौमिक है. जगद्गुरु श्री शंकराचार्य व्याख्यानमाला के समाप्ति पर धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक प्रो रमेश धर द्विवेदी ने किया. वहीं कार्यक्रम का संचालन प्रो रेणु सिंह ने किया. ये रहे उपस्थित इस अवसर पर प्रो जयराम सिंह, प्रो राम सुधार सिंह, प्रो दिवाकर सिंह, प्रो ओमकार सिंह, प्रो शालिनी सिंह, डाक्टर शशिकांत द्विवेदी, प्रो संजय शाही, प्रो सुधीर शाही, डाक्टर विजय कुमार सिंह, डाक्टर संजय स्वर्णकार, प्रो सुधीर राय, प्रो मधु सिंह, प्रो अलका रानी गुप्ता, प्रो अनीता सिंह, डाक्टर सपना सिंह, डाक्टर अंकिता मिश्रा, प्रो चंद्र प्रकाश सिंह और अन्य शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.

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