उत्तर प्रदेश

योगी सरकार पर क्यों बरस पड़े हाईकोर्ट के जज

Allahabad High Court Vrindavan Temple News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वृंदावन के ठाकुर रंगजी महाराज विराजमान मंदिर समेत उत्तर प्रदेश के 9 मंदिरों को राज्य गवर्नमेंट की ओर से सालाना मेनटिनेंस रकम रिलीज न करने पर गहरा दुख और नाराजगी जताई है न्यायालय के नोटिस पर उत्तर प्रदेश रेवेन्यू बोर्ड के सेक्रेटरी आज न्यायालय में तलब हुए, जिन्हें न्यायालय तीखे प्रश्नों का सामना करना पड़ा जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मुद्दे की सुनवाई करते हुए गवर्नमेंट से मंदिरों को 4 साल से सालाना राशि रिलीज न करने का कारण पूछा उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि अपने अधिकार का पैसा मांगने के लिए भी मंदिरों को अदालतों का दरवाजा खटखटना पड़ रहा है

सरकार ने 4 वर्ष से रोकी मंदिरों की धनराशि 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में आज वृंदावन के ठाकुर रंगजी महाराज विराजमान मंदिर मुद्दे में सुनवाई हुई मंदिर प्रबंधन ने न्यायालय से आग्रह किया कि उन्हें गवर्नमेंट से समझौते के अनुसार तय की गई सालाना रकम दिलाई जाए मंदिर प्रबंधन ने कहा कि उसकी जमीन उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम 1950 के अनुसार अधिग्रहीत कर ली गई थी इसके बदले में उसे गवर्नमेंट ने सालाना 87 हजार रुपये रकम देना मंजूर किया था लेकिन पिछले 4 वर्ष से गवर्नमेंट ने इस रकम को देना बंद कर दिया है

‘मंदिर आपके पास आकर हाथ क्यों पसारे’ 

कोर्ट ने जब इसकी वजह पूछी तो उत्तर प्रदेश रेवेन्यू बोर्ड के सेक्रेटरी ने दलील रखी कि मथुरा जिला प्रशासन की ओर से सालाना रकम के लिए कोई डिमांड नहीं भेजी गई थी, लिहाजा उसे रिलीज नहीं किया जा सका जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने इस दलील पर नाराजगी जताई उन्होंने कहा, ‘आपने घटना का साधारणीकरण करते हुए बोला कि डीएम ने इस संबंध में डिमांड नहीं भेजी जबकि एक्ट की सेक्शन 99 के अनुसार आपको हर वर्ष सालाना राशि देनी ही होगी जब आपको पहले से पता है कि यह राशि देनी ही है, तब आप उसे सीधे ट्रांसफर क्यों नहीं कर देते आप क्यों चाहते हैं कि मंदिर आपके पास हर बार आकर हाथ पसारे

‘मंदिरों को 1 तारीख को क्यों नहीं मिलता फंड’

जस्टिस अग्रवाल ने कहा, ‘4 वर्ष से मंदिर में आरती भोग पूजा कैसे होगी गवर्नमेंट महीने की पहली तारीख को आपकी सैलरी देती है तो मंदिर को पहली तारीख को पैसा जारी क्यों नहीं किया जाता मुद्दे में सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने इस बात पर दुख जताया कि मंदिरों और ट्रस्ट को राज्य गवर्नमेंट से अपने हिस्से के ड्यूज हासिल करने के लिए न्यायालय के दरवाजे खटखटाने पड़ रहे हैं

‘आप महाराज बनकर पैसा नहीं रोक सकते’

जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा, ‘आप गवर्नमेंट हैं आपको यह करना ही चाहिए यह एक्ट कहता है कि मंदिर को आपको सालाना राशि देनी ही होगी आप राजा- महाराजा नहीं हैं आप गवर्नेंट सर्वेंट हैं और आपको उसी के हिसाब से व्यवहार करना चाहिए ये टैक्स पेयर्स का पैसा है, आपका नहीं है, जो आप महाराज बनके रखे हुए हैं यह बहुत शर्मनाक है ऐसे मुकदमा न्यायालय में नहीं आने चाहिए न्यायालय के गुस्से को देखते हुए राज्य के महाधिवक्ता ने बोला कि वह राशि मंदिर को ट्रांसफर कर दी गई है

‘आप कैसे रोक सकते हैं मंदिरों का फंड?’

सरकार के इस उत्तर से न्यायालय संतुष्ट नहीं हुई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने राज्य के महाधिवक्ता को आदेश दिया, ‘हम इस मुद्दे में राज्य गवर्नमेंट से एफिडेविट चाहते हैं टैक्सपेयर्स का पैसा है, फिर वह मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च जहां चाहे वहां जाए बड़े लज्जा की बात है कि आपकी गवर्नमेंट में मंदिर को पैसे के लिए न्यायालय में आना पड़ रहा है ऐसे कैसे फंड रोक देते हैं अफसर इन सबको बुलाकर एक बार इंस्ट्रक्शन दीजिए

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