उत्तर प्रदेश

नकली दवा फैक्ट्री का भंडाफोड़, इसके अंदर का माल खोखला

Ghaziabad Fake Medicines Factory: अक्सर जब भी कोई आदमी किसी रोग से ग्रसित हो जाता है तब चिकित्सक की राय पर वो दवाईयां लेता है, ताकि जल्द ठीक हो सके या फिर कई बार उसे रोग को कंट्रोल करने के लिए लंबे समय तक दवाईयां लेनी पड़ती हैं चिकित्सक जो दवाइयां लिखकर देते हैं, रोगी उन्हें खाने लगते हैं बिना ये सोचे-समझे की दवाई वास्तविक है या फिर नकली क्योंकि किसी आम आदमी के लिए असली-नकली दवाओं की पहचान करना थोड़ा कठिन होता है जबकि नकली दवाएं हमारी रोग को ठीक करने की बजाय हमें नयी रोग दे सकती हैं और स्वास्थ्य को खराब कर सकती हैं

नकली दवा फैक्ट्री का भंडाफोड़

गाजियाबाद में Drugs Department, Crime Branch और क्षेत्रीय पुलिस ने एक ऐसी फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है, जहां नकली दवाएं बनाई जा रही थीं नकली दवा बनाने की फैक्ट्री गाजियाबाद के साहिबाबाद क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र की एक छोटी सी स्थान में चल रही थी, यहां छापेमारी में Drugs Department ने एक करोड़ 10 लाख रुपये मूल्य की नकली दवाएं बरामद की है नकली दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल बरामद किया है नकली दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाली मशीनें और नकली दवाओं की पैकिंग का सामान बरामद किया है इसके अतिरिक्त पुलिस ने फैक्ट्री से एक पुरुष को अरैस्ट किया है

ब्रांडेड कंपनी के रैपर में पैक नकली दवाएं 

Drugs Department के अनुसार इस फैक्ट्री में ज्यादातर नकली Genric दवाएं बनाई जा रही थीं जिनकी राष्ट्र में सबसे अधिक मांग रहती है इनमें गैस, शुगर और बीपी की दवाएं शामिल हैं जिन्हें ब्रांडेड कंपनी की दवाओं के रैपर में पैक करके बाजार में बेचा जा रहा था डॉक्टर, रोगी की रोग के हिसाब से दवाएं लिखते हैं यदि रोगी को दवाएं ही नकली मिल रही हों, तो उसके ठीक होने की आसार कम हो जाती है इसके अतिरिक्त जीवनरक्षक दवाएं नकली होने से रोगी की जान को खतरा भी हो सकता है लेकिन कुछ लोग मुनाफे के लिए लोगों की जीवन दांव पर लगाने से नहीं कतराते ऐसा ही गाजियाबाद की इस फैक्ट्री में हो रहा था

दवाओं की राष्ट्र में भारी डिमांड

जिन नकली दवाओं को इस फैक्ट्री में बनाया जा रहा था उनकी राष्ट्र में भारी डिमांड है क्योंकि शुगर और बीपी ऐसी रोग हो गई है जिसके रोगी हिंदुस्तान में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं Indian Council of Medical Research यानी ICMR की साल 2023 की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक

हिंदुस्तान में इस समय 101 मिलियन यानी 10 करोड़ 10 लाख लोग शुगर से पीड़ित हैं जोकि साल 2021 के मुकाबले 36 प्रतिशत अधिक हैं
– इंटरनेशनल डायबिटिक फेडरेशन के अनुसार साल 2021 में हिंदुस्तान में 74.2 मिलियन यानी 7 करोड़ 42 लाख लोग शुगर से पीड़ित थे
– ICMR के अनुसार हिंदुस्तान में 136 मिलियन यानी 13 करोड़ 60 लाख लोग प्री-डायबिटिक हैं ये डायबिटिक होने से ठीक पहले की स्टेज होती है
राष्ट्र में गोवा में सबसे अधिक 26.4 प्रतिशत लोगों को शुगर है, जबकि उत्तर-प्रदेश में सबसे कम 4.8 प्रतिशत लोगों को शुगर की परेशानी है

शुगर और बीपी की नकली दवाएं

ज्यादातर पीड़ित शुगर कंट्रोल करने के लिए दवाएं लेते हैं ऐसे ही रोगियों की विवशता का लाभ नकली दवा बनाने वाले माफिया उठाते हैं जो ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं के नाम पर नकली दवाएं बाजार में पहुंचाते हैं गाजियाबाद की नकली दवा फैक्ट्री में भी शुगर और बीपी की नकली दवाएं बड़े स्तर पर बनाई जा रही थीं जबकि बीपी यानी उच्च रक्तचाप के रोगियों की संख्या भी हिंदुस्तान में बहुत तेजी से बढ़ रही है एक स्टडी के मुताबिक

साल 2019 में दुनिया में 130 करोड़ लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे, जोकि साल 1990 के मुकाबले दोगुना हैं साल 1990 में दुनिया में 65 करोड़ लोग BP की परेशानी से पीड़ित थे
– दुनिया में 30 से 80 उम्र वर्ग के प्रत्येक तीन में से एक आदमी को BP की परेशानी है
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हिंदुस्तान में ही 18 करोड़ 80 लाख लोग उच्च रक्तचाप से प्रभावित हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार BP की परेशानी को लेकर महत्वपूर्ण कदम उठाए जायें तो साल 2050 तक 7 करोड़ 60 लाख लोगों को BP की वजह से होने वाली मृत्यु से बचाया जा सकता है
हिंदुस्तान में भी BP के 6 करोड़ 70 लाख रोगियों को कारगर ढंग से उपचार दिया जाये, तो साल 2040 तक 4 करोड़ 60 लाख लोगों को BP की वजह से होने वाली मृत्यु से बचाया जा सकता है

नकली दवाओं का धंधा बहुत तेजी से बढ़ा

समय पर और ठीक दवा लेने से काफी हद तक रोग को समाप्त या कंट्रोल किया जा सकता है लेकिन इसके लिए महत्वपूर्ण है कि दवा वास्तविक और ठीक हो लेकिन जिस तरह गाजियाबाद में नकली दवा फैक्ट्री को लेकर खुलासा हुआ है, और फैक्ट्री से शुगर, बीपी और गैस की दवाएं बरामद की गई है, वो राष्ट्र के हर आदमी के लिए चिंता की बात है नकली दवा बनाने वाले किसी भी हद तक जा सकते हैं उन्हें केवल पैसों से मतलब रहता है, यही वजह है कि पिछले कुछ समय में नकली दवाओं का धंधा बहुत तेजी से बढ़ा है राष्ट्र के भिन्न-भिन्न हिस्सों में नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्रियां पकड़ी गई हैं

– 2 मार्च 2024 को तेलंगाना Drugs Control Administration ने उत्तराखंड में नकली दवा फैक्ट्री पर छापा मारा था, फैक्ट्री में Chalk Powder से नकली दवाएं तैयार की जा रही थी इस मुकदमा में 5 लोगों को अरैस्ट भी किया गया था
– 18 दिसंबर 2023 को दिल्ली पुलिस की अपराध ब्रांच ने गुलाबी बाग औद्योगिक क्षेत्र में नकली दवा फैक्ट्री पकड़ी थी, इस फैक्ट्री में नकली मेडिकल क्रीम बनाई जाती थी
– 15 अक्टूबर 2023 देहरादून पुलिस ने दो लोगों को अरैस्ट कर नकली दवाएं बरामद की थी, आरोपियों से 21 लाख 83 हज़ार नकली कैप्सूल बरामद किये गए थे
– 03 अगस्त 2023 को कोलकाता में 2 करोड़ की नकली दवाएं बरामद की गई थी, इन नकली दवाओं को कोलकाता की एक फैक्ट्री में बनाया गया था

नेटवर्क दिल्ली से लेकर कोलकाता तक

नकली दवा माफियाओं का नेटवर्क दिल्ली से लेकर कोलकाता तक फैला हुआ है नकली दवा फैक्ट्रियों पर छापेमारी होती है आरोपियों को अरैस्ट किया जाता है, लेकिन नकली दवाओं के धंधे पर अबतक रोक नहीं लगाई जा सकी है सैंकड़ों करोड़ की नकली दवाएं अब भी बाजार में उपस्थित हैं ऐसे में एक आम आदमी जब दवा खरीदने जाता है, तब उसके लिए सबसे बड़ी परेशानी होती है किसी दवा के नकली या वास्तविक होने की पहचान करना क्योंकि, नकली दवाएं बनाने वाले इतनी सफाई से इस काम को करते हैं, कि असली-नकली दवा की पहचान करना कठिन होता है

– नकली दवाओं की Shape और Size एकदम वास्तविक जैसा होता है
– दवाओं के स्ट्रिप भी वास्तविक दवाओं की तरह डिजाइन किये होते हैं
– नकली दवाओं की पैकिंग एकदम वास्तविक दवाओं की तरह की जाती है
– नकली दवाओं के रैपर का डिजाइन और कलर वास्तविक दवा के रैपर जैसा होता है
वास्तविक दवा और नकली दवा दोनों की MRP भी एक जैसी रखी जाती है

इन बातों का रखें ध्यान

अगर आपके सामने भी वास्तविक और नकली दवाईंयों को रख दिया जाये, तो पहली नज़र में पहचाना पाना थोड़ा कठिन होगा लेकिन लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनसे वास्तविक और नकली दवाओं को पहचाना जा सकता है जब आप दवा खरीदने जायें, तो ध्यान दें कि दवा के रैपर पर एक QR Code प्रिंट होता है नियम के अनुसार 100 रुपये से अधिक मूल्य वाली सभी दवाओं पर QR Code प्रिंट करना जरूरी है, ऐसे में दवा खरीदने के बाद आप क्यूआर कोड स्कैन करें इससे आपको दवा का ठीक और जेनरिक नाम, ब्रांड का नाम, मैन्युफैक्चरर की जानकारी, मैन्युफैक्चरिंग की तारीख, एक्सपायरी डिटेल और लाइसेंस नंबर जैसी अनेक जानकारियां मिल जाएंगी और आप सरलता से पता लगा सकेंगे कि दवा वास्तविक है या नकली

 

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