सिल्कयारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग स्थान की हुयी पहचान
नई दिल्लीः उत्तरकाशी टनल हादसे में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन पर इस समय पूरे राष्ट्र के लोगों की नजर बनी हुई है। पिछले 12 दिनों से निर्माणाधीन सुरंग के मलबे में 41 जिंदगियां फंसी हुई हैं। मलबा हटाने के लिए तरह-तरह की मशीनें लगाई गई हैं। विदेशी मशीनें भी बुलाई गई हैं। हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे ऑफिसरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती ड्रिलिंग है। पहले हॉरिजोन्टल ड्रिलिंग की गई। लेकिन कुछ खास लाभ नहीं हुआ। जिसके चलते अब वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी, जिसके लिए लोकेशन ढूंढ लिया गया है। सिल्कयारा टनल के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए जगह की पहचान कर ली गई है। अब तक मशीन से 32 मीटर पाइप डाला गया है।
वहीं केंद्र गवर्नमेंट ने बोला है कि चुनौतियों को देखते हुए फंसे हुए 41 श्रमिकों के बचाव कार्य में 15 दिन तक का समय लग सकता है। वहीं रेस्क्यू में जुटी एजेंसियों का बोलना है कि अगले 40 घंटे श्रमिकों के लिए काफी अहम होने वाले हैं। इस बीच एक बड़ी कामयाबी यह मिली है कि रेस्क्यू टीम ने बड़ी मात्रा में ठोस भोजन और पानी भेजने के लिए 57 मीटर लंबा, 6 इंच चौड़ा पाइप डालने में सफल हुई। इस पाइप के जरिए अब गर्म खाना परोसा जा रहा है। वहीं उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और पीएम मोदी इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर लगातार अपडेट ले रहे हैं।
बीते सोमवार की रात को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने समीक्षा बैठक भी की थी। साथ ही मुख्यमंत्री धामी को टेलीफोन कर लगातार अपडेट ले रहे हैं। ऑफिसरों ने बोला कि उन्होंने मलबे को काटकर निकासी मार्ग से मजदूरों को निकालने का रुका हुआ अभियान फिर से प्रारम्भ कर दिया है। सुरंग में फंसे मजदूरों को पाइप के माध्यम से रात के खाने के लिए शाकाहारी पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन के साथ चपाती भेजी गई।
रसोइया संजीत राणा ने कहा कि चिकित्सक की देखरेख में कम ऑयल और मसालों के साथ तैयार किए गए रात्रिभोज की आपूर्ति मजदूरों को 150 पैकेट में की गई। उन्होंने कहा, ‘‘दिन में उन्हें फल भेजे गए थे।’’ ऑफिसरों ने बोला कि इससे पहले, सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को छह इंच चौड़े पाइप के माध्यम से सेब, संतरे, मौसमी और केले जैसे फल और इलेक्ट्रॉल जैसी जरूरी दवाइयां पहुंचाईं गईं।