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कार्यस्थल पर किसी भी रूप में यौन उत्पीड़न को गंभीरता से लिया जाना चाहिए : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

उच्चतम कोर्ट ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के उस निर्णय को खारिज कर दिया है, जिसमें एक स्त्री अधीनस्थ द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के इल्जाम के मुद्दे में सेवा चयन बोर्ड के एक पूर्व कर्मचारी की 50 फीसदी पेंशन रोकने के आदेश को रद्द कर दिया गया था

CJI की बेंच ने क्या-क्या कहा?
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की प्रतिनिधित्व वाली उच्चतम न्यायालय की बेंच ने बोला कि कार्यस्थल पर किसी भी रूप में यौन उत्पीड़न को गंभीरता से लिया जाना चाहिए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘यौन उत्पीड़न एक व्यापक और गहरी जड़ें जमा चुका मामला है, जिसने पूरे विश्व के समाजों को त्रस्त कर दिया है

सुप्रीम न्यायालय (Supreme Court of India) ने बोला कि हिंदुस्तान में भी यौन उत्पीड़न गंभीर चिंता का विषय रहा है, और यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए कानूनों का विकास इस परेशानी के निवारण के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है’

क्या है पूरा मामला?
शीर्ष न्यायालय (Supreme Court) ने एसएसबी (SSB) के सेवानिवृत्त अधिकारी की पूर्ण पेंशन बहाल करने के हाई कोर्ट के 2019 के निर्णय के विरुद्ध केंद्र गवर्नमेंट की अपील को मंजूर करते हुए ये टिप्पणियां कीं संबंधित अधिकारी सितंबर 2006 और मई 2012 के बीच असम के रंगिया में क्षेत्र संयोजक के रूप में कार्यरत थायौन उत्पीड़न के आरोपों पर प्रारम्भ की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही के संबंध में दिलीप पॉल की 50 फीसदी पेंशन को हमेशा के लिए रोकने का आदेश दिया गया था पॉल पर अपने अधीन फील्ड असिस्टेंट के तौर पर काम करने वाली स्त्री कर्मचारी के यौन उत्पीड़न का इल्जाम था

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