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रिश्ता शर्मसार! एक पिता ही बना हैवान, नाबालिग बेटी का किया बार -बार ….

एर्नाकुलम: केरल हाई कोर्ट ने सौतेले पिता द्वारा अपनी नाबालिग बेटी के दुष्कर्म में सहायता करने की आरोपी मां को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया इसमें बोला गया है कि, ‘याचिकाकर्ता (आरोपी मां) के विरुद्ध इल्जाम बहुत गंभीर हैं और यदि ये सच हैं तो ये मातृत्व का अपमान हैं’ जस्टिस पी गोपीनाथ आरोपी मां की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसने दलील दी थी कि उसे एक और बच्चा, एक बेटा है, जिसकी देखभाल करनी है और वैसे मुद्दे की जांच पूरी हो चुकी है और एक आखिरी रिपोर्ट दाखिल की गई है, इसलिए उसे आगे हिरासत में न रखा जाए किसी भी जांच के उद्देश्य से यह जरूरी नहीं है और उसे जमानत पर रिहा किया जाए

अभियोजन पक्ष के अनुसार, नाबालिग लड़की के सौतेले पिता ने नाबालिग की मां की जानकारी और सहमति से 2018-2023 के बीच नाबालिग के साथ यौन संबंध बनाने की वार्ता की यह इल्जाम लगाया गया है कि नाबालिग लड़की को उसके सौतेले पिता को मोबाइल टेलीफोन पर अपनी नग्न फोटोज़ भेजने के लिए विवश किया गया और उसने पीड़िता की मां की सहमति और मिलीभगत से नाबालिग पीड़िता पर बार-बार यौन धावा और दुष्कर्म किया अभियोजन पक्ष ने अग्रिम जमानत की मांग करने वाली मां की याचिका का विरोध किया, हाई कोर्ट को नाबालिग पीड़िता का बयान दिखाया, जिसमें संकेत दिया गया था कि उसके सौतेले पिता ने उसकी मां के एक्टिव समर्थन और मिलीभगत से उसके साथ यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म किया था

अभियोजन पक्ष ने हाई कोर्ट को आगे कहा कि पीड़िता के बयान के अनुसार, उसके सौतेले पिता द्वारा पीड़िता के साथ दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न का क्राइम उसकी मां की उपस्थिति में भी किया गया था और एक अवसर पर पीड़िता की मां ने अपने कपड़े भी उतार दिए थे सौतेले पिता के कहने पर नाबालिग पीड़िता के भी कपड़े उतारे थे अभियोजन पक्ष ने आगे बोला कि यदि मुद्दे में आरोपी मां को जमानत दी जाती है, तो इस बात की पूरी आसार है कि नाबालिग पीड़िता को इस मुद्दे में आरोपी के पक्ष में सबूत देने के लिए प्रभावित किया जाएगा और धमकाया जाएगा हाई कोर्ट ने अभियोजन पक्ष और आरोपी मां की दलीलें सुनने के बाद निष्कर्ष निकाला कि नाबालिग पीड़िता की मां को जमानत देने का यह उपयुक्त मुद्दा नहीं है, क्योंकि उसके विरुद्ध इल्जाम बहुत गंभीर हैं और हिरासत में मुकदमे का सहारा लिया जाना चाहिए

जज ने बोला कि, ‘याचिकाकर्ता के विरुद्ध इल्जाम बहुत गंभीर हैं और यदि ये सच हैं तो ये मातृत्व का अपमान हैं विद्वान लोक अभियोजक द्वारा व्यक्त की गई संभावना असली प्रतीत होती है याचिकाकर्ता नाबालिग पीड़िता की जैविक मां होने के नाते जमानत दिए जाने पर पीड़िता को प्रभावित करने या डराने-धमकाने की स्थिति में हो सकती हैन्यायालय ने आगे बोला है कि नाबालिग पीड़िता का यह बयान कि उसकी मां की मौजूदगी में भी उसके साथ दुष्कर्म हुआ, एक और कारण है जो न्यायालय को यह मानने के लिए विवश करता है कि याचिकाकर्ता मां जमानत की हकदार नहीं है

 

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