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एम्स ने 51 वर्षीय महिला पर की पहली बार सफल डुअल किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी

नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने हाल ही में एक जरूरी उपलब्धि हासिल की है यहां के डॉक्टरों की एक टीम ने 51 वर्षीय स्त्री पर पहली बार सफल डुअल किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की यह किडनी उन्हें परिवार की एक 78 वर्षीय स्त्री से प्राप्त हुई, जिनका दुखद रूप से सीढ़ियों से गिरने के कारण गंभीर सिर में चोट लग गई थी और उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था

डुअल किडनी ट्रांसप्लांटेशन (डीकेटी) एक ऐसी प्रक्रिया है जहां रोगी को एक साथ दो किडनी ट्रांसप्लांट की जाती हैं यह सर्जरी खासतौर पर उन रोगियों के लिए लाभ वाला है, जो डायलिसिस पर हैं और किडनी फेलियर का सामना कर रहे हैं

कौन बन सकते हैं डुअल किडनी ट्रांसप्लांट के डोनर?
इस प्रक्रिया में, 60 साल या उससे अधिक उम्र के डोनर की किडनी का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिन्हें एक्सपेंडेड क्राइटेरिया डोनर (ECD) किडनी बोला जाता है इसे सरल शब्दों में समझें तो ECD का मतलब है 60 या उससे अधिक उम्र के डोनर या 50 से अधिक उम्र के वे डोनर जिन्हें पहले हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी रही है, जिनका क्रिएटिनिन लेवल 1.5 के बराबर या उससे अधिक है या जिनकी स्ट्रोक से मृत्यु हो गई हो

बुजुर्ग डोनर से भी किडनी ट्रांसप्लांट कैसे संभव हुआ?
आमतौर पर 65 वर्ष से अधिक उम्र के ब्रेन डेड डोनरों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए स्वीकार नहीं किए जाते हैं लेकिन हिंदुस्तान में अंगों की कमी को देखते हुए एम्स की टीम ने इस खास मुद्दे में अधिक से अधिक फायदा उठाने का निर्णय कियाभारतीय एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, एम्स के डाक्टर असुरी कृष्णा ने कहा कि जब हम युवा डोनर से किडनी लेते हैं, तो आमतौर पर केवल एक का ही इस्तेमाल करते हैं क्योंकि एक किडनी से भी रोगी का जीवन चल सकता है लेकिन इस मुद्दे में डोनर 78 वर्ष के थे, इसलिए हमने दोनों किडनी को एक ही रोगी में ट्रांसप्लांट करने का निर्णय किया यह प्रक्रिया काफी दुर्लभ है और आमतौर पर बुजुर्ग डोनरों के लिए ही की जाती है उम्र के साथ अंगों की काम करने की क्षमता कम हो जाती है इसलिए युवा डोनर से मिली किडनी अधिक कारगर होती है, लेकिन बुजुर्ग डोनर से मिली किडनी भी 8-10 वर्ष तक रोगी को जीवनदान दे सकती है

बुजुर्ग डोनरों से डुअल किडनी ट्रांसप्लांट किडनी रोगियों की कैसे सहायता करेगा?
ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता वाले रोगी 50 वर्ष से अधिक उम्र के होते हैं लेकिन अंगों की कमी के चलते उन्हें डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लंबा प्रतीक्षा करना पड़ता है डाक्टर असुरी बताते हैं कि डुअल किडनी ट्रांसप्लांट न केवल हिंदुस्तान में अंगों की बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायता करेगा बल्कि ऐसे अंगों का भी इस्तेमाल होगा जो आमतौर पर खराब हो जाते हैं वह कहते हैं कि इस सर्जरी ने बुजुर्ग डोनरों के अंगों का इस्तेमाल कर अंग दान प्रणाली में आपूर्ति और मांग के बीच के अंतर को कम करने का एक बहुत बढ़िया उदाहरण पेश किया है

कैसे हुई यह सर्जरी?
इस ऑपरेशन में रोगी की मौजूदा दोनों किडनी के साथ-साथ उनके दाहिनी तरफ दो और नयी किडनी को ट्रांसप्लांट किया गया इस तरह रोगी के शरीर में कुल चार किडनी हो गईं डाक्टर असुरी ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि डोनर की उम्र अधिक होने के कारण दोनों किडनी को रोगी के दाहिनी तरफ ही ट्रांसप्लांट किया जाना था उन्होंने कहा कि डोनर की एक किडनी, डायलिसिस पर निर्भर रहने वाले रोगी के लिए पर्याप्त नहीं होती हमें सबसे पहले पहली किडनी को जोड़ने के लिए रोगी की मुख्य आर्टरी और वेन्स को बंद करना पड़ा और फिर उसके नीचे दूसरी किडनी को ट्रांसप्लांट करना पड़ा इसलिए, एक ही रोगी में दोनों किडनी का इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया

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