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Jairam Ramesh ने पहले अमृत काल को अमरूद काल कहा…

देखा जाये तो हिंदुस्तान की हर सफलता को कम करके आंकने और हिंदुस्तान की हर उपलब्धि का श्रेय गांधी परिवार को देने के लिए जयराम रमेश इतने आतुर रहते हैं कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी में बड़े से बड़े नेताओं को पीछे छोड़ दिया है अब जयराम रमेश के निशाने पर जी-20 शिखर सम्मेलन है

भारत को जबसे जी-20 की अध्यक्षता मिली है तबसे विपक्ष के कुछ नेता बहुत परेशान हैं खासकर कांग्रेस पार्टी नेता जयराम रमेश बहुत अधिक तकलीफ में नजर आ रहे हैं पीएम मोदी के हर वक्तव्य, हर उपलब्धि, हर निर्णय और हर नीति पर कटाक्ष करने से नहीं चूकने वाले जयराम रमेश मोदी विरोध में कभी कभी बहुत आगे निकल जाते हैं जैसे पीएम मोदी की पहल पर आजादी के अमृत काल को राष्ट्र ने धूमधाम से मनाया लेकिन जयराम रमेश ने अमृत काल को अमरूद काल बता दिया हिंदुस्तान को विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही गयी तो जयराम रमेश ने कह दिया कि इसमें गवर्नमेंट को क्या करना है, हिंदुस्तान अपने आप ही तीसरी अर्थव्यवस्था बन जायेगा

देखा जाये तो हिंदुस्तान की हर सफलता को कम करके आंकने और हिंदुस्तान की हर उपलब्धि का श्रेय गांधी परिवार को देने के लिए जयराम रमेश इतने आतुर रहते हैं कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी में बड़े से बड़े नेताओं को पीछे छोड़ दिया है अब जयराम रमेश के निशाने पर जी-20 शिखर सम्मेलन है इस सम्मेलन को दिव्य और भव्य रूप देने के लिए पीएम मोदी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं मोदी शिखर सम्मेलन की तैयारियों से जुड़े हर पहलू पर करीबी नजर रख रहे हैं ताकि कहीं कोई कमी ना रह जाये शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी की गवर्नमेंट ने दिल्ली के प्रगति मैदान में जो हिंदुस्तान मंडमप तैयार करवाया है उससे हिंदुस्तान का ही गुणगान पूरी दुनिया में होने वाला है शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आने वाले विश्व नेताओं की आवभगत के लिए जो व्यवस्था किये जा रहे हैं उससे हिंदुस्तान के आतिथ्य सत्कार का ही गुणगान विश्व भर में होने वाला है लेकिन जयराम रमेश इस सबसे बहुत चिंतित हैं क्योंकि उन्हें यह अच्छा नहीं लगेगा कि बहुत बढ़िया आयोजन के लिए विश्व नेता मोदी की पीठ थपथपाएं जयराम रमेश को लग रहा है कि मोदी इस सबका लाभ चुनावों में ले लेंगे जयराम रमेश को लगता है कि मोदी को चुनावों में जी-20 का लाभ मिला तो वह कहीं फिर से पीएम ना बन जायें दरअसल जयराम रमेश के इस पूरे डर के पीछे कारण यह है कि उनका स्वयं का कॅरियर दांव पर लगा हुआ है जयराम रमेश जानते हैं कि यदि 2024 में कांग्रेस पार्टी फिर चुनाव हारी तो सबसे पहले पार्टी के नेता उन पर ही गाज गिरायेंगे इसलिए वह हर रोज कोई ना कोई मामला निकाल कर लाते हैं और कोशिश करते हैं कि इससे मोदी विरोध को हवा दी जा सके

जहां तक जी-20 के आयोजन से चुनावी फायदा होने की बात है तो जयराम रमेश को अपनी चिंता दूर करनी चाहिए उन्हें पता होना चाहिए कि जी-20 के विभिन्न समूहों की बैठकें देशभर में आयोजित की गयीं जिस भी शहर में यह बैठकें हुईं वहां की राज्य गवर्नमेंट और क्षेत्रीय प्रशासन ने अतिथियों की आवभगत में पलक-पांवड़े बिछा दिये और बैठक को हर अर्थ में सफल बनाया जी-20 समूहों की बैठकों को सफल बनाने में कांग्रेस पार्टी शासित राज्य भी पीछे नहीं रहे इसलिए प्रश्न उठता है कि बैठक के सफल होने का लाभ वहां सत्ता में उपस्थित पार्टी को मिला या राष्ट्र को? कश्मीर में जी-20 पर्यटन समूह की सफल बैठक हुई इसका लाभ कश्मीर को मिला या पीएम मोदी को? कश्मीर में जी-20 की सफल बैठक से विश्व को कश्मीर में सब कुछ सामान्य होने का संदेश गया या यह संदेश गया कि मोदी ने बहुत अच्छा इवेंट आयोजित किया था?

दरअसल हर उपलब्धि का श्रेय एक परिवार को देने के आदी नेता पिछले नौ वर्षों से यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि कैसे अब उपलब्धियां राष्ट्र के नाम दर्ज हो जा रही हैं हम आपको यह भी बता दें कि जब पिछले वर्ष हिंदुस्तान को जी-20 की अध्यक्षता मिली थी तभी कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर दिया था कि दुनिया के सबसे बड़े इवेंट मैनेजर 2023 की शिखर बैठक का इस्तेमाल असल मुद्दों से ध्यान भटकाने और अगले लोकसभा चुनाव में लाभ उठाने के लिए करेंगे जयराम रमेश ने नवंबर 2022 में जो ट्वीट किया था उसमें कही गयी बातों को ही दोबारा कॉपी पेस्ट करके अब नये ट्वीट में बोला है कि जी-20 का गठन 1999 में हुआ था उन्होंने बोला कि 19 राष्ट्र और यूरोपीय संघ इसके सदस्य हैं इसके गठन से लेकर अब तक बारी-बारी से 17 राष्ट्रों में जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ है अब हिंदुस्तान का नंबर है लेकिन यहां इसे लेकर जिस तरह का चुनावी अभियान चलाया जा रहा है और माहौल बनाने की प्रयास की जा रही है, वैसा किसी भी दूसरे राष्ट्र में नहीं हुआ उन्होंने दावा किया कि वास्तव में ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि लोगों के आवश्यक मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके रमेश ने कहा, ‘‘हमें याद रखना चाहिए कि इसी नई दिल्ली में 1983 में 100 से अधिक राष्ट्रों का गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन और उसके बाद राष्ट्रमंडल राष्ट्रों का शिखर सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित हो चुका है लेकिन तब की गवर्नमेंट ने चुनावी फ़ायदे के लिए उन मौकों का इस्तेमाल नहीं किया’’ उन्होंने कहा, ‘‘फिर मुझे लालकृष्ण आडवाणी की वह बात याद आ रही है 5 अप्रैल 2014 को उन्होंने नरेन्द्र मोदी को एक बहुत बढ़िया इवेंट मैनेजर कहा था जनता का ध्यान भटकाने के लिए पीएम इवेंट मैनेजमेंट ही कर रहे हैं

बहरहाल, जयराम रमेश का यह बोलना ठीक है कि हिंदुस्तान को अध्यक्षता इसलिए मिली क्योंकि इस बार हमारे राष्ट्र की बारी थी जयराम रमेश की यह बात भी ठीक है कि कांग्रेस पार्टी के समय में भी राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आयोजन हुए लेकिन जयराम रमेश को फर्क यह देखना चाहिए कि पहले के आयोजन जहां आज तक अपने घपले और घोटालों के लिए प्रसिद्ध हैं वहीं आज के आयोजन अपनी दिव्यता, भव्यता और हिंदुस्तान की संस्कृति, सभ्यता तथा इतिहास की अलौकिक झलक से लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बने हुए हैं या बन रहे हैं दूसरी ओर, बीजेपी ने इस मामले पर जयराम रमेश पर पलटवार करते हुए बोला है कि यह समझ नहीं आता कि क्यों कांग्रेस पार्टी राष्ट्र में कुछ अच्छा होते हुए नहीं देखना चाहती देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी का यह नया पैंतरा सियासी टकराव को कहां तक ले जाता है

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