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Delhi Air Pollution: IIT-कानपुर से दिल्ली सरकार ने मांगी मदद

Delhi Air Pollution latest news: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की चारों ओर चर्चा है जहरीले हो चुकी हवा ने हर किसी का दम घोंटकर रखा था हालात से न निपट पाने पर उच्चतम न्यायालय राज्य सरकारों को लताड़ लगा चुकी है ऐसा लगता है कि इस परेशानी का क्या कोई स्थाई निदान है अभी ये बात कोई नहीं जानता जब आदमी बेबस हो गए तो वो प्रकृति से आस लगाने लगे कि बारिश होगी तो कुछ प्रदूषण छट जाएगा नेचुरल बारिश से पहले दिल्ली-एनसीआर में आर्टिफिशियल बारिश कराने की जोरशोर से चर्चा हो रही था तो क्या ये आर्टिफिशियल बारिश वाकई कारगर है क्या बोलना है आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का आइए जानते हैं

दिल्ली गवर्नमेंट ने लगाई आईआईटी (कानपुर) से गुहार 

तकनीक और इनोवेशन के मुद्दे में आईआईटी कानपुर का कोई सानी नहीं है पॉल्युशन ने दिल्ली की हवा को जहरीला बनाया तो IIT कानपुर सुर्खियों में आया केजरीवाल गवर्नमेंट ने IIT-K को अप्रोच किया जिसके पास स्वयं अपना एयरक्राफ्ट है उसमें क्लाउड सीडिंग (cloud seeding) करने के लिए फ्लेअर्स (flares) का अटैचमेंट लग चुका है इसे DGCA ने स्वीकृति भी मिल चुकी है इससे कहीं भी क्लाउड सीडिंग करा सकते हैं IIT-K से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली गवर्नमेंट (Delhi Government) ने टेलीफोन करके सहायता मांगी

क्लाउड सीडिंग से पॉल्यूशन कंट्रोल कैसे करें?

IIT-K ने कहा कि उनकी टीम CII के साथ मिलकर पिछले 2 महीने से ये प्लानिंग कर रहे है कि NCR मैं क्लाउड सीडिंग के द्वारा हम पॉल्यूशन कंट्रोल कैसे करें और कब करें? CII ऑफिस बहुत सक्रिय है और वो दिल्ली गवर्नमेंट और केंद्र गवर्नमेंट दोनों के साथ कोऑर्डिनेटर कर रहा है

अस्थाई व्यवस्था 7-10 दिन तक ही असरदार

दरअसल क्लाउड सीडिंग के जरिए जो बारिश होती है उससे जब पानी बरसता है तो डस्ट पार्टिकल (dust partical) पानी के साथ बह जाते हैं जिससे वातावरण प्रदूषण से रहित हो जाता है लेकिन जब तक हम प्रदूषण के सोर्सेस पर एक्शन नहीं लेंगे तो प्रदूषण फिर हो जायेगा इसलिए क्लाउड सीडिंग के द्वारा प्रदूषण पर कंट्रोल अस्थाई होता है जो की एक सप्ताह से लेकर दो सप्ताह तक चलता है

दिल्ली/ एनसीआर का करीब 1000 स्क्वायर किलोमीटर से भी बड़ा क्षेत्र है वहां पर पानी बरसने के लिए काफी बड़े क्षेत्र में क्लाउड सीडिंग की जरूरत पड़ेगी अब ये इस पर निर्भर करता है की बादल किस क्षेत्र में मिलते हैं? वहीं ये भी महत्वपूर्ण नहीं है पूरे दिल्ली-NCR के ऊपर ही बादल हों ही? तो जहां भी बादल होंगे और जिस भी प्रकार के बादल होंगे हमें उस हिसाब से ही काम करना पड़ेगा उसके ऊपर हमारा कोई कंट्रोल नहीं है

देखिए क्योंकि एयरक्राफ्ट उड़ता है और उसमें ईंधन लगता है एयरक्राफ्ट का मेंटिनेंस अच्छा खासा होता है उसमें जो फ्लेयर्स लगते ही है उसका खर्चा भी होता है इसलिए ये थोड़ा महंगा तो पड़ता है लेकिन इसके जरिए जहां कहीं भी बादल होते हैं वहां सीडिंग करने से कुछ समय के लिए प्रदूषण कम किया जा सकता है

मौसम विभाग ने जो रिपोर्ट जारी की थी, वो सच साबित हुई दिल्ली-एनसीआर में बीती रात बारिश हुई हालांकि इससे प्रदूषण में कोई कमी नहीं आई है

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