शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के पीएम मोदी और बीजेपी के लिए बदले सुर ने महाराष्ट्र की राजनीति से लेकर राष्ट्र की राजनीति तक अटकलों का नया दौर प्रारम्भ हो गया है। इससे जहां विपक्षी गठबंधन INDIA में संशय पैदा हुआ है, वहीं बीजेपी नेताओं ने भी दबे सुर बोलना प्रारम्भ कर दिया है कि राजनीति में दरवाजे कभी बंद नहीं होते हैं।
विपक्षी गठबंधन के दो बड़े मजबूत माने जाने वाले राज्य बिहार और महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े परिवर्तन दिखने लगे हैं। बिहार में तो नीतीश कुमार ने राजग में आकर ‘INDIA’ को करारा झटका दिया ही है, अब महाराष्ट्र में भी वैसी ही सरगर्मी है?
उद्धव ठाकरे ने एक दिन पहले एक रैली में बोला कि वह मोदी को बताना चाहते हैं कि हम कभी आपके शत्रु नहीं थे। आज भी शत्रु नहीं है। वह और शिवसेना उनके साथ थी। हमने पिछली बार अपने गठबंधन के लिए प्रचार किया था। आप पीएम बने। बाद में आपने हमें स्वयं से दूर कर दिया। हमारा हिंदुत्व और भगवा ध्वज आज भी कायम है।
ठाकरे का यह बयान उस समय आया है जबकि लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ दरक रहा है और बीजेपी नए पुराने साथियों को जोड़ रही है। महाराष्ट्र में बीजेपी ने दो दलों शिवसेना और एनसीपी को तोड़कर अपने साथ लिया है। दोनों ही दलों के अधिकतर नेता बीजेपी के साथ हैं। ऐसे में विपक्षी गठबंधन बहुत कमजोर हुआ है। उद्धव ठाकरे सदन से लेकर न्यायालय और चुनाव आयोग तक पार्टी और चुनाव चिन्ह की जंग हार चुके हैं। एनसीपी और कांग्रेस पार्टी के साथ चुनाव में जाने पर उनकी दिक्कतें और बढ़ सकती हैं।
उद्धव को ही बालासाहब ठाकरे का उत्तराधिकारी माना जाता है
भाजपा के लिए शिवसेना के ठाकरे गुट का साथ आना फायदा का सौदा होगा। दरअसल जमीन पर जनता के बीच अभी भी उद्धव ठाकरे को ही बालासाहब ठाकरे और शिवसेना का उत्तराधिकारी माना जाता है। राज्य की जनता ने बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे की पार्टी को स्वीकार नहीं किया था। ऐसे में सीएम एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को जनता कितना स्वीकार कर पाएगी?
एनसीपी की अधिकतर ताकत अजित पवार के साथ पहले ही बीजेपी के साथ है। ऐसे में यदि उद्धव ठाकरे की राजग में वापसी होती है तो महाराष्ट्र में ‘INDIA’ का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। बीजेपी के एक प्रमुख नेता ने ठाकरे के बयान पर बोला है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं और दरवाजे कभी बंद नहीं होते हैं।
सबसे बड़ा असर कांग्रेस पार्टी पर पड़ेगा
इसका सबसे बड़ा असर कांग्रेस पार्टी पर पड़ेगा, जो गठबंधन राजनीति में लगातार अलग थलग पड़ती जा रही है। जिन नेताओं और दलों पर उसे अधिक भरोसा था वही साथ छोड़ रहे हैं। दूसरी तरफ बीजेपी की प्रयास कांग्रेस पार्टी को अलग थलग कर उसे और अधिक निचले स्तर पर ले जाने और स्वयं को चार सौ पार ले जाने पर है।