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सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर की याचिका कर दी खारिज

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर की वह याचिका खारिज कर दी, जिन्‍हें बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा था. इस याचिका में उन्होंने उनके नामांकन पत्र को नामंजूर किए जाने को चुनौती दी थी.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्‍वनाथन की पीठ ने यह देखते हुए कि रिटर्निंग अधिकारी ने किसी भी दुर्भावनापूर्ण ढंग से काम नहीं किया, बोला कि सीधे शीर्ष न्यायालय के समक्ष दाखिल रिट याचिका पर विचार करने से चुनाव प्रक्रिया रुक जाएगी.

याचिका पर विचार करने में पीठ की अनिच्छा को भांपते हुए धर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील निधेश गुप्ता ने हिंदुस्तान के चुनाव आयोग (ईसीआई) से संपर्क करने की स्वतंत्रता के साथ मुद्दे को वापस लेने की अनुमति मांगी.

संविधान के अनुच्छेद 32 के अनुसार दाखिल अपनी याचिका में धर ने तर्क दिया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को वॉकओवर देने के लिए उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था. धर ने हाल ही में राजनीति में शामिल होने के लिए सेवा से त्याग-पत्र दे दिया है.

वकील आशुतोष कुमार शर्मा के जरिए दाखिल याचिका में बोला गया है कि नामांकन पत्र जमा करने की अनुमति न देना और उसे खारिज करना मनमाना रवैया है और रिटर्निंग अधिकारी की मनमानी का एक आदर्श उदाहरण है.

धर का नामांकन 26 अप्रैल को इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि वह सेवा से इस्तीफे के बाद पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट से “नो ड्यूज” प्रमाणपत्र पेश नहीं कर सके. उनके जगह पर वरिष्ठ बीजेपी नेता देबतनु भट्टाचार्य ने बीरभूम निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के दूसरे उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया.

 

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