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विदेश मंत्री ने ये इतिहास बताकर कांग्रेस को घेरा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को विपक्ष को इजरायल के बहाने से निशाने पर लिया. उन्होंने बोला कि आखिर 1992 तक इजरायल में हिंदुस्तान का कोई दूतावास या फिर राजनयिक क्यों नहीं था. उन्होंने कहा, आप इजरायल जैसे राष्ट्र के बारे में सोचिए, लोग आज कहते हैं कि सब लोग बराबर हैं और चर्चा में किसी धर्म की बात नहीं करनी चाहिए. इजरायल 1948 में आजाद हो गया था इसके बाद 1992 तक हमारा कोई दूतावास इजरायल में नहीं था. आखिर क्यों?

विदेश मंत्री ने आगे बोला कि 1992 में इजरायल में दूतावास बन गया  लेकिन तब भी कोई पीएम यहूदी राष्ट्र नहीं गया. 2017 में पहली बार पीएम मोदी इजरायल गए. तो क्या यह वोट बैंक का मुद्दा नहीं था? बतादें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर हैदराबाद में आयोजित नेशनलिस्ट थिंकर्स फोरम में बोल रहे थे.

विदेश मंत्री ने कहा, इसके बारे में विचार करिए और मुझे बताइए कि क्या धर्म का हमारी नीतियों पर कोई असर नहीं रहता है. क्या यह वोट बैंक नहीं है? उन्होंने बोला कि हिंदुस्तान ने आधिकारिक तौर पर 1950 में ही इजरायल को मान्यता दे दी थी. इसके बाद भी पूरी तरह से राजनयिक संबंध स्थापित होने में 29 जनवरी 1992 तक का समय लग गया. पिछले महीने भी विदेश मंत्री ने हमास-इजरायल की जंग में हो रही आम लोगों की मौतों पर दुख जाहिर किया था.

उन्होंने बोला था, एक तरफ 7 अक्टूबर को जो हुआ वह आतंकवाद था. दूसरी तरफ कोई नहीं चाहता कि युद्ध में मासूम लोग मारे जाएं. राष्ट्र अपने हिसाब से इसका स्पष्टीकरण दे सकते हैं लेकिन हम इसे ठीक नहीं कह सकते. हर प्रतिक्रिया का एक तरीका होना चाहिए और यह अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के दायरे में होना चाहिए. बता दें कि सात अक्टूबर को हमास के आतंकवादियों ने इजरायल पर धावा कर दिया था. इसके बाद पीएम मोदी ने भी इजरायली पीएम नेतन्याहू से टेलीफोन पर बात की थी. उन्होंने हमास के हमले की आलोचना की थी.

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