नई दिल्ली: मणिपुर वायरल वीडियो मुद्दे में उच्चतम न्यायालय आज फिर सुनवाई कर रहा है। मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बोला कि वीडियो सामने आने के बाद मुद्दा सामने आया लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है जहां स्त्रियों पर धावा या उत्पीड़न किया गया है। वहां और भी महिलाएं हैं।
3 मई से अब तक कितनी FIR दर्ज की गई हैं
सीजेआई ने बोला कि हमें स्त्रियों के विरुद्ध अत्याचार के व्यापक मामले को देखने के लिए एक प्रणाली भी बनानी होगी। इस प्रणाली को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे सभी मामलों का ध्यान रखा जाए. उन्होंने पूछा कि 3 मई को मणिपुर में अत्याचार प्रारम्भ होने के बाद से अब तक ऐसी कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं.
सुप्रीम न्यायालय ने बोला कि वह दोनों पक्षों को संक्षेप में सुनेगा और फिर मुनासिब कार्रवाई पर निर्णय करेगा. हमारे पास अब तक कोई सबूत रिकॉर्ड नहीं है।
सीबीआई जांच के खिलाफ
मणिपुर की दो पीड़ित स्त्रियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बोला कि महिलाएं CBI जांच और मुद्दे को असम स्थानांतरित करने के विरुद्ध हैं। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बोला कि हमने कभी भी मुद्दे को असम स्थानांतरित करने का निवेदन नहीं किया है।
तुषार मेहता ने बोला कि हमने बोला है कि इस मुद्दे को मणिपुर से बाहर ट्रांसफर किया जाए। आसमां ने कभी नहीं कहा।
‘हिंसा में शामिल लोगों का समर्थन कर रही थी पुलिस’
दोनों पीड़ित स्त्रियों की ओर से पेश होते हुए कपिल सिब्बल ने बोला कि यह साफ है कि पुलिस उन लोगों का योगदान कर रही है जिन्होंने दोनों स्त्रियों के विरुद्ध अत्याचार की है। पुलिस इन स्त्रियों को भीड़ के पास ले गई और भीड़ ने वही किया जो वो करती थीं। सिब्बल ने कहा,
एक पीड़ित स्त्री के पिता और भाई की मर्डर कर दी गई. हमारे पास अभी भी मृतशरीर नहीं हैं। 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई। जब न्यायालय ने संज्ञान लिया तो कुछ हुआ। फिर हम कैसे भरोसा कर सकते हैं? ऐसी बहुत सी घटनाएँ होंगी। इसलिए हम एक ऐसी एजेंसी चाहते हैं जो मुद्दे की जांच करने के लिए स्वतंत्र हो.
सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का बोलना है कि यदि उच्चतम न्यायालय मुद्दे की नज़र करता है तो केंद्र को कोई विरोध नहीं है। इसके साथ ही वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने उच्चतम न्यायालय को कहा कि केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार 595 एफआईआर। इनमें से कितने यौन अत्याचार से संबंधित हैं और कितने आगजनी, मर्डर से संबंधित हैं। इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है।
महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा करना महत्वपूर्ण है।
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने बोला कि जहां तक कानून की बात है तो बलात्कार पीड़िताएं इसके बारे में बात नहीं करतीं। वे सदमे से उबर नहीं पाते। पहली बात है आत्मविश्वास पैदा करना। आज यह पता नहीं है कि यदि CBI जांच प्रारम्भ करेगी तो महिलाएं सामने आएंगी या नहीं। उन्होंने बोला कि घटना के बारे में पुलिस की बजाय स्त्रियों से बात करना सरल होगा।