भारत और चीन के बीच जारी तनाव पर चिंता व्यक्त करते हुए एस जयशंकर ने कही ये बात
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिंदुस्तान और चीन के बीच जारी तनाव पर चिंता व्यक्त करते हुए बोला कि इस स्थिति से किसी भी राष्ट्र को कोई लाभ नहीं हुआ है। सोमवार शाम को एक पैनल चर्चा में बोलते हुए, जयशंकर ने तनावपूर्ण भारत-चीन संबंधों और असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बलों को कम करने और मौजूदा समझौतों को बनाए रखने की जरूरत को संबोधित किया।
उन्होंने बोला कि, “मुझे लगता है कि यह हमारे साझा भलाई में है कि असली नियंत्रण रेखा पर हमारे पास इतनी सारी ताकतें नहीं होनी चाहिए। मुझे लगता है कि यह हमारे साझा भलाई में है कि हमें उन समझौतों का पालन करना चाहिए जिन पर हमने हस्ताक्षर किए हैं। और, मेरा मानना है ये केवल आम भलाई में नहीं, ये चीन के भलाई में भी है। पिछले चार सालों से हमने जो तनाव देखा है, उससे हम दोनों को कोई लाभ नहीं हुआ है।” विदेश मंत्री ने सीमा टकराव के निष्पक्ष और तर्कसंगत निवारण की तलाश के लिए हिंदुस्तान की प्रतिबद्धता पर बल दिया, जो पहले से हस्ताक्षरित समझौतों का सम्मान करता है और यथास्थिति को बदलने का कोशिश किए बिना एलएसी को स्वीकार करता है।
उन्होंने बोला कि, “जितनी शीघ्र हम इसे सुलझा लेंगे, मैं वास्तव में मानता हूं कि यह हम दोनों के लिए अच्छा है। मैं अभी भी निष्पक्ष, मुनासिब रिज़ल्ट खोजने के लिए प्रतिबद्ध हूं। लेकिन जो समझौतों का सम्मान करता है वह असली नियंत्रण रेखा को मान्यता देता है और इसकी मांग नहीं करता है। मुझे लगता है कि यह हम दोनों के लिए अच्छा होगा।” बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में कुछ घर्षण बिंदुओं पर हिंदुस्तान और चीन के बीच लगभग चार वर्ष से चल रहे टकराव के बीच यह टिप्पणी आई है। हिंदुस्तान और चीन ने गतिरोध को हल करने के लिए राजनयिक और उच्च स्तरीय सेना वार्ता के कई दौर में भाग लिया है, लेकिन कोई खास कामयाबी नहीं मिली है। दोनों पक्ष ज़मीन पर “शांति और अमन” बनाए रखने पर सहमत हुए हैं।