चुनाव Flashback: जब नारों ने बदल दिया था चुनावी फिजा का रुख…
चुनाव Flashback: लोकसभा चुनाव को लेकर पहले चरण का चुनाव प्रचार बुधवार को समाप्त हो गया और शुक्रवार को वोटिंग होने वाली है. इस बीच बाकी के 6 चरणों के लिए राजनीतिक दलों ने अपने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है. चुनावों में तरह-तरह की नारेबाजी राजनीतिक दलों द्वारा की जाती रही है. ‘अबकी बार, 400 पार’ की गूंज भाजपा और सहयोगी दलों की तरफ से सुनाई दे रही है. वहीं विपक्षी दल भी तरह-तरह के नारों से सत्ताधारी दल को किनारे लगाने की पूरी प्रयास कर रहे हैं.
भारत की राजनीति में नारे काफी अहम साबित हुए हैं. शहर से लेकर गांव तक इन नारों से राजनीतिक दल अपने पक्ष में माहौल बनाते हैं. सरकारों को पलटने में इन नारों ने उत्प्रेरक का भी काम किया है.
खा गई राशन पी गई तेल।।
नारों से राजनीतिक फिजा के बदलने की बात करें तो सबसे अहम मौका था 1977 के लोकसभा चुनाव का. आपातकालीन के बाद हुए इस चुनाव में विपक्ष की ओर से यह नारा दिया गया-खा गई राशन पी गई तेल, ये देखो इंदिरा का खेल…. इस नारे का चुनाव पर खासा असर हुआ था. कई स्थान कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा. 1977 के चुनाव में बुलंद किए गए इस नारे के चलते केंद्र से कांग्रेस पार्टी को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी.
पहले चुनाव से जारी है नारों के सिलसिला
हालांकि नारों का सिलसिला लोकसभा के पहले चुनाव से ही प्रारम्भ हो गया था. 1952 में जनसंघ की स्थापना हुई थी. पहले लोकसभा में जनसंघ का चुनाव चिह्न दीपक था. उस समय यह नारा दिया गया था- हर हाथ को काम, हर खेत को पानी।। घर-घर दीपक जनसंघ की निशानी.
बच्चा-बच्चा अटल बिहारी।।
1967 को लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस समय जनसंघ की ओर से नारा दिया गया-उज्जवल भविष्य की है तैयारी।। बच्चा-बच्चा अटल बिहारी…. फिर 1977 की नारेबाजी और जुमले की बात हम उपर कर चुके हैं. इसके बाद 1980 में ऐसा दौर आया जब कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया. इसको लेकर भी नारे गढ़े गए. नारा था-दलबदलू फंसा शिकंजे में, मोहर लगेगी पंजे में…
चीनी मिलेगी सात पर, शीघ्र पहुंचोगे खाट पर
इसी तरह 1985 में चीनी की मूल्य बढ़ने पर विपक्षी दलों ने चुनाव में नारों के जरिए कांग्रेस पार्टी पर खूब निशाना साधा था. पहले चीनी की मूल्य तीन रुपये प्रति किलो थी लेकिन 1985 में चीनी की मूल्य 7 रुपये किलो पहुंच गई थी. इस पर विपक्ष ने नारा दिया-चीनी मिलेगी सात पर, शीघ्र पहुंचोगे खाट पर।।. इस तरह से हर चुनाव में तरह-तरह के नारों को इस्तेमाल कर राजनीतिक दल जनता के बीच अपना पक्ष मजबूत करने की प्रयास करते हैं.