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आज बन रहा है श्रवण नक्षत्र और व्यतिपात योग, इस संयोग में किए गए श्राद्ध से पितरों को मिलती है तृप्ति

आज अमावस्या सुबह तकरीबन 8 बजे प्रारम्भ होगी और अगले दिन सूर्योदय से पहले ही समाप्त भी हो जाएगी, इसलिए स्नान-दान के लिए आज का दिन ही खास है. वहीं, अमावस्या के साथ श्रवण नक्षत्र और व्यतिपात योग भी बन रहा है. इस संयोग में किए गए श्राद्ध से पितरों को तृप्ति मिलती है.

मौनी अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. इस कारण भी ये दिन और खास हो जाएगा. इस तिथि के स्वामी पितर होते हैं, इसलिए पितृ शांति के लिए इस दिन तर्पण और श्राद्ध करने का विधान है.

माघ अमावस्या पर स्नान, दान और व्रत
इस दिन सुबह शीघ्र उठकर तीर्थ या पवित्र नदी में नहाने की परंपरा है. ऐसा न हो सके तो पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए. माघ महीने की अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण करने का खास महत्व है, इसलिए पवित्र नदी या कुंड में स्नान कर के सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद पितरों का तर्पण होता है.

मौनी अमावस्या पर सुबह शीघ्र तांबे के बर्तन में पानी, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. इसके बाद पीपल के पेड़ और तुलसी की पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी चाहिए. इस दिन पितरों की शांति के लिए उपवास रखें और जरूरतमंद लोगों को तिल, ऊनी कपड़े और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए.

मौनी अमावस्या का महत्व
धर्म ग्रंथों में माघ महीने को बहुत ही पुण्य फलदायी कहा गया है. इसलिए मौनी अमावस्या पर किए गए व्रत और दान से हर तरह के पाप समाप्त हो जाते हैं. धर्म ग्रंथों के जानकारों का बोलना है कि मौनी अमावस्या पर व्रत और श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है. साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.

इस अमावस्या पर्व पर पितरों की शांति के लिए स्नान-दान और पूजा-पाठ के साथ ही उपवास रखने से न सिर्फ़ पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु और ऋषि समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं. इस अमावस्या पर ग्रहों की स्थिति का असर अगले एक महीने तक रहता है. जिससे राष्ट्र में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के साथ मौसम का संभावना व्यक्त किया जा सकता है.

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