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Devil Worship Tantra: भगवान से पहले लोगों की सुनता है शैतान, चुटकियों में कर देता है सारी मनोकामनाएं

एक कहावत कहावत है, ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं, मगर शैतान के घर देर नहीं है,लेकिन अंधेर ही अंधेर है. यहीं चीज इस कहावत को भी ठीक करती है कि Think of the Devil and Devil is here (शैतान का नाम लो शैतान जाहिर). प्रभासाक्षी न्यूज के एस्ट्रो एस्पर्ट आशीष तिवारी कहते है कि शैतानी शक्तियों को जागृत करने के लिए शैतान की पूजा की जाती है. पश्चिमी राष्ट्रों में मान्यताएं हैं जब गॉड नहीं सुनता है तो शैतान सुनता है. शैतान को याद करते ही शैतान तुरंत हाज़िर हो जाता है. ईश्वर को आने में देर हो सकती है लेकिन शैतान देर नहीं करता है तुरंत आ जाता है.

तंत्र में  शैतानी  पूजा की कहानी

ये किसी ईश्वरीय शक्ति पर विश्वास करने के बजाय अपने नियम स्वयं बनाते हैं और स्वयं की जीवन अपनी शर्तों के अनुसार जीते हैं. ईश्वर की सर्वसत्ता है, यहाँ पर सब कुछ संतुलित है, शैतान इस संतुलन को बिगाड़ना चाहता है, उदाहरण है

ईसाई, इस्लाम और यहूदी धर्म में शैतान को ईश्वर का विरोधी माना गया है. शैतान को भी ईश्वर ने ही बनाया था लेकिन ईश्वर की अवज्ञा करने के कारण उसे नर्क भेज दिया गया जहां वह नर्क का राजा बन गया. शैतान लोगों से सौदा करके उनकी आत्मा को खरीद लेता है और बदले में उन्हें बेशुमार सम्पत्ति और शोहरत देता है. ईसाई धर्म में लूसिफर को पतित देवदूत, नर्क का राजा या शैतान बोला जाता है जो नर्क का शासक है. यह लोगों की ठीक ग़लत इच्छाऐं पूरी करता है और मरने के बाद उनकी आत्मा को अपने साथ नर्क में ले जाता है. शैतान के उपासक ईश्वरीय विधान को ना मानकर मनमाना आचरण करते हैं और जीवन को अपनी शर्तों पर जीते हैं. पश्चिम के राष्ट्रों में शैतान की उपासना करने का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है. अमेरिका, ब्रिटेन जैसे राष्ट्रों में शैतानी धर्म को मानने वाले लगातार बढ़ते जा रहे हैं.

एक्सपर्ट आशीष तिवारी कहते हैं कि इनके अंदर काफी बुरी आत्माएं रहती है. जिन आत्माओं का ढंग से दाह संस्कार नहीं होता. श्राद्ध कर्म और तर्पण विधि नहीं होती. वो आत्मयाए या तो भटकती रहती है. या फिर किसी तांत्रिक के चंगुल में रहती हैं या फिर किसी शैतान के अंदर में आ जाती है. हालाकि शैतान भी इच्छा पूरी करते है पर वो इसके बदले कोई जान या बली लेते है. ये भी अपना अलग स्वर्ग और नरक बनाया हुआ होता है. यदि आप इसके पूजा पद्धियों को अपना कर बाद मे शैतान के मुताबिक अपने जीवन का पालन नहीं किया, तो आपको उसका बनाया हुआ नरक में जाना होगा. और शैतान के अतिरिक्त तो किसी दूसरे को मानना नहीं है. इनका पूरा समानांतर दुनिया होती है ईश्वर के तरह. ये पूजा और बली के दम पर इतनी मजबूत हो जाती हैं कि कभी कभी ईश्वर की सत्ता को भी चुनौती दी देती हैं.

इंडियन पद्धति में माना जाता है की शैतान के उपासक को जीवन में कामयाबी तो मिल जाती है मगर एक कल्प तक उसे सूक्ष्म शरीर या कल्प योनि में रहना पड़ता है. गीता में ईश्वर श्री कृष्ण ने कहा है कि उन्होंने आदमी को पूरी तरह का छूट दिया है कर्म करने के लिए. यहां तक कि उन्होंने हर मनुष्य को ये छूट दे रखी है कि वो अपने देवता या ईश्वर को स्वयं चुन सकता है. वो चाहे तो शैतान को भी चुन सकता है. पर मरने के बाद वह उसी के पास जाएगा. जिसकी वो पूजा करता है. वो आदमी मरने के बाद उसी लोक में जाएगा जिसकी वो पूजा करता है. ईश्वर श्रीकृष्ण ने गीता में बोला है कि जो आदमी शैतान उस को कल्प तक सूक्ष्म शरीर में रहना पड़ता है यानी कि प्रेत योनि में रहना पड़ता है. और वो आत्माएं कल्प के अंत तक प्रेत योनी में रह कर पृथ्वी पर विचरण और उस शैतान के लोक में इधर उधर तरप्ती रहती है . वो तरप तरप कर ईश्वर का प्रतीक्षा करती है. जब कल्प के अंत में ईश्वर का अवतार होगा .तो उनके हाथों मारे जाने पर उन बुरी आत्माओं और शैतान का उद्धार होगा जैसे कल्कि ईश्वर का अवतार होगा. क्युकी शैतान भी ईश्वर की रचना है . चुकी वो ईश्वर की सत्ता को चुनौती देते हैं इसलिए उनकी ये गत होती है.

एक्सपर्ट आशीष तिवारी कहते हैं  जिसको आप नॉर्मली आत्मा कहते हो वो आत्मा नहीं होती वो सूक्ष्म शरीर होती है. क्युकी सूक्ष्म शरीर को भूख प्यास लगती है . गीता में ईश्वर श्री कृष्ण ने आदमी के तीन शरीर बताए हैं . स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, और कारण शरीर . आत्मा तो सबकी एक है. जो जैसा कर्म करता है वो उसी के अनुरूप फल की प्राप्ति करता है . तभी तो आप देखते हैं की कोई अधिक सुख पाता है तो कोई अधिक दुख पाता है .ऐसा थोड़े ही है कि ईश्वर ने सीधे आदमी को टपका कर किसी के गर्भ में उस आदमी सीधे धरती पर भेज दिया . उस को पूरा 84 लाख योनियों से गुजर कर मनुष्य की योनि में जन्म लेता है.फिर यदि खराब कर्म किया . अगले जन्म कोई जानवर या कोई मुर्गा मान लो बन गया फिर वो कतलखाने में जाएगा फिर उसका कतल होगा . फिर दुबारा से वो मानव जीवन जीने के लिए लंबे फेस में जाएगा.

भगवान या किसी देवता को आप फूल, भांग, धतुर , मिठाई , कुछ भी चढ़ा सकते है . यदि आप चाहे यदि आप की ख़्वाहिश है तो आप बली भी दे सकते है . कुछ ईश्वर है कि वो आपकी श्रद्धा देखते हैं . आप उन्हें मांस मदिरा भी चढ़ा सकते है यदि आपकी ख़्वाहिश है तो पर सारे ईश्वर नहीं . ईश्वर की शक्तियां तीनों गुणों में होती हैं .सतो गुण,रजो गुण, तमो गुण. पर शैतान जो है वो सिर्फ़ तमों गुण वाला होता है . अर्थात शैतान को खून चाहिए होता है . यानी शैतान को हमेशा बली चाहिए होती है. चाहे आदमी की या जानवर की. उसको खून से मतलब है सुनने में यह भी आता है कि जो लोग शैतान की पूजा करते है वो लोग अपना कोई अंग को काटकर थोड़ा सा खून बहा देते है . या फिर वो कोई बली देकर शैतान की पूजा करते हैं. बिना पहली बार खून या जान की बली दिए वो शैतान के नुमाइंदे या उसका पुजारी नहीं बन सकते.

एक्सपर्ट आशीष तिवारी कहते है कि भगवान की यदि आप पूजा कर रहे है तो आप एक ईश्वर का कीजिए दूसरे ईश्वर का पूजा कीजिए,या नहीं पूजा कीजिए या ईश्वर का पूजा करने के बाद छोड़ भी दीजिए यदि आपका मतलब निकल गया हो तो या फिर जब मर्जी उनकी पूजा कीजिए ईश्वर को फर्क नहीं पड़ता ईश्वर की पूजा करके आप आपने ही पापो को दुखों को दूर कर सकते है. यदि आप शैतान की एक बार यदि आपने पूजा प्रारम्भ कर दी तो आप ईश्वर की पूजा नहीं कर सकते. शैतान के अतिरिक्त आपको किसी पूजा नहीं करनी है.इस से शैतान नाराज़ हो जाएगा. आप किसी भी ईश्वर के आगे आपको नतमस्तक नहीं होना है . यहां तक कि आपको किसी ईश्वर का प्रसाद नहीं खाना है. मुझे याद है कि जब मै छोटा था तो मेरे एक नौकर का पिता था जो कुछ खराब चीज़ों की पूजा करता था, वो अपने बच्चे से मिलने मेरे ननिहाल में आया था . जब मैंने उसे प्रसाद दिया तो उस ने प्रसाद ले तो लिया पर फेंक दिया उस प्रसाद को चुपके से.

भगवान के पूजा आप नियम में रह कर या बिना किसी नियम के मुताबिक कर सकते है. आप समय के पाबंद है तो ठिक है नहीं है तो भी ठीक है. पर शैतान की पूजा एक बार आपने कर ली तो बड़ा ही नियम कानून से उस की पूजा करनी होती है. क्युकी शैतान को बहुत कम समय ईश्वर ने दिया है. ईश्वर तो दयालु हैं. उन्होंने कुछ समय दिया है उसी समय या उसी मुहूर्त में शैतान की पूजा की जाती है, उस मुहूर्त के पहले या बाद की पूजा उस शैतान को नहीं लगती हैं. उनको बहुत कठोर नियम का पालन करना होता है . जब कोई शैतान की पूजा करता है. तो उसे अधिक पूजा करनी होती हैं ईश्वर कि पूजा करने वालो के मुकाबले. और वो भी समय का पाबंद होकर. और इस तरह की पूजा में आप नए लोगो को जोड़ेंगे तो शैतान खुश होगा . शैतान के पुजारी लोग की संख्या बढ़ने से उसकी ताकत बढ़ती है.

अगर आप किसी की भी पूजा करेंगे तो उस की शक्तियां बढ़ती है . इसलिए ईश्वर के अतिरिक्त किसी की पूजा नहीं करनी चाहिए. जो हमारे धर्म ग्रंथों में उल्लेखित है उस की ही पूजा कीजिए. इल्युमिनाटी ग्रुप 18वीं सदी में प्रारम्भ हुआ ऐसे लोगों का समूह है जो ईश्वर को नहीं बल्कि शैतान को मानते हैं. ये लोग अलग सोच के हैं जो अपनी गोपनीय गतिविधियों से नयी दुनिया बसा रहे हैं और दुनिया के बड़े फैसलों पर असर डालने की प्रयास करते हैं. पूरे विश्व की कई प्रसिद्ध हस्तियां illuminati को मानती है.

एक्सपर्ट आशीष तिवारी कहते है कि माना जाता है कि इस संगठन की आरंभ जर्मनी के बेवेरिया शहर से हुई थी. वहां के एक जाने-माने प्रोफेसर और दार्शनिक एडम वीशॉप्ट (Adam Weishaupt) ने इसकी नींव रखी. जर्मनी में ही जन्मे और पले-बढ़े एडम बचपन में ही अनाथ हो गए. संबंध के एक चाचा की देखरेख में पलते हुए उन्होंने काफी सारी मुश्किलें देखीं. भेदभावों के बीच बढ़ते हुए एडम के मन में आ चुका था कि आगे चलकर वो एक समान समाज की आरंभ करेंगे. पढ़ाई के बाद एडम प्रोफेसर बन गए और University of Ingolstadt में पढ़ाने लगे. सीधी-सादी जीवन बिताते शादीशुदा प्रोफेसर के बारे में किसी को संदेह नहीं था कि वे भीतर-भीतर क्या कर रहे हैं.

एडम को विश्वास था कि चर्च और कैथोलिक विचारों के कारण सोसाइटी खुलकर नहीं जी पा रही है. यही देखते हुए उन्होंने एक ऐसी सोसाइटी तैयार करने की सोची, जो हर तरह की धार्मिक बंदिशों से मुक्त हो. इसी के साथ इलुमिनाती गोपनीय एजेंसी की नींव रखी गई. माना जाता है कि मई 1776 में इसके सदस्यों की पहली मीटिंग हुई, जिसमें प्रोफेसर के नेतृत्व में यूनिवर्सिटी के 5 लोग थे. जल्द ही सदस्य बढ़ते चले गए और वर्ष 1784 में ग्रुप में लगभग 3000 सदस्य हो चुके थे. Adam Weishaupt ने ही इसे इल्युमिनाटी नाम दिया था. इल्युमिनाटी एक लेटिन शब्द है जिसका हिंदी अर्थ है ऐसे लोग जो दूसरों से ज़्यादा ज्ञानी होने का दावा करते हैं. एडम ने धार्मिक नियमों के बिना जीने वाले लोगों के लिए कुछ नियम भी बनाए थे. इनमें से एक नियम ग्रुप से जुड़े लोग ईश्वर के विरुद्ध होकर शेतान लूसिफर को पूजा करेंगे. इस ग्रुप का कोई ऑफ़िशियल Logo तो नहीं है, लेकिन ग्रुप के लोग एक आंख को अपना चिन्ह मानते हैं. इस आंख को एक त्रिकोण में रखकर ग्रुप का Logo बनाया गया है. हालांकि, गोपनीय सोसाइटी होने के कारण कभी इस पर आधिकारिक मुहर नहीं लग सकी.

इलुमिनाती को पहले बिना किसी हानि का संगठन माना गया लेकिन फिर इसकी अजीबोगरीब बातें निकलकर आने लगीं. इस संगठन का विश्वास था कि तकलीफ में आत्महत्या ठीक चुनाव है. इलुमिनाती के सदस्य गलती करने वालों को मृत्यु की सजा देने पर विश्वास रखते थे. साथ ही ये कि धर्म पर विश्वास करने वाले मूर्ख हैं और उन्हें सजा मिलनी चाहिए. ऐसी बातें सामने आने के साथ ही इस संगठन पर लगाम कसी जाने लगी.

धरपकड़ में सदस्यों के घरों से न दिखाने देने वाली इंक बरामद हुई, जिससे आपत्तिजनक बातें फैलाई जाती थीं. आत्महत्या को प्रोत्साहन देने वाला साहित्य मिला. साथ ही कई अजीबोगरीब एजेंडा पर साहित्य का ढेर मिला. संगठन के फाउंडर प्रोफेसर एडम को यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया. वे लंबे समय बाद एक दूसरी स्थान पढ़ाने लगे और अपेक्षाकृत शांत जीवन बिताने लगे. हालांकि उसके बाद भी दुनिया में जो भी हत्याएं या घटनाएं होती थीं, माना जाता था कि उसके पीछे इसी गोपनीय ग्रुप का हाथ है.

यहां तक कि वर्ष 1963 में अमेरिका के प्रेसिडेंट जॉन एफ कैनेडी की मर्डर के पीछे भी इसी संगठन का हाथ बोला जाता है. 22 नवंबर 1963 को हुई ये मर्डर अब भी अमेरिकी राजनीति के इतिहास का सबसे बड़ा रहस्य बनी हुई है. वर्षों से खुफिया एजेंसियां ये पता लगाने की प्रयास कर रही हैं कि मर्डर में किसका हाथ था लेकिन अब तक कुछ पता नहीं चल सका है. असल में कैनेडी की मर्डर से ठीक पहले एक संदिग्ध स्त्री दिखी थी, जिसके हाथ में खुफिया कैमरानुमा पिस्टल था. मर्डर के साथ ही वो महिला जैसे आई थी, वैसे ही गायब हो गई. आज तक ये पता नहीं लग सका कि वो स्त्री कौन थी और कहां से आई थी. कई संगठनों को विश्वास है कि सीक्रेसी में जी रहा इलुमिनाती ग्रुप ही इसकी वजह है और वो रहस्यमयी स्त्री इसी से जुड़ी हुई थी.

दुनिया भर की प्रसिद्ध हस्तियां इस से जुड़ी हुई हैं . हमारे राष्ट्र में भी कई लोग इल्युमिनाटी पर विश्वास करते हैं. और उनका मानना है कि उनकी कामयाबी में इसी ताकत का हाथ है. आज भी ‘इलुमिनाती ग्रुप’ से जुड़े लोग रहस्यमयी ज़िंदगी जीते हैं. अमेरिकन सिंगर कैटी पैरी पर भी इस ग्रुप से जुड़े होने के इल्जाम लगे हैं. कैटी अपने कई म्जूकिल एलबम और अवॉर्ड नाइट परफॉर्मेंस में ‘इल्युमिनाटी’ से जुड़े चिन्ह को प्रदर्शित कर चुकी हैं. इसके अतिरिक्त जस्टिन बीबर, माइली सायरस, मडोना, ब्रिटनी स्पीयर्स, लेडी गागा, कान्ये वेस्ट, किम कार्दशियन, एमिनम और यो यो हनी सिंह जैसे सेलेब्स पर भी इस ग्रुप से जुड़े होने का संदेह है. अच्छा यहाँ पर एक Irony भी है, आप विज्ञापन  में देखिये, आपको मिलेगा की हमारे यहाँ शैतानी पूजा की काट की जाती है, मगर इनके यहाँ ज़्यादातर पहुँचते वो लोग हैं, जो ये कहते हैं की साहिब फलाने आदमी को हानि पहुंचाने के लिए शैतानी पूजा कर दीजिये.

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