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बेहद रोचक है आशीर्वाद का साइंस…

Blessings Science: आजकल बच्चों को Good Touch और Bad Touch के बारे में सिखाया जाता है लेकिन क्या आपने कभी ये महसूस किया है कि जब आप चिंता में हों और आपका कोई अपना, गले लगा ले, या फिर आपके सिर पर स्नेह से हाथ फेरे, तो इस स्पर्श का सुखद अहसास होता है आपने देखा होगा कि ऐसे स्पर्श से आप कुछ देर के लिए सारी चिंताएं भूल जाते हैं आज हम स्पर्श के इसी विज्ञान की बात करेंगे

स्पर्श का विज्ञान भारतीय परंपरा में हजारों सालों से

स्पर्श का ये विज्ञान भारतीय परंपरा में हजारों सालों से है अपने मां-बाप, संत महात्मा और गुरुओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की परंपरा, आज के युवा भले ही पुरानी रीति कहकर नकारते हों, लेकिन जर्मनी और नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों ने स्पर्श पर एक ऐसी रिसर्च जारी की है,जिसने स्पर्श विज्ञान पर भारतीय पुरातन पंरपरा को श्रेष्ठ बना दिया है

-जर्मनी और नीदलैंड्स के वैज्ञानिकों ने स्पर्श, गले लगना, पीठ थपथपाना या सिर सहलाने से जुड़े 137 शोधों का शोध किया
-इस शोध से पता चला कि Good Touch या स्पर्श से लोगों का तनाव, दर्द और अवसाद दूर होता है
-स्पर्श से जुड़े 137 भिन्न-भिन्न किए गए अध्ययन में 13 हजार वयस्क, बच्चे और शिशुओं को शामिल किया गया था
-इस स्टडी में ये भी पाया गया कि समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों में स्पर्श की वजह से तेजी से सुधार आता है
-नवजात बच्चों में अजनबी आदमी से अधिक फायदा माता-पिता के स्पर्श से होता है
-Netherlands Institute For Neuroscience के रिसर्चर Frederic Michon (फ्रेडरिक मिचोन) के अनुसार मर्दों की तुलना में स्त्रियों को Good Touch से अधिक फायदा होता है
-स्टडी में ये पाया गया कि 6 सप्ताह तक लगातार हर रोज़ 20 मिनट की मसाज़ मिले तो भूलने की रोग से पीड़ित बुजुर्गों की आक्रामकता और मानसिक तनाव में कमी आती है और स्तन कैंसर के रोगियों का तनाव भी समाप्त होता है
-स्टडी में पाया गया कि स्पर्श का सबसे अधिक मानसिक फायदा स्वस्थ लोगों के मुकाबले रोग से पीड़ित लोगों को होता है
-शोध में पाया गया है कि स्वस्थ युवा, जिनके पास रोबोटिक सील मछली थी, उसका ख्याल रखने से भी वो अन्य लोगों के मुकाबले अधिक खुश थे

इंसान ही नहीं जानवरों में स्पर्श का महत्व

कोरोना महामारी ने हमें Isolated living यानी अकेले रहना सिखाया दो गज की दूरी बहुत महत्वपूर्ण जैसे वाक्यों ने हमें कहा कि स्पर्श एक बुरी चीज है, इससे बीमार पड़ सकते हैं लेकिन वैज्ञानिकों की इस स्टडी ने इस विचार को पूरी तरह से खारिज कर दिया है आदमी ही नहीं, जानवरों में स्पर्श का अपना अलग महत्व है आदमी तो बोलकर भी अपनी भावनाओं का इजहार कर देता है, लेकिन जानवर आज भी स्पर्श के जरिए ही अपनी भावनाएं जताते हैं अब प्रश्न ये है कि स्पर्श से किसी जीव में ऐसा क्या होता है जिससे उसे सुखद या दुखद अहसास होता है इस प्रश्न का उत्तर साल 2022 में मिला था

साल 2022 में स्पर्श को लेकर Washington University के School of Medicine ने एक स्टडी की
– इस स्टडी में ये पता चला कि आदमी समेत हर जीव को Good Touch और Bad Touch का अहसास अपने आप ही हो जाता है जैसे गलत नियत से किसी को छूना…ये bad touch है ठीक उसी तरह से Good Touch पर स्नेह या प्रेम का अहसास होना
– वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में हमारे दिमाग में स्पर्श से जुड़ा एक खास Circuit का पता लगाया रिसर्चर्स ने दो कोशिकाओं के बीच संदेश भेजने वाले Neuropeptide (न्यूरोपेप्टाइड) की खोज की
– Neuropeptide ही Good या Bad Touch यानी स्पर्श का एहसास दिलाते हैं
– Neuropeptides, amino acids से बने होते हैं और ये शरीर के लिए Chemical messenger यानी ‘रासायनिक संदेशवाहक की तरह काम करते हैं किसी तरह के संदेश को स्पर्श से दिमाग तक या शरीर के दूसरे अंगों तक ये ही पहुंचाते हैं

जीवन में स्पर्श का बड़ा महत्व है

ऐसा Good Touch, जिसमें प्रेम हो, स्नेह हो या अपनापन हो, वो शरीर में कई तरह हार्मोन्स बनाते हैं, जिससे मानसिक और शारीरिक फायदा होते हैं तो जीवन में स्पर्श का बड़ा महत्व है अब तो पूरे विश्व में स्पर्श के जरिए, उपचार भी किया जा रहा है इसे आम बोलचाल की भाषा में Touch Therapy बोला जाता है इस पर हमने एक खास रिपोर्ट तैयार की है आपको ये रिपोर्ट देखनी चाहिए

पैर छूना और बड़ों का आशीर्वाद लेने की परंपरा

सांस्कृतिक रूप से हिंदुस्तान में चरण स्पर्श यानी पैर छूना और बड़ों का आशीर्वाद लेने की परंपरा है GEN Z के कुछ युवाओं के लिए ये रुढिवादी परंपरा हो सकती है, लेकिन नीदरलैंड और जर्मनी के वैज्ञानिकों की नयी रिसर्च ने ऐसे लोगों को गलत साबित किया है स्पर्श के फायदा पर हुई रिसर्च में क्या था, ये हम आपको बताया लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब पूरी दुनिया में मेडिकल क्षेत्र में Touch Therepy का इस्तेमाल होने लगा है Touch Therepy की वजह से लोगों में दर्द, तनाव और अवसाद के समाप्त होने जैसे सामने आए हैं मेडिकल क्षेत्र में इस नयी थेरेपी को Craniosacral Therapy( क्रेनियोसेकरल थेरेपी) बोला जाता है

मनोवैज्ञानिकों की माने तो

मनोवैज्ञानिकों की माने तो Touch जिसे स्पर्श कहते हैं, वो पहली भाषा है, जो दुनिया में आया कोई आदमी बिना सिखाए समझता है स्पर्श बच्चे और बड़े, सभी के रोगों और तनाव को Harmonal Changes के जरिए कम करता है इससे डोपामिन जैसे अच्छे हार्मोन्स का रिसाव शरीर में होता है…जो सुखद अहसास कराता है नीदरलैंड और जर्मनी के वैज्ञानिकों की इस रिसर्च से एक बात तो साफ हो रही है कि, जिस स्पर्श विज्ञान को हिंदू सभ्यता में हजारों सालों से परंपरा के जरिए जरूरी माना गया आज का विज्ञान, अब उसके महत्व को दोबारा से पूरी दुनिया को बता रहा है

स्पर्श की भाषा, किसी जीव की पहली समझ

स्पर्श की भाषा, किसी जीव की पहली समझ है इसके बारे में उसे कोई सिखाता नहीं है मां जब अपने बच्चे को पहली बार सीने से लगाती है तो बच्चे को भी ममता का अहसास होता है इसी तरह से जब पिता अपने बच्चे के सिर पर हाथ फेरते हैं या उसे गले लगाते हैं, तो उसे सुरक्षा और स्नेह का अहसास होता है अपनों के स्पर्श वाले सुखद अहसास को अभी तक मानवीय पहलू से ही जोड़ा जाता रहा है भारतीय संस्कृति में इसे आशीर्वाद से जोड़ा गया लेकिन आज पूरी दुनिया ये मान रही है कि स्पर्श का अपना एक विज्ञान है, जिसे हिंदुस्तान में सैकड़ों साल पहले से ही समझा जा चुका था

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