इस शक्तिपीठ में गिरा था मां सती का पंजा, नवरात्रि में बड़ा खास है इसका महत्व
9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का पर्व प्रारम्भ हो रहा है। जिसमें देवी के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस मौके पर 9 दिनों मंदिरों में जाकर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। राष्ट्र भर में 51 प्रमुख देवी शक्तिपीठ स्थित हैं। जहां नवरात्रि के त्यौहार में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। इसी क्रम में प्रयागराज में तीन प्रमुख शक्ति पीठ स्थित हैं। जिनमें आलोक शंकरी देवी की महिमा अपरंपार है।
तीन शक्तिपीठों में प्रमुख आलोक शंकरी देवी मंदिर प्रयागराज के आलोप बाग चुंगी में स्थित है। यहां नवरात्रि में नौ दिनों तक भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है। सुबह से लेकर शाम तक मां शंकरी के दर्शन करने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी होती है। यह मंदिर सती के एक अंग हाथ का पंजा गिरने की वजह से स्थापित हुआ। जिसके पीछे एक पौराणिक कहानी है।
यह है इस मंदिर की कहानी
मंदिर के पुजारी स्वामी आदित्य पुरी जी महाराज बताते हैं कि जब राजा दक्ष के यहां यज्ञ में ईश्वर शिव के इंकार करने की बावजूद सती चली गई थी। जहां सम्मान ना मिलने की वजह से अग्नि कुंड में कूद कर स्वयं को अग्नि में विलीन कर दिया। इसको देख ईश्वर शिव मां सती को अपनी गोद में लेकर तीनों लोक का भ्रमण करने लगे। इससे समस्त भूमंडल में भूचाल आ गया। देवताओं ने ईश्वर विष्णु से प्रार्थना कर इसका तरीका निकालने को कहा। तब जाकर ईश्वर विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर को 51 टुकड़ों में विभक्त कर दिया। मां सती के शरीर का हाथ का पंजा आलोक शंकरी देवी में गिरा। जहां पर आज भी मां सती की महिमा देखने को मिलती है।
यहां होती है पालने की पूजा
पुजारी जी बताते हैं कि मां सती के दाहिने हाथ का पंजा यहां गिरा था। एक कुंड के ऊपर एक पालन बना हुआ है। जिसपर मां सती के संघ को विराजमान किया गया। ऐसा भी माना जाता है की यहां पर भक्त अपनी इच्छा पूरी करने के लिए जल आचमन भी करते हैं।
यह है मंदिर के खुलने का समय
या मंदिर नवरात्रि में सुबह 5ः00 बजे से रात्रि 9ः00 बजे तक खुला रहता है। सिविल लाइन बस स्टैंड से यहां पहुंचने के लिए चुंगी के लिए ऑटो पकड़ना पड़ता है। इस मंदिर के आसपास देवी को चढ़ाने के लिए पूजा की सामग्री मिल जाती है