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जानें, उस BJP नेता की हत्या की कहानी, जहां से शुरू हुआ अंसारी का अंत

Krishnanand Rai Murder Case: माफिया-गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तारी अंसारी की 28 मार्च को मृत्यु हो गई. वह बांदा कारावास में बंद था. यहां तबीयत खराब होने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां उसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. मुख्तार के ऊपर 65 मुद्दे दर्ज थे. उसके ऊपर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की मर्डर का भी इल्जाम था. माना जाता है कि 2005 में हुए इस सनसनीखेज हत्या मुकदमा के बाद से मुख्तार के पतन की उल्टी गिनती शुरू. इस हत्या मुकदमा की जैसे-जैसे जांच होती गई, मुख्तार की परेशानियां बढ़ती गई. आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं…

दरअसल, उत्तर प्रदेश में 2002 में विधानसभा चुनाव हुए थे. इस चुनाव में गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से कृष्णानंद राय ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की. इस सीट पर अंसारी बंधुओं का वर्चस्व था. यही वजह है कि उन्हें राय का जीतना हजम नहीं हुआ. आखिरकार 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों को गोलियों से छलनी कर मृत्यु के घाट उतार दिया गया. इसका इल्जाम मुख्तार गैंग पर लगा.

कृष्णानंद राय की जीत के बाद से अंसारी बंधुओं से उनकी दुश्मनी बढ़नी लगी थी. यह वजह है कि एक क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन करने के बाद लौटते समय उनके काफिले पर 500 राउंड गोलियां बरसाई गईं. मारे गए लोगों के शरीर से पोस्टमार्टम के दौरान 67 गोलियां बरामद हुई थीं.

कृष्णानंद राय की मर्डर से पूर्वांचल समेत पूरा यूपी थर्रा उठा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस मर्डर के विरुद्ध धरने पर भी बैठे थे. अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी समेत कई नेताओं ने इस हत्याकांड की CBI से जांच कराने की मांग की, लेकिन इससे इनकार कर दिया गया.
हालांकि, बाद में मई 2006 में अलका राय की याचिका पर उच्च न्यायालय ने मुद्दे की CBI जांच का आदेश दिया. दिल्ली की CBI न्यायालय ने तीन जुलाी 2005 को निर्णय सुनाते हुए मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी समेत 8 आरोपियों को बरी कर दिया.

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