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राजस्थान के मंदिर के तर्ज पर तैयार हुआ नया मंदिर

 पलामू. हर समाज में भिन्न भिन्न मान्यता और परंपरा होती है. यहां आस्था की बात होती है. वहां, पौराणिक मान्यताएं भी महत्व रखते है. राष्ट्र भर में अनेकों मंदिर और उसकी अपनी खूबी के साथ मान्यता भी है. ऐसा हीं मान्यता से जुड़ा झारखंड में मंदिर है. जिसकी मान्यता और नक्काशी बहुत खास है. सड़क से गुजरने वाले लोग इस मंदिर को एक बार जरूर देखते है. जो रानी सती माता का मंदिर है. ये मारवाड़ी समाज के कुलदेवी माता का मंदिर है.

झारखंड की राजधानी रांची से 165 किलोमीटर दूर पलामू जिले के रेड़मा चौक नजदीक स्थित मां रानी सती मंदिर बहुत खास है. इस मंदिर का नव निर्मित रूप दिसंबर 2023 में दिया गया था. इस मंदिर के पुजारी श्रवण पांडे ने बोला कि इस मंदिर की स्थापना बिहारी जी द्वारा 1958 में की गई थी. यहां पूजा अर्चना होती आ रही है. हर वर्ष यहां भादवि अमावस्या और मंगशीर नवमी के अवसर पर खास पूजा अर्चना होती है. जिसमें ढोल नगाड़ा के साथ गणेश पूजन, मंगल पाठ और शोभा यात्रा निकाली जाती है. अगले दिन भंडारा का भी आयोजन होता है.इसके अतिरिक्त इस मंदिर में अब हर नवमी तिथि को मंगल पाठ का आयोजन होता है.

दिसंबर 2023 में मंदिर को नया रूप दिया गया. जिसे राजस्थान के झुनझुन रानी सती मंदिर के स्वरूप में बनाया गया. इस दौरान ईश्वर गणेश और 12 मंड के रूप में माता सती की स्थापना कराई गईं. इस मंदिर का नक्काशी उड़ीसा के कारीगरों द्वारा किया गया. जिसे तीन से चार वर्ष में भव्य रूप दिया गया. मंदिर के उपर तीन गुम्बद बनाया गया है.मुख्य गुम्बद की लंबाई लगभग 42 से 45 फिट है. इससे पहले मंदिर का स्वरूप छोटा था.यहां गर्भ गृह में माता सती विराजमान थी.

 

सुबह 6 बजे खुल जाता है मां का पट
यह मंदिर सभी श्रद्धालुओं के लिए सुबह 6 बजे खुल जाता है.जिसके बाद 11 बजे तक मां का पट खुला रहता है.वहीं 11 से 4 बजे तक मां का पट बंद रहता है.इस दौरान किसी भी श्रद्धालु की एंट्री नहीं होती है.जिसके बाद 4 बजे से रात के 8 बजे तक मां का पट खुला रहता है.उन्होंने ये भी कहा की यहां माता रानी सती दुर्गा स्वरूप में विराजमान है.जहां की हर श्रद्धालुओं की हर इच्छा पूरी होती है. मां के ऊपर नारियल, फल, फूल और चुनरी का चढ़ावा चढ़ता है.

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