अंतर्राष्ट्रीय

सिर्फ एक सैंपल से बदला दवाओं की दुनिया का इतिहास

मेडिकल फील्ड में समय समय पर करिश्मा होते रहे हैं उन चमत्कारों की वजह से हम कई असाध्य रोंगों का या तो सामना करने में सफल हुए हैं उनमें  से एक है पोलियो यहां हम बताएंगे कि किसके सहयोग से आज दुनिया के राष्ट्र पोलियोमुक्त हुए हैं पोलियो वैक्सीन बनाने की दिशा में एक स्त्री का हेनरीएटा लैक्स का खास सहयोग है अब वो इस दुनिया में नहीं हैं हेनरीएटा लैक्स की एक कोशिका ने मेडिकल साइंस में खासतौर से दवाओं के क्षेत्र में जादुई परिवर्तन किया आज हम भले ही अपने बच्चों को पोलियो की मार से बचा पाने में सफल हो रहे हों लेकिन इसके पीछे की कहानी बहुत मार्मिक है

1951 में लिया गया था सेल

हेनरीएटा लैक्स, पांच बच्चों की मां थी जिनकी 1951 में सर्विकल कैंसर से मृत्यु हो गई थी उस समय उनकी उम्र महज 31 वर्ष थी अफ्रीकन -अमेरिकन लैक्स को रोग की वजह से जॉन हापकिंस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था हॉस्पिटल ने उनकी सर्विक्स से दो सैंपल निकाले जिसमें एक स्वस्थ और दूसरा कैंसर से प्रभावित था लेकिन जब यह सब किया गया उस समय ना तो लैक्स से इजाजत ली गई और ना ही उन्हें कहा गया उस सेल को डॉ जॉर्ज ऑटो गे को दिया गया और उन्होंने जो कुछ देखा वो आश्चर्यजनक था लैक्स की सेल को जिंदा रखा गया और पाया गया कि उनमें अनियंत्रित ग्रोथ हो रहा रहा है गे ने सावधानी से उसे खास सेल को अलग किया और पहले अमर सेल लाइन का विकास किया जिसे हेला नाम भी दिया इन कोशिकाओं पर टॉक्सिन, वायरस और विकिरण से गुजारा गया बाद के दिनों में इन कोशिकाओं के जरिए पोलियो वैक्सीन, क्लोनिंग और जीन मैपिंग में सहायता मिली

बिना इजाजत ली गई थी कोशिका

2014 तक वैज्ञानिक करीब 20 टन हेला सेल को विकसित कर चुके है और करीब 11 हजार से अधिक पेटेंट कराए गए हैं एक शोधकर्ता के मुताबित एक एक हेला सेल को आपस में जोड़ कर धागा बनाएं तो कम से कम तीन दफा आप प्लेनेट को बांध सकते हैं 2010 में हेला सेल के एक ट्यूब को 260 अमेरिकी $ में बेचा गया था यदि मौजूदा समय में भारतीय करेंसी से तुलना करें तो एक ट्यूब की मूल्य अब 20 हजार रुपए होगी ये बात अलग है कि हेनरीएटा के परिवार को लाभ नहीं मिला हेनरीएटा लैक्स की जीवन पर जर्नलिस्ट रेबेका स्कलूट ने 2020 में  द इमोर्टल लाइफ ऑफ हेनरीएटा लैक्स पुस्तक लिखी थी

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