South Korea में महिलाएं बच्चे पैदा करने से क्यों कतरा रही हैं, जाने…
South Korea Population Decline: अनेक छूट और सुविधाओं के बाद भी दक्षिण कोरिया की जनसंख्या लगातार घट रही है। आखिर ऐसा क्यों है? क्या वजह है कि महिलाएं बच्चे पैदा करने से कतरा रही हैं। BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण कोरिया की अनेक महिलाएं वहां के सामाजिक ताने बाने से नाखुश हैं। दक्षिण कोरियाई स्त्रियों का बोलना है कि विवाह के बाद भी घर के सारे काम उनको अकेले ही करने पड़ते हैं और बच्चे पालने की जिम्मेदारी भी उन पर ही होती है। दक्षिण कोरिया का वर्क कल्चर भी घटते जन्म रेट की एक बड़ी वजह है।
क्या है स्त्रियों की दलील
- महिलाओं की दलील है कि यहां काम के घंटे लंबे हैं और उनके लिए कोई रियायत नहीं है। ऐसे में जॉब के साथ घर और बच्चों की देखभाल कर पाना उनके लिए संभव नहीं है।
- कई स्त्रियों का बोलना है कि जॉब के दौरान बच्चे पैदा करने की वजह से उनकी जॉब खतरे में पड़ जाती है क्योंकि कंपनियां ये मानती हैं कि बच्चे होने के बाद उनकी कार्य क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।
- साथ ही लंबी मैटरनिटी लीव भी स्त्रियों के करियर को हानि पहुंचाती है। दक्षिण कोरिया में नियम है कि बच्चे के जन्म से लेकर उसके 8 वर्ष का होने तक स्त्री और पुरुष एक वर्ष की छुट्टी ले सकते हैं।
- लेकिन आंकड़े बताते हैं कि एक वर्ष की छुट्टी लेने वालों में पुरुष केवल 7 फीसदी हैं और महिलाएं 70 प्रतिशत। साथ ही बच्चों को पालने और उनकी पढ़ाई पर होने वाला मोटे खर्च की वजह से भी लोग बच्चे पैदा करने से कतराते हैं।
कंपनियां भी दे रही मदद
- कामकाजी स्त्रियों की कठिन और घटती जनसंख्या के खतरों को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर की कई कंपनियां भी बच्चे पैदा करने पर शादीशुदा जोड़ों की आर्थिक सहायता के लिए आगे आई हैं।
- बो यंग नाम की निजी कंपनी ने बच्चे पैदा करने वाले कर्मचारियों को 75 हजार अमेरिकी $ यानी करीब 62 लाख रुपये देने की घोषणा की है।
- दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी कार कंपनी ह्यूंडई ने भी अपने कर्मचारियों को हर बच्चे के जन्म पर 3750 $ यानी करीब 3 लाख रुपये देने की घोषणा की है।
जापान का हाल भी द।कोरिया जैसा
चीन और जापान का हाल भी दक्षिण कोरिया जैसा ही है। दोनों राष्ट्रों में जन्म रेट घट रही है। अनुमान जताया जा रहा है कि अगले कुछ सालों में वहां युवाओं की जनसंख्या तेज़ी से घटेगी और बुजुर्गों की जनसंख्या बढ़ेगी, जिसके चलते वहां कामगारों की कमी हो सकती है। इसका सीधा असर भविष्य में दोनों राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
घटती जन्म रेट दक्षिण कोरिया, जापान और चीन जैसे राष्ट्रों के लिए आपदा बनती जा रही है, लेकिन ये आपदा हिंदुस्तान जैसे राष्ट्र के लिए अवसर बन सकती है। हिंदुस्तान की जनसंख्या इस समय 140 करोड़ से अधिक है और अगले कुछ सालों तक इसमें और बढ़ोतरी का अनुमान है। हिंदुस्तान की 65 फीसदी जनसंख्या की 35 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की है। ऐसे में दक्षिण एशियाई राष्ट्रों में भारतीय कामगारों की मांग बढ़ सकती है।
भारतीयों की बढ़ेगी डिमांड
अभी हिंदुस्तान के युवा प्रोफेशनल अमेरिका, यूरोप और खाड़ी राष्ट्रों का रुख करते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले कुछ सालों में जापान और दक्षिण कोरिया में भारतीय कामगारों की डिमांड में बढ़ोत्तरी होगा। हालांकि उसके लिए हिंदुस्तान के नौजवानों को स्किल्स और वहां की भाषा सीखनी होगी।
भारत, पाक और बांग्लादेश समेत दुनिया के कई राष्ट्र ऐसे हैं जहां की जनसंख्या बढ़ रही है लेकिन कई राष्ट्र ऐसे भी हैं जहां जनसंख्या घट रही है। और कुछ राष्ट्र तो ऐसे हैं जहां जनसंख्या इतनी तेज़ी से घट रही है कि वहां की सरकारें परेशान हो गई हैं।
जीने की आजादी में दखल नहीं चाहतीं महिलाएं
- दक्षिण कोरिया, जापान और चीन ऐसे ही राष्ट्रों में शुमार हैं, जहां जन्म रेट तेजी से घट रही है। खासतौर पर दक्षिण कोरिया की। आंकड़ों के अनुसार दक्षिण कोरिया में जन्म रेट दुनिया में सबसे कम है और ये वर्ष रेट वर्ष घटती ही जा रही है।
- इसकी एक बड़ी वजह ये है कि दक्षिण कोरिया की अधिकांश महिलाएं बच्चा पैदा नहीं पैदा करना चाहती हैं। वहां ऐसी स्त्रियों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है जो करियर ओरिएंटेड हैं और जीने की आजादी में कोई दखल नहीं चाहती हैं।
- ये महिलाएं अच्छी नौकरी, अच्छी तनख्वाह और अच्छी लाइफस्टाइल चाहती हैं और इनका मानना है कि विवाह और बच्चे उनके सपनों की उड़ान पर ब्रेक लगा देंगे।
2100 तक आधी रह जाएगी आबादी
दक्षिण कोरिया की स्त्रियों की इस सोच के पीछे कई वजहें भी हैं। क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि विवाह और बच्चों की वजह से स्त्रियों के करियर की ग्रोथ रुक जाती है। लंबी मैटरनिटी लीव के चलते वो अपने साथी मर्दों से जॉब में पिछड़ जाती हैं।
जानकारों के अनुसार दुनिया में जनसंख्या का संतुलन बनाए रखने के लिए जन्म रेट 2 दशमलव एक फीसदी होनी चाहिए।
- यानी एक स्त्री औसतन 2 बच्चों को जन्म दे
- लेकिन दक्षिण कोरिया में जन्म रेट औसत से कई गुना कम है
- 2023 में दक्षिण कोरिया में जन्म रेट शून्य दशमलव सात दो फीसदी रही
- जबकि 2022 में ये रेट शून्य दशमलव सात आठ फीसदी थी
- यानी एक स्त्री औसतन एक से भी कम बच्चे को जन्म दे रही है
- दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल का तो और भी बुरा हाल है। सोल में औसत जन्म रेट शून्य दशमलव पांच पांच फीसदी है
- जानकारों का मानना है कि यदि जन्म रेट यूं ही घटती रही तो 76 वर्ष बाद यानी वर्ष 2100 में दक्षिण कोरिया की जनसंख्या आधी रह जाएगी।
दक्षिण कोरिया की गवर्नमेंट जानती है कि जनसंख्या घटने के कई दुष्परिणाम हो सकते हैं। भविष्य में राष्ट्र की आर्थिक तरक्की थम सकती है। लिहाज़ा वहां की गवर्नमेंट बीते कई सालों से जन्म रेट में तेजी लाने की प्रयास में जुटी है। इसके लिए कई सरकारी योजनाओं की आरंभ की गई, जिसके अनुसार शादीशुदा जोड़ों को बच्चे पैदा करने पर आर्थिक सहायता से लेकर मकान और वाहन जैसी सुविधाएं देना शामिल है।
सरकार ने उठाए ये कदम
- दक्षिण कोरिया की गवर्नमेंट हर बच्चे के जन्म पर उनके माता-पिता को सवा लाख रुपये ‘बेबी पेमेंट’ के तौर पर देती है।
- साथ ही बच्चे को 2 वर्ष का होने तक माता-पिता को हर महीने औसतन तीन हज़ार रुपये दिए जाते हैं।
- इसके अतिरिक्त गवर्नमेंट बच्चे के माता-पिता को मकान और टैक्सी किराये में भी छूट देती है।
- अस्पताल के बिल और यहां तक कि IVF ट्रीटमेंट तक के पैसे गवर्नमेंट दे रही है।
- हालांकि ये सुविधाएं केवल शादीशुदा जोड़ों के लिए ही हैं।
- कोरिया गवर्नमेंट ऐसी योजनाओं पर बीते 18 वर्षों में 20 लाख करोड़ रुपये ख़र्च कर चुकी है।