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Climate Change: क्लाइमेट चेंज से दुनिया में मच रही है तबाही

Climate Change Report in Hindi: क्लाइमेट चेंज का असर यूं तो पूरी दुनिया पर पड़ रहा है लेकिन एशिया महाद्वीप में इसके सबसे अधिक दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की एक नयी रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में एशिया महाद्वीप मौसम, जलवायु और पानी से जुड़े खतरों का सामना करता रहा, जिससे यह क्षेत्र दुनिया का सबसे अधिक आपदा प्रभावित क्षेत्र बन गया

क्लाइमेट चेंज से दुनिया में बढी लू के दिनों की संख्या

WMO की ‘एशिया में जलवायु स्थिति – 2023’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में बोला गया है कि बाढ़ और तूफान की वजह से दुनिया में सबसे अधिक लोग हताहत हुए और उन्हें भारी आर्थिक हानि झेलना पड़ा दुनिया में हीट वेव के दिनों की संख्या बढ़ी है उत्तर पश्चिमी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है यहां तक ​​कि सबसे ठंडा रहने वाला आर्कटिक महासागरीय क्षेत्र में गर्मी का असर बढ़ा है

क्लाइमेट एक्टिविस्ट हरजीत सिंह ने कहा कि एशिया में शामिल कई राष्ट्रों ने 2023 में अपने सबसे गर्म साल का अनुभव किया वहां के लोगों ने सूखे, लू से लेकर बाढ़ और तूफान जैसी उल्टा परिस्थितियों का सामना किया जलवायु बदलाव ने ऐसी घटनाओं की फ्रीक्वेंसी और गंभीरता को बढ़ा दिया है, जिससे समाज, अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है

पिछले वर्ष दुनिया में 79 आपदाएं आईं

आपातकालीन घटनाओं के डेटाबेस का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में बोला गया है कि 2023 में एशिया में जल-मौसम संबंधी खतरों से जुड़ी 79 आपदाएँ आईं, जिनमें 80 फीसदी से अधिक घटनाएं बाढ़ और तूफान के कारण हुईं, जिसके परिणामस्वरूप 2,000 से अधिक मौतें हुईं और नौ मिलियन लोग प्रभावित हुए

2023 में एशिया में सतह के निकट वार्षिक औसत तापमान रिकॉर्ड पर दूसरा सबसे अधिक था, 1991-2020 के औसत से 0.91 डिग्री सेल्सियस अधिक और 1961-1990 के औसत से 1.87 डिग्री अधिक था जापान और कजाकिस्तान में से प्रत्येक में रिकॉर्ड गर्म साल थे

भारत में पिछले वर्ष गर्मी से 110 मरे

भारत में, अप्रैल और जून में भयंकर गर्मी के थपेड़ों की वजह से लगभग 110 मौतें हुईं लंबे समय तक चलने वाली गर्मी ने दक्षिण-पूर्व एशिया के अधिकतर हिस्से को प्रभावित किया इसका असर पश्चिम में बांग्लादेश और पूर्वी हिंदुस्तान तक और उत्तर से दक्षिणी चीन तक हुआ

क्लाइमेट चेंज का असर एशिया में बरसात की स्थिति पर भी पड़ा वहीं तुरान तराई क्षेत्र (तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान), हिंदू कुश (अफगानिस्तान, पाकिस्तान), हिमालय, गंगा के आसपास और ब्रह्मपुत्र नदियों के निचले हिस्से (भारत और बांग्लादेश), अराकान पर्वत (म्यांमार) और निचला भाग मेकांग नदी के प्रवाह क्षेत्र में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई जबकि दक्षिण-पश्चिम चीन सूखे से पीड़ित रहा, 2023 में लगभग हर महीने सामान्य से कम वर्षा हुई और भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून से जुड़ी बारिश औसत से कम रही

बाढ़ ने भी दुनिया में मचाया कोहराम

जून, जुलाई और अगस्त में बाढ़ और तूफान की घटनाओं की वजह से भारत, पाक और नेपाल में 600 से अधिक मौतें हुईं सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन में भारी बारिश के कारण बाढ़ आ गई अगस्त और सितंबर की आरंभ में, रूसी संघ के सुदूर पूर्वी हिस्से में हाल के दशकों में सबसे बड़ी आपदाओं में से एक में विध्वंसक बाढ़ आई, जिससे लगभग 40,000 हेक्टेयर ग्रामीण भूमि प्रभावित हुई

जलवायु बदलाव की वजह से ग्लेशियर पिघलने की घटनाएं भी तेज हुई हैं दुनिया का सबसे ऊंचा पठार यानी तिब्बत के ग्लेशियर पिछले कई दशकों से पिघलकर पीछे हटते जा रहे हैं, जिससे वहां पानी की आपूर्ति पर असर पड़ा है इसी तरह हिंदुस्तान में बर्फ से ढके ग्लेशियर धीरे- धीरे पीछे हटते जा रहे हैं इसका खामियाजा निचले हिस्सों में रहने वाले लोगों को पानी की कम आपूर्ति के रूप में भुगतना पड़ रहा है

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