अंतर्राष्ट्रीय

अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत को क्यों उकसा रहा है चीन…

अरुणाचल पर हिंदुस्तान के कड़े रुख से चीन बौखला गया है. ग्लोबल टाइम्स ने बोला कि चुनावी लाभ के लिए चीन पर टिप्पणी की गई है. हिंदुस्तान ने अरुणाचल पर चीन के दावे को बेतुका कहा था. इस महीने पीएम मोदी की सीमावर्ती राज्य की यात्रा के मद्देनजर अरुणाचल प्रदेश पर अपने निराधार मानचित्रण दावों को दोहराना बीजिंग की अपने क्षेत्रीय दावों को चिह्नित करने के साथ-साथ जानबूझकर हिंदुस्तान को उकसाने की योजना का हिस्सा है. हालाँकि, हिंदुस्तान ने चीनियों से उन्हीं के खेल में खेलना सीख लिया है. मोदी गवर्नमेंट भी अरुणाचल प्रदेश और पूर्वी लद्दाख के कुछ हिस्सों पर चीन के दावों के उत्तर में मानकीकृता को दोहराया है.

वे दिन गए जब हिंदुस्तान बार-बार दोहराए जाने वाले चीनी बयानों से परेशान हो जाता था और मोदी गवर्नमेंट 25 मार्च को फिलीपींस में विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ दक्षिण पूर्व एशिया में सहयोगियों को शामिल कर रही है और हिंदुस्तान में ताइवान की प्रोफ़ाइल बढ़ रही है. अमेरिकी नेतृत्व भले ही ‘एक चीन’ नीति को लेकर असमंजस में हो, लेकिन हिंदुस्तान ने पिछले एक दशक से चीनियों के लिए जादुई शब्द नहीं कहे हैं, जबकि वह निर्वासित तिब्बती नेतृत्व के साथ-साथ दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता का खुला समर्थन कर रहा है.

चीनी उकसावे का मकसद भारतीय विपक्ष को चारा मौजूद कराना है, जो स्वयं किसी राष्ट्रवादी कारणों के बजाय सियासी कारणों से पीएलए से मुकाबला करने के लिए मोदी गवर्नमेंट पर दबाव बनाने की प्रयास कर रहे हैं. 3488 किमी एलएसी पर भारतीय सेना सीमा बुनियादी ढांचे ने मोदी शासन के अनुसार बेहतरीन छलांग लगाई है और यह सुनिश्चित करने के लिए वर्गीकृत कोशिश भी किए जा रहे हैं कि सबसे खराब स्थिति में भी भारतीय सैनिकों के पास गोला-बारूद और तोपखाने की कमी न हो.

 

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