स्वास्थ्य

टॉयलेट में किस पोजीशन में बैठना चाहिए, इंडियन या वेस्टर्न टॉयलेट…

squatting or sitting which is Healthy to poop: आजकल अधिकतर लोग कब्ज, खूनी और बादी बवासीर, हेमोरॉएड की समस्या से ग्रस्त होते हैं. कब्ज होने के कारण पेट हेवी, फूला-फूला रहता है. मल त्याग करने में काफी जोर लगाना पड़ता है. लगातार 5-6 दिन सही से पेट साफ ना हो तो क्रोनिक कब्ज से आप पीड़ित हो सकते हैं. कब्ज होने पर टॉयलेट में काफी जोर लगाना पड़ता है, जिससे कई बार गुदा मार्ग या मल द्वार की नसों में सूजन हो जाता है, कई बार इनमें से खून आने लगता है. ये बवासीर है. कई बार टॉयलेट में आपके बैठने की पोजीशन भी कब्ज की समस्या को बढ़ा देते हैं. सही तरीके से ना बैठने पर मल त्याग करने में दिक्कत आती है. अगर आप बवासीर, पाइल्स, पुरानी कब्ज से पीड़ित हैं तो आपको इस आर्टिकल को जरूर पढ़ना चाहिए. टॉयलेट में किस पोजीशन में बैठना चाहिए, इंडियन या वेस्टर्न टॉयलेट में कौन सा बेहतर है, इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी आयुर्वेदा और गट हेल्थ कोच डॉ. डिंपल जंगड़ा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है.

वेस्टर्न टॉयलेट के इस्तेमाल से क्या होता है नुकसान
डॉ. डिंपल जंगड़ा के अनुसार, यदि आप क्रोनिक कब्ज, हेमोरॉयड, पाइल्स, ब्लीडिंग डिसऑर्डर या फिर कोलोन से संबंधित समस्या जैसे एनल फिशर से ग्रस्त हैं तो आप वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल कम करें या फिर अपने सिटिंग पोस्चर में सुधार करें. क्या आप जानते हैं कि वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल आपके शरीर के लिए अप्राकृतिक है, जो स्मूद तरीके से वेस्ट पदार्थ को बाहर निकलने से रोकता है? दरअसल, वेस्टर्न टॉयलेट आपके प्यूबोरेक्टलिस मांसपेशियों पर दबाव डालता है, जिसके कारण रेक्टम चोक यानी जाम हो जाता है या अवरोध पैदा हो जाता है. साथ ही, आपका एनोरेक्टल एंगल (anorectal angle) भी सही नहीं होता. यह लगभग 90 डिग्री एंगल में होता है, जो सही नहीं.
-इससे आपको कब्ज के लक्षण शुरू हो सकते हैं जैसे मल का अधूरा निकास, अनियमित मल त्याग, कठोर मल और मल त्याग करते समय अत्यधिक तनाव, प्रेशर डालना की आवश्यकता पड़ सकती है.
– यदि आपको कब्ज रहता है तो वेस्टर्न टॉयलेट आपको सूजन वाली बवासीर जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दे सकता है.

स्क्वैटिंग पोजीशन कैसे है बेहतर?
स्क्वैटिंग पोजीशन (squatting position) कई देशों में प्रैक्टिस की जाती है जैसे भारत, फ्रांस, तुर्की और इसके कई सेहत लाभ भी होते हैं. स्क्वैटिंग पोजीशन वह है, जिसमें आप इंडियन टॉयलेट में बैठते हैं.
– बैठने की मुद्रा से प्यूबोरेक्टलिस मांसपेशियों को बेहतर आराम मिलता है. इस प्रकार एनोरेक्टल कोण सीधा यानी 180 डिग्री हो जाता है.
– यह मल को तेजी, आसानी और अधिक पूर्ण रूप से निकालने में कारगर है.
– ऐसे में नीचे बैठने की स्थिति अत्यधिक जोर, स्ट्रेन डालने से बचाती है.
– पुडेंडल नर्व (pudendal nerve) में खिंचाव से बचाता है. इन तंत्रिकाओं के क्षतिग्रस्त होने से मूत्र, शौच आदि में स्थायी रूप से समस्याएं हो सकती हैं.
-उकडू बैठने या स्क्वैटिंग पोजीशन में टॉयलेट में बैठने से पेट के अंदर का दबाव भी बढ़ जाता है.

वेस्टर्न टॉयलेट पर बैठने का सही तरीका
यदि आपको कब्ज की समस्या बनी रहती है और घर में वेस्टर्न टॉयलेट ही है तो आप या तो स्क्वैटिंग सीट इंस्टॉल करा लें और स्क्वैट पोजीशन में ही बैठें. नहीं तो जब भी टॉयलेट का इस्तेमाल करें, उस दौरान स्क्वैटिंग पोस्चर में बैठने के लिए आप एक स्टूल खरीदें. उस पर अपने पैरों को रखें, ताकि वे थोड़े ऊपर की तरफ उठ जाएं. यह पुरानी कब्ज, बवासीर, बवासीर के लक्षणों को रोकने और कम करने में मदद करेगा. इसके अलावा, आपको यदि क्रोनिक कब्ज है तो आप डॉक्टर से भी जरूर संपर्क करें. हमेशा एक बात याद रखें, यदि आपका कोलोन अनहेल्दी रहेगा तो ये 90% बीमारियों का मूल कारण होता है. जितनी जल्दी आप इन सभी समस्याओं को दूर कर लेंगे, आप उतने ही अधिक स्वस्थ रहेंगे.

 

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