स्वास्थ्य

Cervical Cancer: महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर से जोखिम का क्या हो सकता है कारक…

स्त्रियों को होने वाले कैंसर में सर्वाइकल कैंसर का जोखिम भी शामिल किया जाता है. स्त्रियों के प्रजनन अंग को यह कैंसर प्रभावित कर सकता है. वहीं सर्वाइकल कैंसर के मामलों में हर वर्ष तेजी से बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. स्त्रियों को पीरियड्स, मासिक धर्म और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के किसी भी संकेत को अनदेखा करने की गलती नहीं करनी चाहिए.

वहीं समय के साथ ही कैंसर के लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं. अन्य कैंसरों की तरह सर्वाइकल कैंसर भी स्त्रियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. आज हम आपको सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारकों के बारे में बताने जा रहे हैं.

महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारक

महिलाओं की गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं सर्वाइकल कैंसर में अनियंत्रित हो रूप से बढ़ने लगती है. चिकित्सक के अनुसार जिस भी अंग में कोशिकाओं के जीन में परिवर्तन होता है, उसी अंग के नाम से कैंसर पहचाना जाता है. हांलाकि इस दौरान स्त्रियों को कई तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं. आपको बता दें कि वजाइना के निचले भाग से सर्वाइकल कैंसर शुरु होता है और यह ऊपरी वजाइना तक फैल सकता है. गर्भाशय के सबसे नीचे हिस्से का खतरनाक ट्यूमर होता है. आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि सर्वाइकल कैंसर से जोखिम कारक क्या हो सकता है.

कमजोर इम्यूनिटी

कुछ स्त्रियों की इम्यूनिटी कमजोर होती है. उनको कैंसर होने की आसार अधिक होती है. वहीं जो महिलाएं इम्यूनोसप्रेसिव थेरेपी कराती हैं. उनको भी सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक होता है. कमजोर इम्यूनिटी वाली स्त्रियों को डाइट में पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए. इसके साथ ही प्रतिदिन व्यायाम भी करना चाहिए. प्रतिदिन व्यायाम करने से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का खतरा अधिक होता है.

एचपीवी संक्रमण

एचपीवी इंफेक्शन सर्वाइकल कैंसर का एक मुख्य जोखिम कारक हो सकता है. वहीं, एचपीवी के कुछ प्रकार विशेष रूप जैसे एचपीवी 16 और एचपीवी 18 सर्वाइकल कैंसर से जुड़े होते हैं. एचपीवी एक यौन संचारित संक्रमण है. इससे बचने के लिए सुरक्षित यौन संबंध और एचपीवी वैक्सीन लेनी चाहिए.

धूम्रपान

जो महिलाएं नियमित रूप से सिगरेट का सेवन करती हैं, उनको सर्वाइकल कैंसर का जोखिम अधिक होता है. क्योंकि सिगरेट के तंबाकू और धुएं के कैमिकल के गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं

डैमेज होने का खतरा अधिक हो सकता है. साथ ही एचपीवी इंफेक्शन होने की आसार बढ़ जाती है. वहीं जो महिलाएं सिगरेट का सेवन नहीं करती हैं, उनको सर्वाइकल कैंसर का जोखिम कम रहता है.

नियमित रूप से चेकअप न कराना

सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए स्त्रियों को नियमित रूप से पैप टेस्ट या एचपीवी टेस्ट कराना चाहिए. इससे प्रजनन अंगों से जुड़े कैंसर का खतरा कम होता है. वहीं नियमित जांच के चलते कैंसर की समय रहते पहचान भी की जा सकती है. जिससे इसके उपचार में सरलता होती है.

एचपीवी वैक्सीन

आपको बता दें कि एचपीवी वैक्सीन न लगावाने वाली स्त्रियों को सर्वाइकल कैंसर का जोखिम सबसे अधिक होता है. स्त्रियों को गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं और इंफेक्शन से बचने के लिए एचपीवी वैक्सीन लगानी चाहिए. इस परेशानी से बचने के लिए महिलाएं महिला बीमारी जानकार से परामर्श कर सकती हैं.

महिलाओं को प्रजनन अंग से जुड़े रोगों से अपना बचाव करने के लिए जागरुक होने की आवश्यकता होती है. सर्वाइकल कैंसर और अन्य कैंसर के जोखिम से बचने के लिए लाइफस्टाइल और डाइट में महत्वपूर्ण परिवर्तन करना चाहिए. वहीं पीरियड से जुड़ी किसी भी तरह की परेशानी का सामना करने पर फौरन चिकित्सक से जांच करवानी चाहिए.

 

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